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Yash Bharat cameraman Hans Thakur in Yangraj Yatra : अमरनाथ यात्रा में यशभारत के कैमरामैन हंसराज ठाकुर: आर्मी-भण्डारे न हो तो यात्रा करना मुश्किल, होटलों से भी बेहतर खाना मिलता है

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Yash Bharat cameraman Hans Thakur in Yangraj Yatra: जबलपुर, यशभारत। अमरनाथ यात्रा मतलब भगवान शिव के साक्षात दर्शन करना। अमरनाथ यात्रा कई सालों से अनवरत जारी है, बहुत से भक्त हर साल भोलेनाथ के दरबार में मत्था टेकने पहंुचते हैं। इसी कड़ी में यशभारत के कैमरामैन हंसराज ठाकुर भी अमरनाथ यात्रा में पंहंुचे। कैमरामैन ने अमरनाथ यात्रा में मिलने वाली सुविधा और परेशानियांे का जिक्र किया। उनका कहना है कि अगर भारतीय सेना और भण्डारे न हो तो यात्रा की दूरी एक किलोमीटर भी पार न हो।

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पहलगाम से पवित्र गुफा कैसे पहुंचे (Yash Bharat cameraman Hans Thakur in Yangraj Yatra)
पहलगाम मार्ग के लिए यात्रा आधार शिविर अनंतनाग जिले में नुनवान (पहलगाम के पास) स्थित है। श्रीनगर से नुनवान लगभग 90 किमी दूर है। बालटाल मार्ग पर यात्रा एक्सेस कंट्रोल गेट डोमेल में स्थित है, जो बालटाल से लगभग 2.5 किमी की दूरी पर है। पहलगाम मार्ग पर यात्रा एक्सेस कंट्रोल गेट चंदनवाड़ी में स्थित है, जो नुनवान से लगभग 12 किमी की दूरी पर है।

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पहलगाम (Yash Bharat cameraman Hans Thakur in Yangraj Yatra)
श्रीनगर से 96 किलोमीटर दूर स्थित पहलगाम अपनी खूबसूरती के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है। लिद्दर और अरु नदियां और ऊंचे पहाड़ घाटी को चूमते हैं। पहलगाम में स्थित नुनवान यात्री शिविर में गैर सरकारी संगठनों द्वारा मुफ्त लंगर की व्यवस्था की जाती है। तीर्थयात्री पहली रात के लिए पहलगाम में डेरा डालते हैं।

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चंदनवाड़ी
पहलगाम से चंदनवाड़ी की दूरी 16 किलोमीटर है। चंदनवाड़ी तक पहुंचने के लिए पहलगाम से मिनी बसें चलती हैं। यह रास्ता शानदार प्राकृतिक दृश्य के साथ लिद्दर नदी के किनारे-किनारे चलता है।

पिस्सू टॉप (Yash Bharat cameraman Hans Thakur in Yangraj Yatra)
जैसे-जैसे यात्रा चंदनवाड़ी से आगे बढ़ती है, ऊंचाई पर चढ़ते हुए पिस्सू टॉप तक पहुंचना पड़ता है। कहा जाता है कि भोलेनाथ के दर्शन के लिए सबसे पहले पहुंचने के लिए देवताओं और राक्षसों के बीच युद्ध हुआ था। शिव की शक्ति से देवता इतनी बड़ी संख्या में राक्षसों को मार सके कि उनके शवों का ढेर इस ऊंचे पर्वत पर लग गया।

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शेषनाग
शेषनाग एक पर्वत है जिसका नाम इसकी सात चोटियों के कारण पड़ा है, जो पौराणिक सांप के सिर से मिलती जुलती हैं। श्रद्धालु दूसरी रात शेषनाग शिविर में बिताते हैं। एक बार जब आप स्नान कर लेते हैं और प्राकृतिक दृश्य का आनंद लेते हैं, तो जीवन बिल्कुल नया अर्थ ले लेता है।

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