रेसलर बजरंग पूनिया ने पद्मश्री अवार्ड लौटाया:PM को चिट्ठी में लिखा- महिला पहलवानों के अपमान के बाद ऐसी सम्मानित जिंदगी नहीं जी पाएंगे
रेसलर बजरंग पूनिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सोशल मीडिया के जरिए चिट्ठी लिखकर पद्मश्री अवार्ड लौटाने का ऐलान किया है। बजरंग पूनिया ने लिखा कि मैं अपना पद्मश्री पुरस्कार प्रधानमंत्री जी को वापस लौटा रहा हूं। कहने के लिए बस मेरा यह पत्र है। यही मेरी स्टेटमेंट है। ढाई पेज की इस चिट्ठी में बजरंग पूनिया ने भारतीय कुश्ती संघ (WFI) पर बृजभूषण के करीबी संजय सिंह की जीत का विरोध किया है। बजरंग अवार्ड लौटाने प्रधानमंत्री आवास पर गए थे लेकिन अंदर जाने की परमिशन नहीं मिली तो उन्होंने अवार्ड वहीं फुटपाथ पर रख दिया।
बजरंग ने खुद को ‘असम्मानित पहलवान’ बताते हुए कहा कि महिला पहलवानों के अपमान के बाद वे ऐसी सम्मानित जिंदगी नहीं जी पाएंगे, इसलिए अपना सम्मान लौटा रहे हैं। अब वह इस सम्मान के बोझ तले नहीं जी सकते। बजरंग पूनिया को 12 मार्च 2019 को तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया था।
बजरंग पूनिया की चिट्ठी की अहम बातें…
सरकार ने ठोस कार्रवाई की बात कही थी
बजरंग पूनिया ने प्रधानमंत्री को लिखा- आपकी देश सेवा की इस भारी व्यस्तता के बीच आपका ध्यान हमारी कुश्ती पर दिलवाना चाहता हूं। आपको पता होगा कि इसी साल जनवरी महीने में देश की महिला पहलवानों ने कुश्ती संघ पर काबिज बृजभूषण सिंह पर सेक्शुअल हैरेसमेंट के गंभीर आरोप लगाए थे।
जब उन महिला पहलवानों ने अपना आंदोलन शुरू किया तो मैं भी उसमें शामिल हो गया था। आंदोलित पहलवान जनवरी में अपने घर लौट गए, जब उन्हें सरकार ने ठोस कार्रवाई की बात कही।
3 महीने कुछ न हुआ तो सड़कों पर उतरना पड़ा
लेकिन 3 महीने बीत जाने के बाद भी जब बृजभूषण पर एफआईआर तक नहीं की, तब हम पहलवानों ने अप्रैल महीने में दोबारा सड़कों पर उतरकर आंदोलन किया, ताकि दिल्ली पुलिस कम से कम बृजभूषण पर एफआईआर दर्ज करे। लेकिन फिर भी बात नहीं बनी तो हमें कोर्ट में जाकर FIR दर्ज करवानी पड़ी।
बृजभूषण के दबाव में 12 महिला पहलवान पीछे हटीं
जनवरी में शिकायतकर्ता महिला पहलवानों की गिनती 19 थी, जो अप्रैल तक आते-आते 7 रह गई थी। यानी इन 3 महीनों में अपनी ताकत के दम पर बृजभूषण ने 12 महिला पहलवानों को अपने न्याय की लड़ाई में पीछे हटा दिया था। आंदोलन 40 दिन चला।
इन 40 दिनों में एक महिला पहलवान और पीछे हट गईं। हम सब पर बहुत दबाव आ रहा था। हमारे प्रदर्शन स्थल को तहस-नहस कर दिया गया और हमें दिल्ली से बाहर खदेड़ दिया गया और हमारे प्रदर्शन करने पर रोक लगा दी।