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संघ कोटे में जाएगी मुड़वारा की टिकट ?:- प्लान बी पर काम कर रही भाजपा, संघ के करीबी कई नाम चर्चा में, सिंटिंग एमएलए की टिकट काटने में आएगा पसीना

 

 

कटनी। क्या संघ के कोटे में चली जाएगी मुड़वारा की टिकट ? यह सवाल आजकल भाजपाई गलियारों को मथ रहा है। सूत्र बता रहे हैं कि तमाम तरह के विवादों और गुटबाजी से बचने के लिए पार्टी तुरुप के इक्के के रूप में संघ परिवार से जुड़े किसी प्रभावशाली व्यक्ति का नाम सामने ला सकती है। इसके लिए गोपनीय तौर पर बहुत तेजी के साथ विचार चल रहा है। सूत्रों ने यहां तक दावा किया है कि आरएसएस के जिस चेहरे को पार्टी मुड़वारा के लिए मुफीद मान रही है, उसे भोपाल बुलाकर पहले दौर की बात की भी जा चुकी है। सबकुछ संघ के बड़े पदाधिकारियों के हिसाब से रहा तो मुड़वारा सीट पर बदलाव हो सकता है। पार्टी इस नाम के अलावा तीन और विकल्पों को साथ लेकर चल रही हैं उनमें से भी दो संघ परिवार की पृष्ठभूमि से जुड़े हैं।

टिकट के लिए अब ऊपर लेबल पर अंतिम दौर की माथापच्ची चल रही है। एक दिन पहले केंद्रीय मंत्री और प्रदेश चुनाव प्रभारी भूपेंद्र यादव के कटनी आगमन को टिकट की कवायद से जोड़कर देखा जा रहा है। इस बार एमपी के चुनाव को पूरे तरीके से अमित शाह की टीम अपने हाथ मे ले चुकी है। भूपेंद्र यादव भी उन्ही की टीम का हिस्सा हैं जो कटनी से मिल रहे फीडबैक को लगातार ऊपर तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं। भाजपा कार्यालय में हालांकि उन्होंने सीधे तौर पर टिकट को लेकर कोई बातचीत या रायशुमारी नही की किन्तु सूत्र बताते हैं कि जिन लोगों से उन्हें कुछ पतासाजी करनी थी, उनकी मुलाकात करा दी गई है। मुड़वारा सीट के लिए अभी जो नाम सामने आए हैं, उनके अलावा कुछ और विकल्पों को भी पार्टी साथ लेकर चल रही है। कटनी जिला चूंकि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा के संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है ऐसे में मुड़वारा की टिकट पर उनके सीधे दखल से इनकार नही किया जा सकता। वीडी शर्मा संघ परिवार से जुड़े व्यक्ति है और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में काम कर चुके हैं, लिहाजा कटनी में उनके करीबियों की संख्या बहुत है। अनेक ऐसे लोग वीडी शर्मा से सीधे जुड़े हैं जिनका सक्रिय राजनीति से वास्ता नही किन्तु वे सारा फीडबैक वीडी तक पहुंचाने से भी नही चूकते। इन स्थितियों में वीडी शर्मा टिकट के अन्य दावेदारों के साथ संघ परिवार के प्रभाशाली व्यक्तियों के बारे में भी सर्वे करा रहे है कि यदि ऐसा प्रयोग किया गया तो क्या परिणाम होगा। गौरतलब है मेयर चुनाव में शशांक श्रीवास्तव के रूप में संघ परिवार का चेहरा चुनाव में उतारने का सफल राजनीतिक प्रयोग हो चुका है। पार्टी इस प्रयोग को यदि इस बार के विधानसभा चुनाव में दोहराती है तो सिटिंग एमएलए समेत बाकी दावेदारों को मायूस होना पड़ सकता है। सूत्रों ने बताया कि संघ परिवार के उस प्रभावशाली चेहरे के साथ इसी पृष्ठभूमि से निकले मौजूदा भाजपा जिलाध्यक्ष दीपक टण्डन और पूर्व महापौर शशांक श्रीवास्तव के नाम भी पार्टी की नजर में है। विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष पीताम्बर टोपनानी को कुर्सी देकर पार्टी कटनी के सिंधी वोटरों को साधने की कोशिश कर चुकी है। पुनर्वास की जमीन के पट्टे दिए जाने की प्रक्रिया को तेज कर देने से सिंधी कम्युनिटी के वोटों पर कितनी सेंध लग पाएगी यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा लेकिन मुसीबत जातीय समीकरणों को लेकर भी आ रही है। वर्तमान में जिले के तीन भाजपा विधायकों में से दो ब्राम्हण समुदाय से आते हैं जबकि मुड़वारा विधायक पिछड़े वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं। पार्टी यदि विजयराघवगढ़ और बहोरीबंद में संजय पाठक और प्रणय पांडे की टिकट रिपीट करती है तो मुड़वारा में ब्राम्हण वर्ग के व्यक्ति को टिकट देने की संभावना कम हो जाएगी, क्योंकि जिले में पिछड़े वर्ग के मतदाताओं की बड़ी संख्या को साथ लाने के लिए भाजपा मुड़वारा सीट पर ओबीसी को टिकट देने पर ज्यादा फोकस करेगी। चुनाव में पिछड़े वर्ग की नाराजगी का खतरा कोई मोल नही लेना चाहेगा। वैसे जिस तरह की राजनीतिक परिस्थितियाँ समूचे प्रदेश में निर्मित हो रही हैं उसके मुताबिक एक-एक सीट पर कांटे की टक्कर है। इसी वजह से भाजपा किसी भी सीट पर कोई रिस्क नही लेना चाहती। जन आशीर्वाद यात्रा के माध्यम से जनता तक पहुंचने की कवायद भी इसीलिए शुरु की गई है। कटनी जिले में भी यात्रा को चारों विधानसभा क्षेत्र में ले जाने का खाका तैयार हो चुका है। इसलिए सिटिंग एमएलए सन्दीप जायसवाल की टिकट काटने की सूरत में पार्टी इसी वर्ग के और भी विकल्प साथ लेकर चल रही है। पिछड़ा वर्ग मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष सुरेश सोनी और जिला पंचायत के उपाध्यक्ष अशोक विश्वकर्मा अपनी दावेदारी को लेकर इसीलिये उत्साहित रहकर जोर लगा रहे हैं। अन्य दावेदारों में आशीष गुप्ता, रवि खरे, रामरतन पायल, सुनील उपाध्याय, ज्योति दीक्षित और सत्यनारायण अग्रहरि के नाम भी सामने आ रहे हैं। आशीष गुप्ता अपनी साफ सुथरी गैर विवादित छवि के चलते पार्टी में लोकप्रिय हैं। वे अनेक पदों पर संगठन में काम कर चुके हैं। रवि खरे भी नगर मंडल अध्यक्ष रहने के साथ वर्तमान में मन की बात कार्यक्रम का दायित्व देख रहे हैं। अन्य जिम्मेदारियों का भी उन्होंने कुशलता पूर्वक निर्वहन किया है। पूर्व जिलाध्यक्ष रामरतन पायल की पहली और आखिरी उम्मीद सांसद राकेश सिंह ही हैं। सूत्र कहते हैं कि राकेश सिंह यदि दिल्ली दरबार को मुड़वारा के लिए अपने तर्कों से सहमत कर ले गए तो पायल के नाम लाटरी खुल भी सकती हैं। इन तमाम परिस्थितियों के केंद्र में जो नाम है वो है दीपक टण्डन का। जानकारों का कहना है कि जिस रास्ते टण्डन जिलाध्यक्षी पाने में सफल हो गए वही रास्ता उन्हें टिकट की मंजिल तक पहुंचा दे तो आश्चर्य नही। टण्डन इन दिनों जिस सक्रियता से पार्टी को चला रहे है, उसमें उनकी चुनाव लड़ने की एक दबी इच्छा भी देखी जा रही है, जिसके लिए वे बिसात बिछाते चल रहे हैं। पार्टी के पदों और कार्यक्रमों में अपने भरोसेमंद लोगों काम सौंपने और उन्हें आगे करने को अगर चुनावी तैयारी नही तो और क्या माना जाए। बहरहाल पार्टी के त्रिस्तरीय सर्वे, प्रवासी विधायकों की रिपोर्ट और कार्यकर्ताओं की रायशुमारी का नतीजा चाहे जो हो, पार्टी को सन्दीप जायसवाल की टिकट काटने में पसीना आ जायेगा। वे ओबीसी के टैग के साथ दो बार के जीते विधायक हैं। पार्टी क्या कहकर उन्हें पिक्चर से आउट करेगी। कांग्रेस तो मुड़वारा के लिए एक खास रणनीति पर काम कर रही है, जिसमें वह मुड़वारा की टिकट तब तक होल्ड रखेगी जब तक भाजपा की टिकट का फैसला न हो जाये।

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