जबलपुर का कैसा आईटी पार्क जहां बिजली की आंख मिचौली , नेटवर्क कभी भी गायब

जबलपुर, यशभारत। बरगी हिल्स स्थित आइटी पार्क एवं इलेक्ट्रानिक मेन्युफैक्चरिंग क्लस्टर (आइटी पार्क) निवेशकों की पहली पसंद है लेकिन यह कुछ दिन के लिए यही रहेगा। क्योंकि निवेशक ऐसे आइटी पार्क में बिल्कुल भी आने को तैयार नहीं है जहां बिजली तो है पर कब चली जाए यह एमपीईबी को भी पता नहीं है। मोबाइल नेटवर्क फोन से कब गायब हो जाते हैं इसका पता तब चलता है जब उपभोक्ता के फोन कट हो जाता है।
जबलपुर के आइटी हब बनने में रोड़ा
आईटी पार्क का निर्माण इसलिए हुआ था कि जबलपुर को एक नई पहचान आईटी के रूप में मिले परंतु जिस तरह की व्यवस्थाएं पूरे पार्क में है उससे जबलपुर को आईटी हब बनने रोड़ा साबित हो रही है। कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में 140 से अधिक आइटी और इलेक्ट्रानिक मेन्युफैक्चरिंग कंपनियों द्वारा एक साथ कार्य शुरू होना संभावित है। इन कंपनियों द्वारा कम्प्यूटर, मोबाइल, सोलर लाइट आदि के निर्माण और उत्पादन गतिविधियों से 12 से 15 हजार और लोगों को सीधे रोजगार देने का लक्ष्य रखा गया है। निवेशकों के नजरिये से जबलपुर के आइटी पार्क में निवेश करना और काम को गतिशीलता प्रदान करना किसी अन्य बड़े शहरों के आइटी पार्क के मुकाबले सरल और सुगम बनाने की योजना है परंतु बिजली और नेटवर्क जैसी समस्याओं ने निवेशकों के चहेरों में मायूसी ला दी है।

आईटी पार्क पर एक नजर
83 एकड़ में फैले आइटी पार्क के पहले चरण में से 63 एकड़ में भूमि आवंटित हो चुकी थी वहीं दूसरे चरण के लिए भी भूमि आवंटित की जा चुकी है। 115 कंपनियां जहां निवेश कर चुकी है वहीं 28 कंपनियों ने आइटी और इलेक्ट्रानिक मेन्युफैक्चरिंग का उत्पादन शुरू कर दिया है। इनमें 79 इलेक्ट्रानिक कंपनियां शेष आइटी से संबंधित है। इससे करीब प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से 10 हजार से ज्यादा ज्यादा लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य निर्धारित है।