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दमोह में जलभराव के बीच दूषित पानी पीने को मजबूर ग्रामीण

दूषित पानी से बीमारियों का खतरा

दमोह में जलभराव के बीच दूषित पानी पीने को मजबूर ग्रामीण

दमोह। एक तरफ सरकारें हर घर नल से जल पहुंचाने के बड़े-बड़े दावे कर रही हैं, वहीं मध्य प्रदेश के दमोह जिले के ग्रामीण इलाकों की हकीकत इन दावों से कोसों दूर है। जिले में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश के बावजूद रमपुरा गांव सहित कई अन्य क्षेत्रों के लोग स्वच्छ पेयजल के लिए तरस रहे हैं। आलम यह है कि जलमग्न हैंडपंप और तालाबों का दूषित पानी पीकर ग्रामीण अपनी जान जोखिम में डालने को मजबूर हैं।

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यह चौंकाने वाला मामला जबेरा ब्लॉक के रमपुरा गांव से सामने आया है, जहां बारिश के कारण गांव का मुख्य हैंडपंप पूरी तरह से तालाब के पानी में डूब गया है। इस भयावह तस्वीर में महिलाएं और बच्चे गहरे पानी में उतरकर इसी दूषित हैंडपंप से पीने का पानी भर रहे हैं। यह स्थिति प्रशासन और पीएचई (लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी) विभाग की घोर लापरवाही को दर्शाती है।

दूषित पानी से बीमारियों का खतरा

ग्रामीणों का कहना है कि वे वर्षों से इस समस्या से जूझ रहे हैं और इसकी शिकायत कई बार प्रशासनिक अधिकारियों से भी कर चुके हैं, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई। गांव में नल-जल योजना या पाइपलाइन की कोई व्यवस्था नहीं है। हैंडपंप के तालाब के पानी में डूब जाने से यह और भी दूषित हो जाता है, जिससे हैजा, टाइफाइड और अन्य जलजनित बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। ग्रामीणों ने बताया कि उनकी मजबूरी इतनी है कि वे जानते हुए भी इस जानलेवा पानी को पीने को विवश हैं।

जल जीवन मिशन की विफलता

यह समस्या केवल रमपुरा गांव तक सीमित नहीं है। दमोह जिले के कई इलाकों में हैंडपंप खराब पड़े हैं, जिनकी महीनों तक मरम्मत नहीं होती। कई गांवों में लोग आज भी खुले कुओं और गंदे तालाबों पर निर्भर हैं। सरकार की महत्वाकांक्षी जल जीवन मिशन जैसी योजनाएं इन इलाकों तक नहीं पहुंच पाई हैं। ग्रामीण महिलाओं को आज भी पीने के पानी के लिए कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। ऐसे में, ग्रामीणों ने प्रशासन से जल्द से जल्द गांवों में वैकल्पिक और सुरक्षित पेयजल की व्यवस्था करने की मांग की है ताकि इस संकट से उन्हें मुक्ति मिल सके।

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