
जबलपुर। शहर में यातायात व्यवस्था की हालत किसी से छिपी नहीं है, हर चौक चौराहे पर जाम जैसी स्थिति हर दिन बनी रहती है। पैदल चलने वालों तक को सडक़ पार करना तक मुश्किल हो जाता है। हालांकि चौराहों और सडक़ों के चौड़ीकरण के कारण कुछ सुधार हुआ है, लेकिन पर्याप्त मात्रा में ट्रैफिक पुलिस कर्मियों के न होने के कारण व्यवस्था चरमराई रहती है। बल की कमी का रोना रोने वाली यातायात पुलिस में करीब 209 का फोर्स है लेकिन ये बल सडक़ों से गायब रहता है। अगर इस बल में से चंद पुलिस जवानों को ही प्रमुख चौराहों में सिर्फ यातायात व्यवस्थाएं सुधारने तैनात कर दिया जाये तो काफी हद तक यातायात सुधर सकता है। लेकिन ये बल सिर्फ वीआईपी मूवमेंट, पर्वों में नजर आता है या फिर कभी कभार चालानी कार्रवाई या अवैध कब्जों को हटाते हुए दिखता है। कुछ जगहों पर जरूर तैनाती होती है, लेकिन वे अपने काम के प्रति सजग नहीं रहते हैं। ऐसे में आम राहगीर परेशान होते रहते हैं। विदित हो कि बढ़ती आबादी के साथ शहर की सडक़ों पर प्रतिमाह नये लगभग 1000 फोर व्हीलर एवं 3000 टूव्हीलर वाहन आ रहें हैं इस प्रकार हर माह जबलपुर की सडक़ों पर 4000 वाहनों का इजाफा हो रहा है। जिसके चलते शहर में हर दिन ट्रैफिक दबाव बढ़ता जा रहा है।
मालवीय चौक यातायात थाना-
पद – संख्या
डीएसपी – 1
थाना प्रभारी – 1
सूबेदार – 1
सब इंस्पेक्टर – 1
एएसआई – 10
प्रधान आरक्षक – 24
आरक्षण – 54
कुल योग – 92
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घमापुर यातायात थाना-
पद – संख्या
थाना प्रभारी – 1
सूबेदार – 3
सब इंस्पेक्टर – 0
एएसआई – 6
प्रधान आरक्षक – 10
आरक्षण – 50
कुल योग – 70
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गढा यातायात थाना-
पद – संख्या
डीएसपी – 1
थाना प्रभारी – 1
सूबेदार – 3
सब इंस्पेक्टर – 0
एएसआई – 7
प्रधान आरक्षक – 5
आरक्षण – 30
कुल योग – 47
रस्म अदायगी नहीं, मुस्तैदी से करनी होगी ड्यूटी
वर्तमान में यातायात पुलिस और ननि कार्रवाई के नाम पर रस्म अदायगी कर रही है। अतिक्रमण हटाने, अवैध तरीके से खड़े वाहनों पर कभी कभार कार्रवाई जरूर होती है लेकिन दूसरे ही दिन ये अतिक्रमण पुन: जम जाते है। सडक़ों से यातायात पुलिस ने दूरी बना ली है। शहर में यातायात व्यवस्था बेहतर एवं सुगम बनाने बाजारों, जहां जाम अधिक लगता है वहां पुलिस को मुस्तैदी से ड्यटी करना होगा। बीट सिस्टम या फिर कोई नवाचार करके यहां पुलिस फोर्स की तैनाती चालानी कार्रवाई नहीं सिर्फ ट्रैफिक व्यवस्थाएं सुधारने के उद्देश्य से करना होगा। इसके साथ ही चौराहे-तिराहे एवं यातायात दबाव वाले क्षेत्र में लगातार यातायात का बल उपस्थित करने के साथ नियमों का उल्लंघन करने वालों पर भी सख्ती बरतना चाहिए। नगर निगम से समन्वय स्थापित कर लेफ्ट टर्नकब्ज मुक्त बनाने फोकस होना चाहिए। अगर ऐसा होता है तो काफी हद तक यातायात व्यवस्था सुधर सकती है।
बगैर हेलमेट-सीट बेल्ट के भर रहे फर्राटा
पुलिस अधीक्षक आदित्य प्रताप सिंह द्वारा नवाचार कर 1 जनवरी 2024 से हेलमेट और सीट बेल्ट जोन बने। दो पहिया वाहनों को हेलमेट और चार पहिया वाहनों को सीट बेल्ट लगाना अनिवार्य हुआ। कुल 5 जोन शहर के अंदर बने। पहला जोन सदर मेन रोड पैंटी नाका चौक से गणेश चौक तक, दूसरा चुंगी नाका से इलाहबाद चौक तक, तीसरा जोन छोटी लाईन से आजाद चौक तक, चौथा जोन त्रिपुरी चौक से पिसन हारी मढिया और पांचवां अहिंसा चौक से स्टेट बैंक चौराहे तक जोन बना लेकिन अब यहां से भी पुलिस गायब है और लोग बगैर हेलमेट, सीट बेल्ट के फर्राटा भर रहे है।
चैकिंग, चालानी कार्रवाई में व्यस्त
यातायात पुलिस केे पास ट्रैफिक व्यवस्था संभालने और शहर के विभिन्न स्थानों में पहुंचकर चैकिंग लगाकर कार्रवाई की जिम्मेदारी है। लेकिन चैकिंग में अधिक स्टाफ जाने के बाद यातायात व्यवस्था के लिए कोई नहीं बचता है। जिससे उन्हें इतना समय नहीं मिलता कि वह शहर के हर चौक-चौराहे की व्यवस्था देख सकें। इससे लगातार प्रतिदिन जाम से लोगों को परेशान रहना पड़ता है। अब स्थिति ये है कि कब किस चौक पर जाम लग जाए यह नहीं कहा जा सकता। जब वाहनों की लाइनें लगती हैं, तभी यातायात पुलिस को पता चलता है और काफी देर बाद जाम खुलवाने पहुंचते हैं।