ये जबलपुर का आरटीओ दफ्तर साहब… यहां दलालाें की चलती है… पढ़े…पूरी खबर
जबलपुर यशभारत।
आरटीओ कार्यालय में यदि आपने गाड़ी से संबंधित कार्यों के लिए कदम रखा तो आपको बगैर दलालों से मिले कोई भी कार्य यहां पर संभव नहीं है। यदि आप दलाल से नहीं मिले तो आपको यहां के चक्कर काटना कोई बड़ी बात नहीं है। उल्लेखनीय है कि आला अधिकारी भले ही समय- समय पर दलाली को रोकने के लिए कड़े दिशा निर्देश देते हों पर आरटीओ कार्यालयों में महत्वपूर्ण फाइलों तक दलालों का दखल है। लाइसेंस बनवाने से लेकर भारी भरकम चालान को कम करवाने में दलालों को महारथ हासिल है।
यहां से शुरू होता है चक्कर कटवाना
आरटीओ कार्यालय में जब वाहन मालिक जैसे-जैसे संबंधित खिड़की पर जाता है वहीं से उसकी परेशानियां का दौर चालू हो जाता है। खिड़की पर बैठने वाले कर्मियों द्वारा उसे दलाल तक पहुंचने के लिए बोलता है कि आप फला नंबर खिड़की पर जायें जब उस खिड़की पर पहुंचता है तो उसको वहां से भी पहले कर अन्य खिड़कियों में भेजा जाता है। ऐसी स्थिति में थक हार कर वाहन मालिक दलालों की शरण में चला जाता है और फिर यहां से उसकी जेब ढीली होना चालू हो जाती है।
आरटीओ के दलालों द्वारा संबंधित व्यक्ति से यह बोला जाता है कि आप कागजात व पैसे दे दें आपका काम फलां दिन हो जाएगा। इस तरह से आरटीओ से संबंधित काम करने वाले दलाल फिर संबंधित कर्मचारी अधिकारियों की जी हजूरी कर वाहन मालिक का काम आसानी से कर लेते हैं। बता दें कि आरटीओ कार्यालय में दलाली रोकने के लिए शासन स्तर से तमाम दिशा निर्देश दिए जाते हैं। बावजूद इसके आरटीओ कार्यालय में दलालों के बगैर एक पत्ता तक नहीं हिलता है। इस संबंध में सूत्र बताते हैं कि जैसे ही आरटीओ कार्यालय खुलने का समय होता है वैसे-वैसे दल वालों की फौज यहां सक्रिय होते हुए वह अपना यह कारोबार शुरू कर देते हैं। आरटीओ कार्यालय के सूत्र बताते हैं कि लाइसेंस बनवाने को विभाग पहुंचने वाले साधारण व्यक्ति को जिम्मेदार कर्मचारी इतनी औपचारिकताएं बता देते हैं कि वह दोबारा कार्यालय जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाता। ऐसे में कार्यालय से बाहर निकलकर वह दलालों के पास पहुंचता है और कागजात व पैसे सौंपकर निश्चिंत हो जाता है। कुछ ही दिनों बाद आवेदक का लाइसेंस बनकर तैयार हो जाता है। यही नहीं वाहनों का टैक्स आदि जमा करने सहित विभिन्न कार्य दलालों के माध्यम से ही होते हैं। ऐसा ही नहीं कई दलाल तो सरकारी कर्मचारियों की तरह विभागीय कामकाज निपटाते हुए देखे जा सकते हैं। अधिकारी व कर्मचारी भी उस पर पूर्ण विश्वास करते हैं। शाम पांच बजने के बाद एक दो घंटे तक कर्मचारी व दलाल अतिरिक्त कामकाज निपटाते हैं। अधिकारियों के निर्देशों से हर कोई वाकिफ है बावजूद इसके दलालों की सक्रियता तमाम सवाल खड़े कर रही है। जिस और वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा है।