आरक्षित वर्ग के मेरिटोरियस छात्रों को अनारक्षित मे चयन से रोकने वाले मध्य प्रदेश हाईकोर्ट को स्टे किया सुप्रीम कोर्ट ने
जबलपुर, यशभारत। सुप्रीम कोर्ट मे हाईकोर्ट के 1255 पदों पर की जा रही नियम विरुद्ध भर्ती को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई 14/02/2023 को जस्टिस अजय रस्तोगी तथा जस्टिस वेला एम. त्रिवेदी की खंड पीठ द्वारा की गई ! उक्त याचिका आरक्षित वर्ग के मेरिटोरियस अभ्याथियो द्वारा हाईकोर्ट की डिवीज़न बैच के जस्टिस शील नागु तथा जस्टिस वीरेंदर सिंह के आदेश की वैधता को चुनौती दीं गई है! हाईकोर्ट ने 77 अंक प्राप्त करने बाले सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा के योग्य तथा 81 अंक प्राप्त करने बाले ओबीसी अभ्यर्थियों को अयोग्य करार दिया है ! सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के दो डिवीजन बैच के फैसलो मे भिन्नता पाई है !
मध्य प्रदेश के जिला न्यायलयो मे स्टेनों तथा सहायक ग्रेड तीन के 1255 पदों पर की जाने भर्ती प्रक्रिया की संवैधानिकता को हाईकोर्ट की डिवीजन बैच मे चुनौती दीं गई थी उक्त याचिका क्रमांक 8750/2022 मे जस्टिस सूजय पॉल तथा जस्टिस डी.डी. वंशल द्वारा PSC परीक्षा 2019 के सम्वन्ध मे दायर याचिका क्रमांक 807/2021 मे दिनांक 7/4/22 को आदेश पारित करके इंद्रा शहनी बनाम भारत संघ के प्रकरण के अनुसार तथा आरक्षण अधिनियम की धारा 4(4) की व्याख्या करके जस्टिस सुजय पॉल एवं जस्तीस बंसल की खंडपीठ ने व्यस्था दीं थी की परीक्षा के प्रत्येक चरण मे (प्रारंभिक तथा मुख्य ) अनारक्षित सीटों को सिर्फ प्रतिभावान् छात्रों से ही भरा जाएगा, चाहे वो किसी भी वर्ग के हो जबकि हाईकोर्ट ने उक्त फैसले के विपरीत प्रारंभिक परीक्षा का रिजल्ट जारी किया गया जिसमे 77 अंक प्राप्त करने वाले समान्य वर्ग के छात्रों को मुख्य परीक्षा के लिए चयनित कर लिया गया
तथा 78 से 81 अंक प्राप्त करने बाले आरक्षित वर्ग के ओबीसी छात्रों को फेल कर दिया गया तब अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने हाईकोर्ट द्वारा की जाने वाली भर्ती को हाईकोर्ट मे हाईकोर्ट के विरुद्ध याचिका दायर करके चुनौती दी गई थी! जिसमे हाईकोर्ट के जस्टिस शील नागु तथा जस्टिस वीरेंदर सिंह ने याचिका ख़ारिज कर दीं तथा कहा की आरक्षित वर्ग को परीक्षा के अंतिम चरण मे आरक्षित वर्ग के मेरिटोरियस छात्रों को अनारक्षित मे कंसीडर किया जाएगा ! हाईकोर्ट के उक्त आदेश की वैधता को रामेश्वर सिंह ठाकुर एवं विनायक शाह द्वारा सुप्रीम कोर्ट मे चुनौती दी गई जिसमे मुख्य आधार यहवठा की , हाईकोर्ट की डिवीजन बैच ने जुडीसियल डिसीप्लेन को नजर अंदाज करते हुए हाईकोर्ट की दूसरी डिवीज़न बैच के आदेश से असंगत फैसला पारित करके जस्टिस शील नागु तथा जस्टिस वीरेंदर सिंह की डिवीज़न बैच ने त्रुटि की है ! यदि जस्तीस शील नागु दूसरी डिवीजन बैच से सहमत नहीं थे तो उन्हें उक्त मामले को चीफ जस्तीस को रिफर करके लर्जर बैच गठित करने की अनुशंसा करना चाहिए थी !
जस्टिस शील नागु तथा जस्टिस वीरेंदर सिंह द्वारा याचिका क्रमांक 8750/2022 मे दिनांक 02/01/2023 के विरुद्ध, सुप्रीम कोर्ट मे SLP (C) 1868/2023 दाखिल की गई है उक्त याचिका मे सुप्रीम ने तीसरी सुनवाई 14 फरबरी को की गई, जस्टिस अजय रस्तोगी तथा जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी की खंडपीठ ने हाईकोर्ट के आदेश बको स्थगित करते हुए याचिका कर्ताओ को मुख्य परीक्षा मे शामिल करने का आदेश दिया गया है तथा हाईकोर्ट को तीन सप्ताह मे एफिडेविड दाखिल करने का समय दिया गया है ! याचिका मे सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता निखिल नैय्यर रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायक शाह, समृद्धि जैन ने पक्ष रखा !
👉हाईकोर्ट को समानता के आधार पर उन सभी याचिका कर्ताओ को भी परीक्षा मे शामिल करना पड सकता है जिन 12 याचिकाओ मे याचिका क्रमांक 8750/2022 का आदेश लागु किया गया है !