
जबलपुर। शीर्षक उनके लिए जो खाकी वर्दी का सम्मान नहीं करते और उनके लिए भी जो नागरिकों की सुरक्षा के लिए वर्दी तो पहन लेते हैं लेकिन उनके साथ ही बदसलूकी करते हैंं। दरअसल जिले में कानून व्यवस्था कैसी है ये किसी से छिपी नहीं है, हर दिन लूट, चोरी, हत्याओं से लेकर महिला संंबंधित अपराधों का ग्राफ दिन-ब-दिन बढ़ता चला जा रहा हैं, अपराधों पर अंकुश लगाने पुलिस कार्रवाई भी करती है, लेकिन बीते कुछ दिनों से पुलिस और पब्लिक के बीच बढ़ती झड़प और बदसलूकी चिंताजनक है। वर्दी का अपना एक मान-सम्मान है, वर्दी खाकी है तो सम्मान की बात ही अलग है, देशभक्ति और जनसेवा करने वाली पुलिस को यह बात समझना होगी कि जब वर्दी पहनी थी तो उन्हों नागरिकों की हिफाजद, ईमानदारी, कर्तव्य निष्ठा का संकल्प लिया था।
लेकिन मई-अप्रैल माह में कुछ ऐसे मामले सामने आए जिसमें पुलिस की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आ गई है। लोगों की हिफाजत करने वाली पुलिस कभी चेकिंग के नाम पर अभद्रता कर रही है तो किसी को भरे बाजार से घसीटते हुए थाने ले जा रही है इतना ही नहीं थाने में पिटाई भी कर रही है। इसी प्रकार आम नागरिकों को भी वर्दी का मान सम्मान करने की जरूरत है, पुलिस जवान उनकी सुरक्षा के लिए ही दिन रात ड्यूटी करते है। दिन हो या रात, त्यौहार हो या कोई विशेष अवसर पर वे अपनो से दूर होकर नागरिकों की सुरक्षा में लगे रहते है।
अगर बीते कुछ दिनों में हुई घटनाओं पर नजर दौड़ाई जाएं तो 27 अप्रैल को भारतीय जनता युवा मोर्चा भाजयुमो के नेता ने तिलवारा पुलिस ने पर पिटाई का आरोप लगाया था। जबकि पुलिस ने भाजपा नेता पर बदसलूकी का आरोप लगाया था। मामले में दो जवानों को सस्पेंड भी किया गया। 11 मई की रात मझगवां थाना प्रभारी और स्टॉफ के बीच झड़प का वीडियो सोशल मीडिया वायरल हुआ। 26 अप्रैल को माढ़ोताल थाने के बाहर लगी चेकिंग के दौरान पुलिस और अधिवक्ताओं के बीच झड़प हुई। हाथापाई तक हुई। जिसके बाद खाकी और काला कोर्ट पहनने वाले दोनों पर काउंटर केस दर्ज हुआ। इसके अलावा संजीवनी नगर 24 अप्रेल को संजीवनी नगर थाना अंतर्गत रेल्वे अंडर ब्रिज एवं जसूजा सिटी के बीच चेकिंग के दौरान बिना हेलमेट, घूूम रहे व्यक्ति का चालान काटा गया तो उसने अपने पुत्र को बुला लिया जिसके बाद उसने एएसआई की वर्दी उतरवाने की धमकी दे डाली थी।
तो अपराधियों में कम, नागरिकों में दिखेगा खौफ
पुलिस अधिकारियों द्वारा भी आए दिन अधीनस्थों की बैठकें ली जाती है जिसमें वे सख्त लहजे में कहते नजर आते है कि हमारी कार्यवाही निष्पक्ष होना चाहिए, हमारा प्रमुख उद्देश्य शांति-सुरक्षा व्यवस्था बनाना और नागरिकों में पुलिस के प्रति सुरक्षा का भाव और बदमाशों में पुलिस का खौफ होना चाहिए। लेकिन कुछ अधिकारों के निर्देशों का मजाक उड़ाकर अनुशासन को तार-तार कर रहे है, लोगों की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाली पुलिस वर्दी की धौंस दिखाकर अभद्रता, मारपीट पर उतारू हो जाते है।। अगर ऐेसी घटनाएं नहीं रूकी तो वो दिन दूर नहीं हागा जब पुलिस का खौफ अपराधियों में कम और आम नागरिकों में अधिक दिखने लगेगा।