वीयू के चिकित्सकों ने बिल्ली-बकरी और गाय को दिया जीवनदानः गाय के मुंह में विस्फोट हुआ , बिल्ली को कुत्ते ने ऐसा नोंचा की आंते निकल आई बाहर
जबलपुर, यशभारत। वेटरनरी विवि के चिकित्सकों ने एक बार फिर मूक पशुओं को जीवनदान देने का काम किया है। बुरी तरह से घायल हो चुकी गाय, बकरी और बिल्ली का सफल आॅपरेशन कर उनकी जान बचाई गई। एक गाय के मुंह में विस्फोट होने की वजह खून बह रहा था तो वहीं बिल्ली को कुत्ते ने ऐसा नोंचा था उसकी आंते बाहर निकल आई थी। जबकि बकरी सड़क दुर्घटना में घायल हो गई थी।
जानकारी के अनुसार वीयू अन्तर्गत कुलपति डाॅक्टर सीता प्रसाद तिवारी के दिशा निर्देशन में संचालित वसीसी जबलपुर के शल्य चिकित्सा विभाग में आये एक साथ तीन इमर्जेंसी केस
शल्य चिकित्सा विभाग में शनिवार को एक साथ तीन इमर्जेंसी केस आ गये. भैरव घाट, तहसील शाहपुरा से शनिवार की सुबह एक गाय को पशु चिकित्सालय परिसर जबलपुर में भर्ती कराया गया। खेतों में आवारा पशुओं को दूर रखने के लिए विस्फोटक रखे जाते हैं, 2 दिन पूर्व वहां एक गाय भोजन करने के कारण उसके मुंह में विस्फोटक फट गया था जिससे कि उसके मुंह में गंभीर चोट लगी थी । इसके कारण गाय के मुंह एवं नाक से काफी रक्त स्राव हुआ एवं मुंह की पार्श्व दीवार पूरी तरह से बाधित हो गई थी।
गाय को तुरंत ही आईवी फ्लुएड एंटीबायोटिक एवं दर्द कम की दवाईयां दी
गाय को तुरंत ही आईवी फ्लुएड एंटीबायोटिक एवं दर्द कम करने के लिए दवाइयां दी गई तत्पश्चात लगभग 3 घंटे के आॅपरेशन के पश्चात मुख की पार्श्व दीवार का पुनर्निर्माण सफलतापूर्वक किया गया। शल्य प्रक्रिया के पश्चात गाय को छुट्टी दे दी गई एवं गाय के मालिक द्वारा परिणाम से बहुत खुशी एवं संतुष्टि व्यक्त की गई। इसी प्रकार एक बिल्ली के बच्चे का केस भी प्रस्तुत किया गया जिसको 2 दिन पूर्व दो-तीन कुत्तों ने काट लिया था जिससे कि उसकी आते बाहर आ गई थी। आते लगभग 2 दिन से बाहर खुली पड़ी थी इसलिए तत्काल शल्य चिकित्सा करना जरूरी था अतः लगभग 1 घंटे की शल्य चिकित्सा प्रक्रिया के बाद आंतों को सफलतापूर्वक साफ करके दोबारा से अंदर डाला गया एवं घाव को टांके लगाकर ठीक किया गया।
बकरी 5 माह की गाभिन थी
तीसरा केस एक बकरी का था जो कि 5 माह की गाभिन थी जिसकी किसी गाड़ी से टक्कर के उपरांत रेक्टल प्रोलेप्स हो गया था एवं उसकी आते गुदाद्वार से बाहर आने लगी थी। क्योंकि बकरी 5 माह की गाभिन थी अतः तुरंत शल्य चिकित्सा जरूरी थी अन्यथा उसकी गर्भावस्था में दिक्कत हो सकती थी इसलिए तुरंत ही उसकी रेक्टल प्रोलेप्स को सफलतापूर्वक ठीक करके टांके लगाए गए तीनों में केस में बहुत अच्छी रिकवरी देखने को मिली। उक्त शल्य क्रियाओं के लिए डाॅक्टर अपरा शाही, समन्वयक पशु चिकित्सा परिसर द्वारा डाॅक्टर रणधीर सिंह, डाॅ बबीता दास, डाॅ अपूर्वा मिश्रा एवं पीजी स्टूडेंट डाॅ प्रियंका शिंदे, राम्यावनी, मयंक वर्मा, शशांक विश्वकर्मा, सुरभि बुनकर, देवेंद्र पाटीदार एवं जगदीश मरावी की 3 टीम बनाकर उक्त तीनों आॅपरेशन हो सफलतापूर्वक किया गया तथा पशु स्वास्थ्य लाभ मिल रहा है। कुलपति द्वारा समय-समय पर हाॅस्पिटल का निरीक्षण तथा वहां के चिकित्सक एवं कर्मचारियों को 7 दिन 24 घंटे समाज सेवा हेतु कार्य करने प्रेरित करना ही ऐसी आपातकालीन स्थिति को सकारात्मक अंजाम देने हेतु कारगर सिद्ध हुआ।