कटनीजबलपुरमध्य प्रदेश

1247 करोड़ की लागत से कटनी में बन रहा देश का सबसे लंबा ग्रेड सेपरेटर

मार्च तक पूरा हो जाएगा उड़ता जंक्शन का वन साइड वर्क 676 पिलर पर रहेगा ब्रिज का भार, गार्डर शिफ्टिंग का काम तेज

कटनी, यशभारत। लगभग 1247 करोड़ की लागत से कटनी में बनाये जा रहे देश के सबसे लंबे ग्रेड सेपरेटर फ्लाई ओव्हर ब्रिज में एक साइड का काम अप्रैल 2024 तक पूरा होने की उम्मीद है। रेल सूत्रों के मुताबिक निर्माण एजेंसी मार्च 2024 में वन साइड ट्रेक शुरू कर देने के टारगेट पर काम कर रही हैं। वर्तमान में पिलर के ऊपर गार्डर शिफ्ट करने का काम तेजी से चल रहा है। कम्प्लीट हो जाने के बाद यह ब्रिज कटनी को दुनियां के रेल मानचित्र में खास पहचान दिला देगा। नीचे से पैसेंजर ट्रेन और ऊपर से गुड्स ट्रेनें गुजरने का नजारा भी खूबसूरत होगा। सूत्र बताते हैं कि ब्रिज बनने से रेलवे को परिवहन में करोड़ों की आमदनी होगी साथ ही रेल ट्रैफिक रोकने से होने वाली दिक्कतों से भी बचा जा सकेगा।

सूत्रों का कहना है कि परियोजना का कार्य दिसंबर 2023 तक पूरा होने के लक्ष्य के साथ निर्माण एजेंसी आगे बढ़ रही थी लेकिन मार्ग की बाधाओं को हटाने और पाइलिंग के काम में वक्त लगने के कारण कार्य विलम्ब हुआ है। फिर भी इरकॉन कम्पनी का लक्ष्य है कि मार्च 2024 तक एक साइड का काम पूरा कर लिया जाए। पश्चिम मध्य रेलवे के जबलपुर मंडल में कटनी बीना रेल खंड पर इस रेल ओवर ब्रिज आरओबी के निर्माण से मालगाडिय़ों के निर्बाध परिचालन में गति आएगी और समय की बचत भी होगी। इस ग्रेड सेपेरेटर से बिलासपुर, सिंगरौली और बीना रेलखंड पर मालगाडिय़ों को कटनी में स्टेशनों के ऊपर ही ऊपर सुगमता से निकाला जा सकेगा। रेल सूत्रों के मुताबिक कटनी में बीना, सतना, जबलपुर, सिंगरौली और शहडोल की ओर रेल लाइनों का जाल बिछा हुआ है। ऐसे में ट्रैफिक अधिक होने की वजह से ट्रेनों को आउटर पर रोकना पड़ता हैं। गुड्स ट्रेनों को रोकने से कई तरह के नुकसान सामने आये हैं। जानकारी के मुताबिक वर्तमान में कटनी से बीना की ओर 75, सिंगरौली की ओर 20 तथा बिलासपुर की ओर 85 ट्रेनें रोज चल रही हैं। इस स्थिति में कटनी में रेल ट्रैफिक बढ़ा हुआ है। सूत्रों ने यह भी बताया कि इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पूर्व में कार्ड लाइन का निर्माण किया गया लेकिन इसका खास फायदा रेलवे को समझ नही आया। इस वजह से ग्रेड सेपरेटर ओव्हर ब्रिज बनाने की योजना पर काम शुरू हुआ। रेलवे के इस ओवरब्रिज को उड़ता जंक्शन के नाम से पहचाना जाने लगा है। हालांकि आधिकारिक तौर पर इसे कटनी ग्रेड सेपेरेसन का नाम दिया गया है। यह ओवर ब्रिज मालगाडिय़ों को गति देने के लिए कटनी बीना रेलखंड पर बिछाई गई थर्ड लाइन पर बनाया जा रहा हैण् इस ओवर ब्रिज में अप और डाउन का रेलवे ट्रेक है जिससे गुड्स ट्रेनों की आवाजाही होगी।
इस तरह बन रहा है ग्रेड सेपरेटर
0 पड़रिया से मझगवां फाटक तक कटनी ग्रेड सेपरेटर की कुल लंबाई 34.9 किमी है।
0 ग्रेड सेपरेटर में वॉयडक्ट 17.8 किमी, रिटेनिंग वॉल 3.2 किमी, अर्थवर्क 13.9 किमी पर ग्रेड सेपरेटर का निर्माण कार्य किया जा रहा है।
0 ग्रेड सेपरेटर में कुल 676 पिलर्स, अब्यूटमेंट्स, 8 रेल ओवर ब्रिज आरओआर, 6 मेजर ब्रिज निर्माण कार्य के साथ एलिवेटेड डेक पर पॉइंट्स और क्रासिंग का भी कार्य किया जा रहा है।
एक नजर
20 दिसंबर 2020 से निर्माण कार्य शुरू हुआ।
1247 करोड़ रुपए की लागत से बन रहा कटनी ग्रेड सेपरेटर
676 खंभों के ऊपर टिकेगा पूरा ग्रेड सेपरेटर
ग्रेड सेपरेटर की कुल लंबाई 34.09 किलोमीटर है।
देश में इतना लंबा बायपास और कहीं नहीं है।
4.62 किमी लंबा ब्रिज, अभी केरल में इडापल्ली के वलरपदम में है।
यह देश का ही नहीं बल्कि एशिया का सबसे लंबा रेलवे ब्रिज होगा।
इस परियोजना को उड़ता जंक्शन के नाम से भी जाना जाता है।

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