जबलपुरमध्य प्रदेशराज्य

सिहोरा की सिंघाड़ा मंडी सबसे बड़ी फिर भी प्रोसेसिंग यूनिट नहीं

 

8 2 3
जबलपुर । जिले में सिंघाड़े का भरपूर उत्पादन हो रहा है। महाकोशल, बुंदेलखंड अंचल में उपजे अच्छी गुणवत्ता के सिंघाड़े की महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़ समेत कई और राज्यों की मंडी में खासी मांग है। बड़े स्तर पर सिंघाड़े का उत्पादन होने के बावजूद जिले में उसकी प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करने की दिशा में प्रयास नहीं हुए। जबलपुर का सिंघाड़ा ब्रांड बन सकता है।
विशेषज्ञों के अनुसार यहां का सिंघाड़ा दूसरे राज्यों की मंडी में जाने के बाद प्रोसेसिंग और पैकेजिंग के बाद दूसरे ब्रांडों के नाम पर बिकता है। प्रोसेसिंग व पैकेजिंग करने वालों को सिंघाड़ा के आटा, नमकीन, अचार की अच्छी कीमत मिलती है। सिंघाड़ा स्वादिष्ट होने के साथ सेहत का खजाना होता है। यही कारण है कि सिंघाड़ा का उपयोग कई प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन तैयार करने के लिए किया जाता है। सिंघाड़ा का हलुआ, सब्जी, अचार, पूड़ी समेत कई और व्यंजन बनाए जा रहे हैं। उपवास में फलाहार के लिए सिंघाड़ा के स्वादिष्ट आलू बंडे, खीर समेत कई और व्यंजन तैयार किए जाते हैं।
अच्छी आय का साधन-जिले में दो हजार से ज्यादा किसान सिंघाड़ा का उत्पादन करते हैं। सीजन में 60 हजार रुपए के लगभग प्रति एकड़ आय होती है।
सिहोरा स्थित सिंघाड़ा मंडी प्रदेश की प्रमुख मंडियों में से एक है। इस मंडी से सिंघाड़ा राजस्थान, दिल्ली, गुजरात मुंबई, महाराष्ट्र के भुसावल, जलगांव की मंडियों में जाता है। सिहोरा मंडी में पन्ना, दमोह, कटनी खजुराहो से भी सिंघाड़ा आता है। यहां के सिंघाड़े की गुणवत्ता बहुत अच्छी मानी जाती है। लेकिन जबलपुर के सिंघाड़े को ब्रांड बनाने की दिशा में प्रयास नहीं हुए हैं।

 

Yash Bharat

Editor With मीडिया के क्षेत्र में करीब 5 साल का अनुभव प्राप्त है। Yash Bharat न्यूज पेपर से करियर की शुरुआत की, जहां 1 साल कंटेंट राइटिंग और पेज डिजाइनिंग पर काम किया। यहां बिजनेस, ऑटो, नेशनल और इंटरटेनमेंट की खबरों पर काम कर रहे हैं।

Related Articles

Back to top button