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Sex किये बगैर किया गया यौन उत्पीड़न भी बलात्कार, बॉम्बे हाई कोर्ट का अहम फैसला

मुंबई
बॉम्बे हाई कोर्ट ने बलात्कार के जुर्म में 33 वर्षीय व्यक्ति की सजा को बरकरार रखते हुए कहा कि यौन संबंध बनाए बगैर भी किया गया यौन उत्पीड़न भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के तहत बलात्कार की परिभाषा के तहत आता है। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते-डेरे ने 2019 में निचली अदालत द्वारा एक व्यक्ति को सुनायी गयी 10 साल के कठोर कारावास की सजा को भी बरकरार रखा।

पिछले महीने सुनाए गए फैसले में न्यायाधीश ने सत्र अदालत के आदेश को चुनौती देने वाले व्यक्ति की अपील को खारिज कर दिया। सत्र अदालत ने व्यक्ति को मानसिक रूप से कमजोर महिला से दुष्कर्म करने का दोषी ठहराया था।

अपील में दलील दी गयी कि उसके और पीड़िता के बीच यौन संबंध नहीं बना था। लेकिन उच्च न्यायालय ने कहा कि फॉरेंसिक जांच में यौन उत्पीड़न का मामला साबित हुआ है।

उच्च न्यायालय ने कहा, ‘यौन उत्पीड़न की घटना जहां हुई थी उस जगह से मिट्टी के लिए गए नमूने तथा आरोपी के कपड़े और पीड़िता के शरीर पर मिले मिट्टी के अंश मेल खाते हैं। फॉरिेंसिक रिपोर्ट में इसकी पुष्टि हुई। यह सबूत अभियोजन के मामले को साबित करता है कि महिला का यौन उत्पीड़न हुआ।’

 

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