मक्के के लिए संजीवनी तो उड़द-मूंग के लिए बर्बादी का कारण बनी वर्षा दलहनी फसलें बर्बाद
Rain proved to be a lifesaver for maize and a cause of destruction for black gram and moong; pulse crops were ruined

मक्के के लिए संजीवनी तो उड़द-मूंग के लिए बर्बादी का कारण बनी वर्षा दलहनी फसलें बर्बाद
जबलपुर यशभारत।बीते दिनों से जिले में हो रही झमाझम बारिश से जहां मक्का की खेती करने वाले किसानों के लिए यह बारिश संजीवनी बन गई वहीं जिन किसानों कि अभी भी खेतों में उड़द मूंग की फसल खड़ी हुई है उनके चेहरों में मायूसी हुई है। उड़द मूंग की खेती करने वाले किसान बारिश के रुकने का इंतजार कर रहे हैं तो मक्का की खेती करने वाले किसान के चेहरों में खुशी झलक रही है। वही जो किसान मक्का की बुवाई नहीं कर पाए थे वह पछता रहे हैं। किसानों के अनुसार यदि मौसम इसी तरह रहता हो इस वर्ष मक्का की अच्छी पैदावार होने की संभावना जताई जा रही है।बता दें कि कुछ दिनों से हो रही बारिश के कारण भले ही उड़द मूंग की फसल को नुकसान हुआ हो। मगर मक्का फसल के लिए संजीवनी बनी है। पानी के अभाव में सूख रही फसलों को देख जहां किसानों के चेहरे पर चिता की लकीर दिखाई दे रही थी अब खुशी में बदल गई है। मक्का उत्पादक किसानों ने बताया कि खेतों में ट्यूबवेल के माध्यम से मक्के की बोवाई किए थे। पौधे भी अच्छे निकले, लेकिन विकास की गति ठहर सी गई थी। लेकिन इस बारिश से न सिर्फ फसलों की रंगत बदल गई है। बल्कि अच्छे पैदावार की संभावना भी जागृत हुई है।
इस वर्ष जिले में 55 हजार हेक्टेयर में मक्का खेती की गई है वहीं 78105 हेक्टेयर में उड़द मूंग की फसल लगाई गई है।यहां के अधिकांश किसान इलाके में नहर की व्यवस्था नहीं होने के चलते बहुतायत मात्रा में मक्का की खेती करते हैं। मक्का की खेती करने वालों ने बताया कि मक्का फसल के लिए यह बारिश संजीवनी साबित होगी। मौसम इसी तरह मेहरबान रहा तो इस बार इलाके में मक्के की बंपर पैदावार होगी।