शराब दुकान के विरोध में गुप्तेश्वर मंदिर के पास उभरा जन आक्रोश,
स्थानीय जनता का सड़क पर प्रदर्शन

शराब दुकान के विरोध में गुप्तेश्वर मंदिर के पास उभरा जन आक्रोश,
स्थानीय जनता का सड़क पर प्रदर्शन
जबलपुर, यश भारत। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के स्पष्ट आदेश के बावजूद, जिसमें मंदिरों और विद्यालयों के 100 मीटर के दायरे में शराब की दुकान खोलने पर रोक लगाई गई थी, जबलपुर के गुप्तेश्वर रोड पर धार्मिक स्थल और विद्यालय के नजदीक शराब की दुकान खोले जाने पर स्थानीय जनता का आक्रोश फूट पड़ा। गुप्तेश्वर मंदिर और पास के एमजीएम स्कूल के समीप खोली गई इस शराब दुकान को लेकर क्षेत्रीय जनता और गुप्तेश्वर मंदिर के पुजारी ने कड़ा विरोध जताया। विरोध प्रदर्शन में महिलाओं, बच्चों, युवाओं, और बुजुर्गों ने सड़कों पर उतरकर शराब दुकान को हटाने की मांग की।
जनता का आक्रोश और प्रशासन पर आरोप
विरोध प्रदर्शन में शामिल लोगों ने आरोप लगाया कि शराब दुकान मूल स्थान से हटाकर जानबूझकर धार्मिक स्थल और विद्यालय के पास स्थापित की गई है। स्थानीय निवासी और पुजारी ने बताया, गुप्तेश्वर मंदिर और पिपलेश्वर मंदिर जैसे धार्मिक स्थलों के पास शराब की दुकान खोलकर जनता की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई जा रही है। यहां सुबह-शाम शराब पीने वालों की भीड़ लगी रहती है, जिससे महिलाएं और बच्चियां असुरक्षित महसूस करती हैं।
आम जनता ने यह भी आरोप लगाया कि शासन-प्रशासन शराब ठेकेदारों के दबाव में काम कर रहा है। उन्होंने कहा, मुख्यमंत्री के आदेश और भारतीय जनता पार्टी की शराबबंदी की नीति के बावजूद मंदिर और स्कूल के पास शराब दुकान खोलना न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि हमारी धार्मिक भावनाओं पर प्रहार है।
भूख हड़ताल की चेतावनी
स्थानीय निवासियों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों को जल्द से जल्द नहीं सुना गया, तो वे भूख हड़ताल पर बैठेंगे। प्रदर्शनकारी महिलाओं ने कहा,यहां के गरीब लोग पहले ही शराब के कारण परेशान हैं। शराब पीने वाले सड़क पर पड़े रहते हैं, जिससे बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा खतरे में रहती है।
सरकार और प्रशासन से मांग
प्रदर्शनकारियों ने शराब दुकान को पुराने स्थान पर स्थानांतरित करने की मांग की और स्पष्ट किया कि जब तक प्रशासन कार्रवाई नहीं करता, विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा। प्रदर्शनकारी जनता ने कहा कि उनकी लड़ाई धार्मिक और सामाजिक मूल्यों की रक्षा के लिए है। उन्होंने प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे अनिश्चितकालीन आंदोलन करेंगे। यह विरोध प्रदर्शन सरकार और प्रशासन के लिए एक चेतावनी है कि जनता की मांगों को नजरअंदाज करना अब संभव नहीं होगा।