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1 लाख 30 हजार हेक्टेयर में धान की नर्सरी से होती है रोपाई बारिश से किसानों के चेहरे खिले. धान की तैयारी में जुटे किसान

धान की अच्छी उपज के लिए उपसंचालक कृषि ने दी किसानों को सलाह

जबलपुर यशभारत।
खरीफ की फसल के लिए किसानों को बेसब्री से वारिस का इंतजार था विगत दिनों से हो रही झमाझम बारिश से किसानों के चेहरे में खुशी की लहर दौड़ गई जिससे धान बुवाई एवं रोपाई का काम शुरू हो गया है किसान सुबह से ही अपने खेतों में धान की तैयारी करने में दिखाई देने लगे हैं। उल्लेखनीय है की मानसून की पहली बारिश से जहां गर्मी से लोगों को निजात मिली। वहीं खेतों में पानी भरने से किसानों के चेहरे खिल उठे। किसानों ने धान की रोपाई शुरू कर दी है।यह बारिश किसानों के लिए संजीवनी बूटी से कम नहीं है। किसानों के चेहरे पर रौनक लौट आई है। किसान पिछले कई दिनों से बारिश की आस लगाए बैठे थे बारिश न होने से खेतों में दरारें पड़ रहीं थीं। कुछ किसानों की धान की नर्सरी सूखने की कगार पर थी। कुछ किसान निजी संसाधनों का इस्तेमाल कर धान की नर्सरी बचाने में जुटे थे। लेकिन जिस तरह से वर्तमान में बारिश हो रही है उससे किसानों ने धान की फसल की तैयारी शुरू कर दी है।
50000 हेक्टेयर में सीड ड्रिल से होती है बुवाई
धान की बुवाई एवं रोपाई के संबंध में उप संचालक कृषि विभाग रवि आम्रवंशी ने बताया कि जबलपुर जिले में खरीफ की मुख्य फसल धान है जो पूरे जिले में लगभग 170000 हेक्टेयर में लगाई जाती है जिसमें से 40000 से 50000 हेक्टेयर में धान सूखे खेतों में सीड ड्रिल के माध्यम से सीधी बोनी की जाती है, शेष 120000 से 130000 हेक्टेयर धान नर्सरी तैयार कर खेतों में कीचड़ मचा कर मजदूर/पैडी ट्रांसप्लांटर के माध्यम से रोपाई की जाती है। सभी किसान भाइयों द्वारा आवश्यकतानुसार अपने खेतों में नर्सरी तैयार कर ली गई है, बारिस अच्छी हो जाने से अब खेतों में रोपाई का कार्य पूरे जिले में प्रगतिशील है।
इस तरह किया जा सकता है अधिक उत्पादन
श्री आम्रवंशी ने बताया कि किसान धान की रोपाई कुछ सावधानियां के साथ करने पर अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है जिसमें धान की 20 से 25 दिनों की पौध रोपाई के लिए उपयुक्त होती है, रोपाई से पहले एक दिन पूर्व नर्सरी में अच्छी तरह सिंचाई कर देना चाहिए इससे दूसरे दिन पौधे निकलते समय जड नहीं टूटती है एवं पौध आसानी से निकल जाती हैं जड़ों में लगी मिट्टी को पानी से अच्छी तरह धोने के बाद जोड़ों का उपचार करने से फसलों में बीमारी एवं उर्वरक की आंशिक पूर्ति की जा सकती है।
20 मिनट तक डुबोकर रखें पौधे
धान की अच्छी पैदावार के लिए कार्बेंडाजिम 75% wp की 2 ग्राम मात्रा तथा स्ट्रेप्टोसाइक्लिन की 0•5 ग्राम मात्रा 1 लीटर के हिसाब से घोल बनाकर उसमें नर्सरी से निकाले गऐ पौधों को 20 मिनट तक डुबोकर रखें तथा एक बोतल नैनो डीएपी को 100 लीटर पानी में घोल बनाकर उपचारित पौधे को पुनः 20 मिनट तक इस धोल में डूबा कर रखें।
10 सेंटीमीटर के हिसाब से करें रोपाई
उपसंचालक कृषि विभाग रवि आम्रवंशी ने धान की खेती करने वाले किसानों को सलाह दी है कि उपचारित पौधों को तैयार खेत में कतार से कतार की दूरी 20 सेंटीमीटर तथा पौधे से पौधे की दूरी 10 सेंटीमीटर के हिसाब से रोपाई करना चाहिए। रोपाई करते समय एक स्थान पर दो से तीन पौध लगाना चाहिए और पौधों की गहराई दो से तीन सेंटीमीटर से अधिक नहीं रखनी चाहिए किसान भाई इन सभी उपायों को अपनाकर धान का अधिकतम उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।

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