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बिहार की तर्ज पर अब पूरे देश में होगा SIR: चुनाव आयोग का बड़ा फैसला, विपक्ष के हंगामे के बीच उठाया कदम


 

 

नई दिल्ली: बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर जारी विवाद के बीच चुनाव आयोग ने एक बड़ा और चौंकाने वाला फैसला लिया है। आयोग ने घोषणा की है कि बिहार की तर्ज पर अब पूरे देश में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया चलाई जाएगी। इस फैसले ने तब और भी ज़्यादा सुर्खियां बटोरी हैं, जब पिछले दो दिनों से संसद में विपक्ष SIR को लेकर लगातार हंगामा कर रहा है। आयोग ने कहा कि देश के बाकी हिस्सों में SIR के लिए कार्यक्रम यथासमय जारी किया जाएगा।


 

संविधान और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम का हवाला

 

चुनाव आयोग ने अपने फैसले का आधार बताते हुए संविधान के अनुच्छेद 324 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 (‘आरपीए 1950’) का हवाला दिया है। इन प्रावधानों के तहत आयोग को संसद और राज्य विधानमंडलों के चुनावों के लिए वोटर लिस्ट तैयार करने, उनके संचालन का सुपरवीजन, निर्देशन और नियंत्रण करने का अधिकार है।

जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 21 के तहत, आयोग को मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण का निर्देश देने का अधिकार है, जिसमें आयोग नए सिरे से मतदाता सूची तैयार कर सकता है। आयोग का कहना है कि यह कदम मतदाता सूचियों की शुद्धता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है।


 

2004 के बाद पहली बार देशव्यापी पुनरीक्षण

 

आयोग ने बताया कि मतदाता सूचियों का गहन पुनरीक्षण पहले भी कई बार किया गया है, जैसे 1952-56, 1957, 1961, 1965, 1966, 1983-84, 1987-89, 1992, 1993, 1995, 2002, 2003 और 2004। इसका उद्देश्य मतदाता सूचियों को नए सिरे से तैयार करना था। बिहार में अंतिम गहन पुनरीक्षण साल 2003 में हुआ था। अब लगभग 20 साल बाद, पूरे देश में एक साथ यह प्रक्रिया शुरू की जा रही है।


 

शहरीकरण और दोहरी प्रविष्टियों के कारण लिया गया फैसला

 

चुनाव आयोग ने पूरे देश में वोटर लिस्ट के रिवीजन के पीछे की वजह भी बताई है। आयोग का कहना है कि पिछले 20 सालों में मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर नाम जोड़ने और हटाने के कारण कई बदलाव हुए हैं। तेजी से शहरीकरण हुआ है और शिक्षा, आजीविका और अन्य कारणों से लोग बड़ी संख्या में एक स्थान से दूसरे स्थान पर चले गए हैं।

आयोग ने यह भी बताया कि कुछ मतदाता एक स्थान पर पंजीकरण कराते हैं और फिर अपना निवास स्थान बदलकर, अपने मूल निवास स्थान की मतदाता सूची से अपना नाम कटवाए बिना, किसी अन्य स्थान पर अपना पंजीकरण करा लेते हैं। इससे मतदाता सूची में बार-बार उनका नाम आने की संभावना बढ़ जाती है, जिसे दूर करना आवश्यक है।


 

बिहार में 2003 वाले वोटर अब भी वैध

 

बिहार के संदर्भ में, चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि साल 2003 में हुए वोटर लिस्ट रिवीजन की वैधता वाली मतदाता सूची मान्य रहेगी। इस सूची में जिन मतदाताओं का नाम होगा, उन्हें वर्तमान में चल रहे वोटर लिस्ट रिवीजन से कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

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