
Nursing college scam: जबलपुर, यशभारत। मध्यप्रदेश का नर्सिंग घोटाला सुर्खियां बन चुका है। सड़क से लेकर विधानसभा सदन में इसकी गूंज सुनाई दे रही है। सरकार ने उन लोगों पर सख्त कार्रवाई कर रही है जो इस प्रकरण में पूरी तरह से लिप्त थे। परंतु इस कार्रवाई को लेकर विरोध भी शुरू हो गया है। नर्सिंग आॅफिसर एक तरफा कार्रवाई से परेशान है उनका कहना है कि जो काम उन्होंने किया नहीं है उसकी सजा दी जा रही है। इसी बात को लेकर नर्सिंग शिक्षक संघ ने जबलपुर मेडिकल काॅलेज के डीन डाॅक्टर नवनीत सक्सेना को ज्ञापन दिया। जिसमें नर्सिंग आॅफिसरों ने कहा कि एक तरफा कार्रवाई की जा रही है, उन्हें सुनवाई का मौका नहीं दिया जा रहा है जो गलत है। सभी डीन के माध्यम से सरकार और विभाग से एक सुनवाई का मौका दिए जाने को कहा है।

संपूर्ण जीवन नर्सिंग सेवा में समर्पित किया ( Nursing college scam)
संघ की , श्रीमती शीबा, कैथरीन, अजिता, आरती तिवारी डाॅक्टर प्रतिभा ठाकुर आदि ने कहा कि उच्च शिक्षित वरिष्ठ नर्सिंग शिक्षक शामिल होते हैं जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन नर्सिंग सेवा में समर्पित करने के साथ में देश-विदेश में कार्य कर रहे, हजारों नर्सिगं कार्मिकों को प्रशिक्षण देने में संमर्पित कर दिया। उक्त वरिष्ठ नर्सिगं शिक्षक संपूर्ण नर्सिगं प्रोफेशन में अपना आदर्श एवं व्यक्तित्व को स्थापित किये हुए हैं। ऐसे में बिना जॉच के, बिना तथ्यों के, बिना दोष के अकारण ही इन्हें दोषी मानना तर्कहीन होने के साथ में मध्यप्रदेश की नर्सिगं शिक्षा की छवि को धूमिल करेगा।
नर्सिंग आफिसरों ने कार्रवाई को लेकर दिया ये तर्क ( Nursing college scam)
– मध्यप्रदेश शासन द्वारा मध्यप्रदेश नर्सेस रजिस्ट्रेशन कॉसिंल, भोपाल, एवं मध्यप्रदेश आर्युविज्ञान विश्वविद्यालय जबलपुर की एक तरफा कार्यवाही करने से पूर्व नर्सिंगं शिक्षकों के निरीक्षण दल को प्रत्यक्ष रूप से अपनी बात रखने का मौका दिया जावे, जिससे सभी निरीक्षण दल के सदस्य सही जानकारी दे सकें।- नर्सिंग निरीक्षण दल द्वारा किसी भी नर्सिंग संस्थान को मान्यता ध् संबद्धता जारी नहीं की जाती है। केवल तथ्यात्मक स्थिति का आंकलन करके रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को प्रेषित कर दी जाती है इसके पशचात मान्यता ध् संबद्धता का कार्य एम.पी.एन.आर.सी. के उच्चाधिकारियों एम.पी.एम.एस.यू. के कुलपति, डी.एम.ई. संचालक एवं सी.एम.ई. के आयुक्त की समीक्षा उपरांत उनकी अनुमति से ही किया जाता है फिर नर्सिंग निरीक्षण दल पर ही एक तरफा कार्यवाही न्यायोचित नहीं है।
-. नर्सिंग निरीक्षण दल एवं सी.बी.आई. निरीक्षण दल के निरीक्षण में समय अन्तराल कम से कम एक वर्ष या इससे अधिक था इतने अधिक समय में नसिंग संस्थान में कोई भी फेरबदल हो सकता है।
– शिक्षण संस्थान ताला लगाकर अपनी संस्था को बंद कर सकता है फिर इतने बडे समय अंतराल के पशचात संपूर्ण जिम्मेदारी नर्सिंग निरीक्षण दल पर ही थोपा जाना उचित नहीं है क्योंकि निरीक्षण दल निरीक्षण दिवस की ही स्थिति का ही विवरण करते हैं जिसकी पूर्ण वीडियों ग्राफी, फोटोग्राफी सी.डी. एवं पेन ड्राइव के रूप में जमा की जाती है। – नर्सिगं निरीक्षण दल को निरीक्षण हेतु किसी विशेष प्रोटोकाल का भौतिक या ऑन लाइन प्रशिक्षण प्रदान नहीं किया गया ।
-नर्सिंग निरीक्षण दल द्वारा तत्कालीन समय में राजस्व विभाग से किसी अधिकारी कर्मचारी को निरीक्षण दल में शामिल नहीं किया गया ना ही नगर निगम नगर पालिका का कोई अधिकारीध्कर्मचारी निरीक्षण दल में शामिल किया गया ना ही चिकित्सालयों की अनुमति एवं संचालन हेतु सी.एम.एच.ओं. कार्यालय द्वारा कोई अधिकारी ध् कर्मचारी निरीक्षण दल में शामिल था। और ना ही सत्र-2020-21 में जियोटेगिंग शामिल किया जाता था। जो वर्तमान में सी.बी.आई. निरीक्षण दल में शामिल किये जा रहे हैं इसके कारण दोनों निरीक्षण रिपोर्ट में भिन्नता पाया जाना स्वाभाविक है।
– जिन सी.बी.आई. अधिकारियों पर भ्रष्ट्राचार के गंभीर आरोप देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं उनकी रिर्पाट को आधार मानकार नर्सिगं निरीक्षण दल पर एक तरफा कार्यवाही करना न्यायोचित नहीं है।
-नर्सिगं शिक्षण संस्थानों के संचालकों द्वारा दिये गये शपथ पत्र गलत होने पर नर्सिगं निरीक्षण दल किस प्रकार जिम्मेदार है, यदि किसी व्यक्ति द्वारा गलत शपथ पत्र दिया गया है तो इसके लिये शपथकर्ता जिम्मेदार होता है न कि निरीक्षण दल।
– नर्सिगं निरीक्षण दल द्वारा कई संस्थानों को अपनी निरीक्षण रिपोर्ट में अनुउपयुक्त माना था फिर भी डी. एम.ई. एवं सी.एम.ई. द्वारा ऐसे संस्थानों को मान्यता प्रदान की गई इसके लिये निरीक्षण दल कैसे जिम्मेदार रह सकता है।