जबलपुरमध्य प्रदेश

MP सिविल जज की परीक्षा : मेरिट में शामिल 251 अभ्यर्थियों के साथ 980 आवेदक देंगे दूसरे चरण की परीक्षा

कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद मिला मौका

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जबलपुर। एमपी हाईकोर्ट द्वारा आयोजित कराई गई सिविल जज-2019 के दूसरे चरण की परीक्षा में 980 और आवेदकों को मौका दिया गया है। इससे पहले 251 अभ्यर्थियों को मेरिट लिस्ट में शामिल किया गया था। सिविल जज की परीक्षा में 4 गलत सवालों और दो डिलिट कर दिए गए प्रश्नों को लेकर हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई थी। याचिका की सुनवाई के दौरान पल्लव मोंगिया बनाम दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश का रिफरेंस दिया गया था।

मध्य प्रदेश सिविल जज परीक्षा-2019 की परीक्षा 20 मार्च 2021 को हुई थी। परिणाम 24 मई 2021 को आया था। प्रारंभिक परीक्षा की अपलोड उत्तर कुंजी में 4 के उत्तर गलत थे, तो 2 सही जवाबों को डिलीट कर दिया गया था। 150 अंकों की इस परीक्षा में कट ऑफ मार्क्स के आधार पर मेरिट लिस्ट में 68 आवेदक नहीं आ सके। इस मामले को हाईकोर्ट में आवेदक अंकित ने 08 जून को याचिका के माध्यम से चुनौती दी। अंकित के साथ ही 68 लिस्ट मैटर को कनेक्ट कर दिया गया। बाद में 16 और रिट याचिकाओं को भी इससे कनेक्ट करते हुए एक साथ हाईकोर्ट में सुनवाई शुरू की।

रिटायर्ड जजों की बनाई थी समिति
अंकित वर्सेज मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के इस याचिका की पैरवी अभ्यर्थियों की ओर से अधिवक्ता प्रशांत मनचंदा ने की। उन्होंने सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा दिए गए पूर्व के रेफरेंस और तर्कपूर्ण तथ्य रखे। इस पर MP हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और विजय धगट की डिवीजन बेंच ने 14 जुलाई को अभ्यर्थियों को राहत देते हुए हाईकोर्ट के दो रिटायर्ड जस्टिस केके त्रिवेदी और सीवी सिरपुरकरी की एक कमेटी बनाई थे। दोनों पूर्व जजों की कमेटी ने जांच में अभ्यर्थियों के दावों को सही पाया।

पहले 251 अभ्यर्थियों को मिली राहत कमेटी के निर्णय और पुनर्मूल्यांकन के बाद कट ऑफ लिस्ट से वंचित रह गए 251 अभ्यर्थियों को शामिल किया गया। हाईकोर्ट पूर्व की कट ऑफ लिस्ट में आ चुके अभ्यर्थियों को दूसरे चरण की परीक्षा में शामिल होने का आदेश पहले ही दे चुकी थी। सिविल जज की परीक्षा कराने वाली समिति ने एक त्रुटि कर दी। दरअसल जो रि-वैल्युएशन के बाद जो लिस्ट तैयार की। उसमें पुराने और नए की कट आफ मार्क्स में अंतर कर दिया।

समिति ने कट ऑफ मार्क्स पुराना ही रखा, जबकि पहली लिस्ट में सफल 1942 आवेदकों में सबसे न्यूनतम अंक तय कट ऑफ से नीचे चला गया था। सामान्य आवेदकों के लिए कट आफ 115 अंक तय किया गया था। रि-वैल्युएशन के बाद पहली सूची में शामिल न्यूनतम अंक पाने वाले आवेदक के अंक घटकर 111 रह गए।

980 और अभ्यर्थियों को मिला मौका
अधिवक्ता प्रशांत मनचंदा ने रिव्यु याचिका लगाकर इस त्रुटि को सुधारने की बात कही। कोर्ट में परीक्षा कराने वाली समिति ने इसे माना और कट आफ के अंक घटाकर नए सिरे से सूची तैयार की, पर इस बार भी एक त्रुटि और रह गई। रि-वैल्युएशन के बाद पहली सूची में शामिल एसटी के आवेदकों के अंक न्यूनतम क्वालीफाई के लिए निर्धारित अंक 82 से घटकर 78 हो गए। रिव्यु याचिका की ओर से फिर इस बिंदु को उठाया गया।

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