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बेहद चौंकाने वाला एवं महत्वपूर्ण रहेगा 28 तारीख का चंद्र ग्रहण, अरब देशों पर पड़ेगा विपरीत प्रभाव:- ज्योतिषाचार्य पंडित लोकेश व्यास

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जबलपुर, यशभारत। ज्योतिषाचार्य पंडित लोकेश व्यास के अनुसार शनिवार 28 अक्टूबर को लगने वाला खंडग्रास चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई देगा भारत के अलावा ग्रहण पश्चिमी तथा दक्षिणी प्रशांत महासागर अरब देशों में ऑस्ट्रेलिया एशिया यूरोप अफ्रीका दक्षिण अफ्रीका का पूर्वी भाग उत्तर अमेरिका अंटार्कटिका और हिंद महासागर में दिखाई देगा ग्रहण का प्रारंभ रात्रि 1 बचकर 5 मिनट पर और ग्रहण का मध्य रात्रि 1:44 पर और ग्रहण का मोक्ष रात्रि 2:44 पर होगा यह ग्रहण अश्वनी नक्षत्र मेष राशि पर होगा चंद्र ग्रहण का सूतक ग्रहण के 9 घंटे पूर्व दिन में 4:05 से लगेगा परंतु बाल वृद्धि और रोगियों को ग्रहण के एक प्रहर पूर्व यानी 10:05 से मनाना चाहिए मिथुन कर्क वृश्चिक और कुंभ राशियों के लिए ग्रहण शुभ फल लेकर आ रहा है जबकि सिंह तुला धनु और मीन राशि वालों के लिए यह मिश्रित फल दाई रहेगा मेष वृषभ कन्या और मकर राशि वालों को ग्रहण में विशेष सतर्कता रखनी चाहिए और ग्रहण के बाद विशेष रूप से दान पुण्य करना चाहिए

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ज्योतिष आचार्य पंडित लोकेश व्यास जी ने बताया कि इस बार चंद्र ग्रहण 28 अक्तूबर 2023 को अश्वनी नक्षत्र मेष राशि पर आ रहा है अश्वनी नक्षत्र का स्वामी केतु है और केतु शरीर के निचले अंगों का प्रतिनिधित्व करता है तो जिन राशियों में ग्रहण अशुभ फलदाई है उन राशि वालों को शरीर के निचले अंगों में और अंदरूनी अंगों में समस्या का कारक बन सकता है साथ-साथ ज्योतिषाचार्य पंडित लोकेश व्यास ने बताया की मेष राशि का स्वामी मंगल है और मंगल साहस का प्रतीक होता है कभी-कभी ग्रहण काल के दौरान कुछ विशेष राशि वालों को या जिनकी जन्म कुंडली में गोचर में मंगल शुभ नहीं बैठा होता है ग्रहण के फल स्वरुप जातक जातिका में उन्माद ओवर एक्साइटमेंट ओवरथिंकिंग और अति उत्तेजना का कारक भी ग्रहण बन जाता है मंगल चुकी रक्त का कारक ग्रह होता है और लाल वस्तुओं से संबंधित भी होता है और अश्वनी नक्षत्र का स्वामी केतु है और केतु की प्रकृति भी काफी हद तक मंगल के समान होती है इसीलिए जिन राशि वालों को ग्रहण शुभ फलदाई नहीं है उन्हें विशेष सतर्कता रखना चाहिए और ग्रहण जिन लोगों को जिनके लिए शुभ नहीं है मसूड़े से संबंधित समस्या पाचन में समस्या और मां और पत्नी की समस्याएं दे सकता है पंडित लोकेश व्यास ने बताया की 28 अक्टूबर 2023 का ग्रहण विश्व के सामने ग्रहण के आसपास दो-चार दिन आगे दो-चार दिन पीछे कोई बड़ी विश्व व्यापी घटना जिसे दुनिया हतप्रद्ध रह सकती है ग्रहण के कारण ऐसा हो सकता है

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सूतक काल में ये नहीं करना चाहिए
सूतक काल में वर्जित कार्य सूतक काल के दौरान भगवान को स्पर्श न करें, मंदिर के कपाट बंद रखें
भोजन शयन पूर्ण रूप से वर्जित होता है, गाय भैंस बकरी का दूध ग्रहण कल के दौरान नहीं निकलना चाहिए, गर्भवती स्त्रियों को विशेष सावधानी रखना चाहिए किसी भी चीज को काटने फाडने से पूर्ण रूप से बचना चाहिए वह गर्भवती स्त्री पर ग्रहण की छाया किसी भी रूप से नहीं पढऩी चाहिए, जिन राशि वालों पर ग्रहण अशुभ फलकारी है उन्हें गाड़ी चलाने व आप शब्दों के प्रयोग से पूर्ण रूप से बचना ही होगा। कपड़े धोने निचोडऩे व बाल धोने आदि से ग्रहण के दौरान महिलाओं को विशेष रूप से बचना चाहिए, फूल पत्ते तोडऩे से भी पूर्ण रूप से ग्रहण के दौरान बचना चाहिए ज्योतिष आचार्य पंडित लोकेश व्यास ने बताया कि जिन राशियों पर ग्रहण का अशुभ एवं मिश्रित प्रभाव है उन राशि वाले जातकों को ग्रहण के बाद दान पुण्य कर करना ही चाहिए क्योंकि ग्रहण मेष राशि एवं एवं अश्वनी नक्षत्र पर है और राशि का स्वामी मंगल और नक्षत्र का स्वामी केतु है और दोनों ही भूमि से जुड़े ग्रह होते हैं मंगल और केतु दोनों एक ही विचारधारा के होते हैं और मंगल भूमि का कारक ग्रह होता है इसीलिए ग्रहण के बाद चंद्र ग्रहण के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए भूमि दान अन्न दान गोदान ब्राह्मण सेवा वस्त्र दान और कई अन्य प्रकार के दानों के बारे में शास्त्रों में लिखा गया है जातक जाति को अपनी यथाशक्ति के अनुसार दान पुण्य कर कर ग्रहण अशुभ प्रभाव से कुछ हद तक बच सकते हैं।

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चंद्र ग्रहण से जातक के मन में असर पड़ता है
ज्योतिषाचार्य पंडित लोकेश व्यास ने बताया कि चंद्रमा मूलत: मां के देवता होते हैं और कहा जाता है चंद्रमा मन और धन दोनों के देवता होते हैं चंद्र ग्रहण लगने के कारण चंद्र ग्रहण के बाद जातक जाति का के मन में विशेष रूप से असर पड़ता है और अशांति बनी रहती है अवसाद और डिप्रेशन की स्थिति भी चंद्र ग्रहण की बात कही कई दिन तक लोगों में देखी जाती है इन सभी स्थिति स्थिति से बचने के लिए दान पुण्य का सहारा लेना चाहिए और बोला भी जाता है धर्म कर्म करने से दान पुण्य करने से व्याधियों को नाश होता है भगवान शिव की आराधना राहु केतु के उपाय एवं कलयुग में भूमि दान अन्न दान गोदान ब्राह्मण सेवा को सर्वोपरि बताया गया है।
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चंद्रग्रहण कब तक रहेगा
चंद्रमा शरद पूर्णिमा पर अपनी 16 कलाओं के साथ आता है जिस की विशेष आशीर्वाद आम जनमानस को प्राप्त होता है लेकिन इस बार रात्रि 1.05 शरद पूर्णिमा को ग्रहण प्रारंभ हो रहा है और जिसका सूतक 9 घंटे पूर्व 4.05 से लग जाएगा तो समस्त मंदिरों के कपाट शाम 4.00 बजे से लेकर अगले दिन प्रात तक बंद रहेंगे गर्भवती महिलाओं को चंद्र ग्रहण के दौरान शयन से बचना चाहिए एवं विशेष सावधानी रखना चाहिए कि उनके ऊपर चंद्र ग्रहण की छाया न पड़े और उनको शाम को 4.05 से लेकर अगले दिन प्रात तक घर से बाहर निकलने से बचना चाहिए।

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