नन्ही ध्रुवी का जलवा: तीन साल की उम्र में विश्व की 300 राजधानियाँ याद करने वाली ध्रुवी मंडलोई ने मचाई धूम

भोपाल, : नन्ही ध्रुवी ने सबका ध्यान खींचा है। तीन साल की नन्ही प्रतिभा, ध्रुवी मंडलोई, जिसने कम उम्र में विश्व की 300 राजधानियों को याद करके India Book में अपना नाम दर्ज करवाया, ने सभी को हैरान कर दिया है। इसे ‘लिटिल गूगल’ के नाम से भी जाना जाता है।
उपलब्धियों की नई मिसाल
ध्रुवी ने मात्र तीन दिन में विशाल जानकारी अपने दिमाग में बिठा ली है। उनके पिता, श्री अजय मंडलोई, बताते हैं कि ध्रुवी स्कूल नहीं जाती और न ही खिलौनों में रुचि दिखाती हैं। उनका मानना है कि घर पर माता-पिता द्वारा सिखाई गई बातों को वह तुरंत याद कर लेती हैं। “हमारी बेटी का स्मरण शक्ति वाकई में अद्वितीय है। हमने देखा है कि वह बिना किसी कठिनाई के नयी जानकारी को ग्रहण कर लेती है,”
राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता
इस अद्भुत उपलब्धि के लिए ध्रुवी को नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय सम्मलेन समारोह में सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में शिक्षा विशेषज्ञ, अन्य अधिकारी समेत कई महत्वपूर्ण हस्तियां मौजूद थीं।
तकनीकी सहयोग और डिजिटल दुनिया में प्रवेश
अजय मंडलोई के बड़े भाई, के. एस. मंडलोई जो संचालनालय उद्यानिकी तथा खाद्य प्रसंस्करण में सहायक संचालक के पद पर कार्यरत हैं, ने इस अद्वितीय प्रतिभा को बढ़ावा देने हेतु उनके साथ कार्यरत आई. टी. सलाहकार डॉ. श्वेता श्रीवास्तव को जानकारी दी। उन्होंने ध्रुवी के यूट्यूब वीडियो और अन्य डिजिटल प्लेटफार्मों के लिए सहयोग प्रदान किया, जिससे उसकी उपलब्धियों को व्यापक स्तर पर दर्शकों तक पहुंचाया जा सके। साथ डॉ. श्वेता ने ही, India Book में नाम दर्ज कराने के लिए समस्त तकनीकी कार्यवाही भी संपन्न की गई। डॉ. श्वेता, जो ध्रुवी की मेधा के बारे में पहली बार जान पाई थीं, ने कहा, “ध्रुवी की उपलब्धि इस बात का प्रमाण है कि सही मार्गदर्शन और तकनीकी सहयोग से नन्हे बच्चों में भी अपार प्रतिभा निखर सकती है।”
भविष्य की योजनाएं और उम्मीदें
ध्रुवी का यह कारनामा यह संकेत देता है कि आने वाले दिनों में देश के नन्हे-मुन्नों में भी आईटी और स्मरण शक्ति से संबंधित नई क्रांति देखने को मिल सकती है। उनके पिता का मानना है कि भविष्य में ध्रुवी IAS बनकर देश की सेवा करेगी। समाज में जागरूकता बढ़ाने और शिक्षा के महत्व को समझते हुए, कई विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया है कि ऐसे बच्चों के लिए विशेष शैक्षिक कार्यक्रमों और तकनीकी प्रशिक्षण की व्यवस्था की जानी चाहिए।
समाज और शिक्षा जगत की प्रतिक्रियाएँ
शिक्षक, अभिभावक और शिक्षा विशेषज्ञ इस बात से सहमत हैं कि ध्रुवी की उपलब्धि न केवल एक व्यक्तिगत सफलता है, बल्कि यह समाज में शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार और प्रोत्साहन का संदेश भी देती है। कई लोगों का मानना है कि यदि ऐसी प्रतिभाओं को समय रहते उचित दिशा और संसाधन उपलब्ध कराए जाएँ, तो वे आने वाले समय में राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं।
निष्कर्ष
ध्रुवी मंडलोई की यह अद्भुत उपलब्धि देश में शिक्षा और तकनीकी प्रगति की नई उम्मीद जगाती है। उनकी कहानी नन्ही उम्र में भी असाधारण मेहनत, लगन और सही मार्गदर्शन के महत्व को उजागर करती है। आने वाले दिनों में ऐसी और उपलब्धियों के साथ नन्हे मेधाओं का उजाला बढ़े, यही आशा की जा रही है।