जबलपुर की शाही विरासत बदलेगी किस्मत, अंग्रेजों की रॉयल होटल बनेगी हेरिटेज का ताज
कभी ब्रिटिश हुकूमत की शान, अब पर्यटन का नया ठिकाना, दशकों पुरानी रॉयल होटल का होने जा रहा है भव्य रूपांतरण,

जबलपुर की शाही विरासत बदलेगी किस्मत, अंग्रेजों की रॉयल होटल बनेगी हेरिटेज का ताज
कभी ब्रिटिश हुकूमत की शान, अब पर्यटन का नया ठिकाना, दशकों पुरानी रॉयल होटल का होने जा रहा है भव्य रूपांतरण,
जबलपुर: सिविल लाइंस के पॉश इलाके पचपेढ़ी में पुरानी आरटीओ बिल्डिंग के पास खड़ी रॉयल होटल, जो कभी अंग्रेजों के वैभव की गवाह थी, अब नए रूप में नजर आने वाली है। मध्य प्रदेश का पर्यटन विभाग प्रदेश की ऐतिहासिक विरासतों को हेरिटेज होटलों में तब्दील करने की महत्वाकांक्षी परियोजना पर काम कर रहा है, और इस कड़ी में जबलपुर की यह प्रतिष्ठित होटल भी शामिल है। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, रॉयल होटल सहित अन्य विरासतीय संपत्तियों को जल्द ही अल्ट्रा मेगा प्रोजेक्ट के तहत निवेशकों को सौंपा जाएगा, जिससे इस ऐतिहासिक धरोहर को एक नया जीवन मिलेगा।
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हालांकि खबर में रॉयल होटल की स्थापना या इसके इतिहास के बारे में कोई विशेष जानकारी नहीं दी गई है, लेकिन इसका उल्लेख पुरानी आरटीओ भवन के समीप स्थित होने और इसे अंग्रेजों की रॉयल होटल कहे जाने से स्पष्ट होता है कि यह होटल ब्रिटिश काल में स्थापित हुई होगी। उस दौर में जबलपुर एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक और सैन्य केंद्र था, और अंग्रेजों ने यहां अपनी उपस्थिति और आराम के लिए कई संरचनाएं बनवाई थीं। संभवतः रॉयल होटल उन्हीं में से एक थी, जो उस समय के विशिष्ट आगंतुकों और अधिकारियों के लिए आलीशान आवास की व्यवस्था करती रही होगी। इसकी वास्तुकला और निर्माण शैली में भी औपनिवेशिक प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता होगा, जो इसे अन्य समकालीन इमारतों से अलग करता है।
समय के साथ, भले ही इस होटल का स्वामित्व और प्रबंधन बदला हो, लेकिन इसकी पहचान “अंग्रेजों की रॉयल होटल” के रूप में बनी रही, जो इसकी ऐतिहासिक महत्ता और पुराने वैभव को दर्शाती है। अब, पर्यटन विभाग की इस पहल के साथ, इस ऐतिहासिक होटल को न केवल संरक्षित किया जाएगा, बल्कि इसे आधुनिक सुविधाओं से लैस एक हेरिटेज होटल के रूप में विकसित किया जाएगा। यह न केवल जबलपुर के पर्यटन को बढ़ावा देगा बल्कि सैलानियों को एक अनूठा अनुभव भी प्रदान करेगा, जहाँ वे इतिहास के साथ आधुनिक आतिथ्य का आनंद ले सकेंगे।
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इस परियोजना में रॉयल होटल के साथ-साथ भोपाल का ताजमहल पैलेस, रीवा का गोबिंदगढ़ फोर्ट, सतना का माधवगढ़ फोर्ट, रीवा का क्योटी फोर्ट, अशोकनगर का राजा रानी महल, सिंघपुर महल और श्योपुर का श्योपुर फोर्ट भी शामिल हैं। मध्य प्रदेश की नई पर्यटन नीति 2025 निवेशकों के लिए विशेष रूप से अनुकूल बनाई गई है, जिससे इन ऐतिहासिक संपत्तियों के विकास में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा मिलेगा।
पर्यटन विभाग का लक्ष्य है कि इन महलों और किलों को हेरिटेज होटल में बदलकर पर्यटकों को एक शाही अनुभव प्रदान किया जाए। जानकारी के अनुसार, पहले से ही 11 किलों को हेरिटेज होटल में बदलने के लिए निजी क्षेत्र को 90 साल की लीज पर दिया गया है, जिनमें पन्ना का महेंद्र भवन और मांडू का लॉगेरा सराय जैसी विरासतें शामिल हैं। इनमें से कई संपत्तियों पर जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण का कार्य प्रगति पर है, जबकि छतरपुर के राजगढ़ महल को हेरिटेज होटल के रूप में विकसित करने का काम लगभग पूरा हो चुका है और इस वर्ष यह पर्यटकों के लिए खुल जाएगा।

हेरिटेज होटल की यह अवधारणा धीरे-धीरे साकार रूप ले रही है, क्योंकि इन ऐतिहासिक संपत्तियों के नवीनीकरण में विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है। यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि विरासतीय संपत्तियों का मूल स्वरूप किसी भी तरह से न बदले। उदाहरण के लिए, यदि कोई पुरानी पेंटिंग फीकी पड़ गई है, तो उसे इस तरह से बहाल किया जा रहा है कि उसकी प्राचीन चमक बनी रहे, न कि वह आधुनिक पेंटिंग जैसी लगे। विभाग इस बात पर विशेष ध्यान दे रहा है कि इन ऐतिहासिक धरोहरों की आत्मा और कहानी बनी रहे, जबकि पर्यटकों को आधुनिक सुख-सुविधाएं भी मिलें।

जबलपुर की रॉयल होटल का यह परिवर्तन न केवल शहर की ऐतिहासिक पहचान को नया जीवन देगा, बल्कि यह पर्यटन के क्षेत्र में भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। उम्मीद है कि जल्द ही यह ऐतिहासिक होटल नए कलेवर में पर्यटकों का स्वागत करने के लिए तैयार होगी, जहाँ वे अतीत के शाही वैभव और आधुनिक आतिथ्य का संगम अनुभव कर सकेंगे।