शराब ठेकों में फर्जीवाड़ा: EOW ने खोला भ्रष्टाचार का पिटारा
सिंगरौली से रीवा तक शराब ठेकों में गड़बड़ी

रीवा में शराब ठेकों के आवंटन में एक बड़ा घोटाला सामने आया है। आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने शराब ठेकेदारों, आबकारी अधिकारियों और बैंक अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
सिंगरौली के जिला सहकारी बैंक शाखा मोरबा के तत्कालीन प्रभारी शाखा प्रबंधक नागेन्द्र सिंह ने 15 करोड़ 32 लाख 23 हजार 440 रुपये की 14 फर्जी बैंक गारंटी जारी कीं। इन बैंक गारंटी का इस्तेमाल शराब ठेकेदारों ने रीवा, सिंगरौली, उमरिया और सतना जिलों में शराब ठेकों के लाइसेंस प्राप्त करने के लिए किया।
आबकारी नियमों के अनुसार, शराब ठेकों के लिए बैंक गारंटी केवल सार्वजनिक क्षेत्र के अनुसूचित व्यवसायिक बैंक, निजी क्षेत्र के अनुसूचित व्यवसायिक बैंक या मध्य प्रदेश राज्य के क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक से ही जारी की जा सकती थी। लेकिन इस मामले में, जिला सहकारी केंद्रीय बैंक द्वारा जारी बैंक गारंटी स्वीकार की गई, जो भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसूचित बैंकों की सूची में शामिल नहीं है।
रीवा के तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी अनिल जैन ने नियमों के खिलाफ जाकर इन फर्जी बैंक गारंटियों को स्वीकार किया और शराब ठेकेदारों को ठेके दिए। जांच में यह भी सामने आया कि शिकायत होने के बाद अनिल जैन ने लाइसेंसियों से अनुसूचित बैंकों की गारंटी प्राप्त कर इस अपराध को दुरुस्त करने का प्रयास किया।
शराब ठेकेदारों ने बैंक मैनेजर और आबकारी अधिकारी के साथ मिलकर इस धोखाधड़ी को अंजाम दिया। उन्होंने बिना किसी संपत्ति/प्रतिभूति या जमा राशि के फर्जी बैंक गारंटी प्राप्त की। सहकारी बैंक के तीन सदस्यीय जांच दल ने भी अपनी रिपोर्ट में नागेन्द्र सिंह और शिवशंकर सिंह द्वारा गंभीर अनियमितता की पुष्टि की है। जिला सहकारी केंद्रीय बैंक, सीधी के मुख्य कार्यपालन अधिकारी के अनुसार, नागेन्द्र सिंह ने बैंक गारंटी जारी करने की नीति का उल्लंघन किया।
एफआईआर में नागेन्द्र सिंह, नृपेन्द्र सिंह, अजीत सिंह, उपेन्द्र सिंह बघेल, आदित्य प्रताप सिंह, विजय बहादुर सिंह, अनिल जैन और अन्य को आरोपी बनाया गया है। इन पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 420 (धोखाधड़ी), आईपीसी की धारा 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र) और भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) अधिनियम, 2018 की धारा 7 (सी) के तहत मामला दर्ज किया गया है।