भारतीय रुपया संयुक्त दिरहम के मुकाबले नए ऐतिहासिक निचले स्तर पर
भारतीय प्रवासियों और व्यवसायों में चिंता

भारतीय रुपया संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के दिरहम के मुकाबले एक नए ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंच गया है, जिससे भारतीय प्रवासियों और व्यवसायों में चिंता बढ़ गई है। रुपया 5 सितंबर को दिरहम के मुकाबले 24.0762 पर बंद हुआ, जो 1 सितंबर को बनाए गए अपने पिछले रिकॉर्ड निचले स्तर 24.0681 को पार कर गया।
गिरावट के कारण:
– अमेरिकी डॉलर की मजबूती: अमेरिकी डॉलर की तेजी ने रुपये पर दबाव डाला है, क्योंकि वैश्विक निवेशक सुरक्षित संपत्तियों की ओर बढ़ रहे हैं।
– अमेरिकी टैरिफ चिंताएं: भारत पर अमेरिकी टैरिफ की अनिश्चितता ने बाजार में उतार-चढ़ाव को बढ़ावा दिया है, जिससे रुपये की गिरावट में योगदान हुआ है।
– बढ़ती कच्चे तेल की कीमतें: भारत की तेल आयात पर निर्भरता ने डॉलर की मांग बढ़ाई है, जिससे रुपया कमजोर हुआ है।
– विदेशी संस्थागत बिकवाली: विदेशी निवेशकों ने सितंबर में भारतीय इक्विटी में 1.4 अरब डॉलर बेचे हैं, जिससे रुपये की परेशानी बढ़ गई है।
भारतीय प्रवासियों पर प्रभाव:
– रिमिटेंस रणनीतियाँ: कुछ प्रवासी “प्रतीक्षा और देखो” दृष्टिकोण अपना रहे हैं, जबकि अन्य नुकसान को कम करने के लिए रणनीतिक हस्तांतरण या यूएई दिरहम और अमेरिकी डॉलर में निवेश कर रहे हैं।
– बढ़ती लागत: रुपये की गिरावट से भारत से सामान आयात करने वाले व्यवसायों के लिए उच्च लागत हो सकती है, जिससे मूल्य निर्धारण और लाभ मार्जिन प्रभावित हो सकता है।
सरकारी प्रतिक्रिया:
– भारतीय रिजर्व बैंक का हस्तक्षेप: आरबीआई ने तेज नुकसान को रोकने के लिए मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप किया है, लेकिन ऐसे हस्तक्षेपों की प्रभावशीलता अनिश्चित बनी हुई है।
– आर्थिक प्रभाव: रुपये की लंबी अवधि की गिरावट मुद्रास्फीति, आर्थिक विकास और विदेशी निवेश को प्रभावित कर सकती है।







