IDFC फर्स्ट बैंक ने ऑफ़लाइन भुगतान को सफल करने के लिए RBI की पायलट परियोजना का हिस्सा बनने के लिए क्रंचफ़िश के साथ हाथ मिलाया जाने पूरी डिटेल्स

IDFC फर्स्ट बैंक ने ऑफ़लाइन भुगतान को सफल करने के लिए RBI की पायलट परियोजना का हिस्सा बनने के लिए क्रंचफ़िश के साथ हाथ मिलाया जाने पूरी डिटेल्स। भारतीय रिजर्व बैंक के सीईओ शक्तिकांत दास को लंदन में एक बड़े सम्मान से नवाजा गया है। जब उन्हें 14 जून 2023 को लंदन में सेंट्रल बैंकिंग द्वारा 2023 के लिए गवर्नर ऑफ द ईयर के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। सेंट्रल बैंकिंग एक अंतरराष्ट्रीय आर्थिक शोध पत्रिका है। अब ये पुरस्कार के बाद आईडीएफसी के सीईओ ने जब शक्तिकांत दास से पूछा कि क्या आपका सरकार के साथ विवाद नहीं होता है तो इस पर उन्होंने कहा कि मैं विनम्रता से नहीं कह देता हूं।
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इस उपलब्धि पर क्या बोले आईडीएफसी सीईओ
शकितकांत दास को मिले इस पुरस्कार को लेकर आईडीएफसी के सीईओ वी वैद्यनाथन ने अपनी बात कहते हुए कहा कि 2018 में, भारत को बहुत सी पूंजी की कमी वाले उधारदाताओं और नकदी के प्रवाह में कमी वाले उधारकर्ताओं के साथ ट्विन बैलेंस-शीट समस्या का सामना करना पड़ा। अब, पूंजी पर्याप्तता 16% से अधिक हो गई है। और उधारकर्ताओं के पास ट्विन बैलेंस शीट एडवांटेज के साथ मजबूत नकदी प्रवाह है। उन्होंने ये भी कहा कि कोविड -19 के दौरान आरबीआई द्वारा पेश किए गए उपाय बहुत टाइम कारगर साबित हुए। वो भी तब जब बॉन्ड बाजार स्थिर हो गए थे। इंटरबैंक लेंडिंग चोक हो गई।
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बताया गया की आरबीआई तेजी से आगे बढ़ा और सिस्टम को सामान्य करने और स्थिरता को बहाल करने के लिए अभिनव और लक्षित उपाय के साथ आगे बढ़ने लगा.बताया गया है कि शक्तिकांत दास को ये प्रतिष्ठित पुरस्कार उनके द्वारा मुद्रास्फीति के प्रभाव को प्रभावी ढंग से संभालने और COVID-19 महामारी और वैश्विक उथल-पुथल जैसी चुनौतीपूर्ण स्थितियों के माध्यम से हमारे देश की भारत की बैंकिंग प्रणाली को नेविगेट करने के लिए दिया गया था। जिसमे बड़े पुरस्कार के लिए शक्तिकांत दास का चयन इसलिए किया गया क्योंकि उन्होंने आरबीआई गवर्नर के रूप में महत्वपूर्ण सुधारों को लागू करने और भारत के प्रमुख भुगतान प्रणालियों को सुचारू रूप से संचालन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अब उन्होंने कठिन टाइम के दौरान असाधारण नेतृत्व का प्रदर्शन किया है।
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उन्होंने उस दौरान आरबीआई के द्वारा किए उपायों पर अपनी बात कहते हुए कहा कि तनावग्रस्त संपत्तियों के लिए संकल्प अवधि बढ़ाना, रेपो दरों को कम करना जैसे कई उपाय शामिल हैं। e-KYC, e-mandates, e-समझौते और बहुत कुछ सहित RBI द्वारा शुरू की गई नवीन प्रणालियों को सूचीबद्ध किया। IDFC के सीईओ वैद्यनाथन ने शक्तिकांत दास से पूछे गए एक सवाल में उन्होंने कहा कि क्या आपका सरकार के साथ कभी विवाद नहीं होता है। जिसके जवाब में उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा देखिए, जब मुझे ना कहना होता है, तो मैं बस विनम्रता से ‘नहीं’ कह देता हूं और इसका कारण बताता हूं। लड़ाई क्यों? हम देश की भलाई के लिए काम करते हैं। यह तरीका बहुत आसान है, मैंने इससे सीखा है।
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कोविड 19 में बेहतरीन प्रबंधन भी रही वजह
बताया गया है की शक्तिकांत दास ने के नाम की सिफारिश प्रकाशन की ओर से मार्च 2023 में की गई थी, जिसमें उनके उत्कृष्ट नेतृत्व की सराहना करते हुए उसे मान्यता दी गई। COVID-19 महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध जैसी अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं के दौरान, दास ने भारत के केंद्रीय बैंक और संपूर्ण बैंकिंग प्रणाली के प्रबंधन में उल्लेखनीय कुशलता का प्रदर्शन किया।
2018 में शक्तिकांत दास ने संभाला था पद
आरबीआई के मौजूदा गवर्नर शक्तिकांत दास ने दिसंबर 2018 में भारत में एक प्रमुख गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) के दिवालिया होने से कुछ महीने पहले अपना पद संभाला था। जिसके मार्केट में लिक्विडिटी का संकट पैदा हो गया था। अब ये संकट ने विभिन्न मध्यम आकार के बैंकों के ट्रेड मॉडल में महत्वपूर्ण खामियों को उजागर किया था जो एनबीएफसी पर बहुत अधिक निर्भर थे। जिसके बाद, पंजाब और महाराष्ट्र सहकारी बैंक जैसे अन्य बैंकों को भी नुकसान का सामना करना पड़ा। अब इन चुनौतियों के बावजूद दास ने अपने नेतृत्व कौशल से स्थिति को प्रभावी ढंग से संभाले रखा। गौरतलब है कि दास 2015 में रघुराम राजन के बाद यह पुरस्कार पाने वाले आरबीआई के दूसरे गवर्नर हैं।
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