बड़ेरिया मेट्रो प्राइम हॉस्पिटल में प्लाजमा एक्सचेंज से हेपेटिक कोमा मरीज बच्ची की बची जान
जबलपुर, यशभारत। मेडिकल क्षेत्र में गहन शोध के उपरांत सामने आने वाली नित नई जीवन रक्षक तकनीकें आज वरदान सिद्ध हो रही हैं। ऐसी ही नई तकनीकों को उपयोग में लाते हुए गंभीर मरीजों की जीवन रक्षा की कड़ी में बड़ेरिया मेट्रो प्राइम अस्पताल एक बार फिर कामयाब रहा और प्लाजमा एक्सचेंज कर पीलिया के कारण हेपेटिक कोमा की हालत में (पूरी तरह बेहोश मरीज की जान बचाई गई. जो कि महाकौशल क्षेत्र में अपनी तरह का पहला मामला है। जो यह संकेत भी देता है कि चिकित्सा के क्षेत्र में यदि रोगों की हज़ार नित नयी जटिलताएं हैं तो भी उन पर विजय पाई जा सकती है। ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है बड़ेरिया मेट्रो प्राइम के कुशल व अनुभवी डॉक्टरों की टीम ने।
विगत दिनों कटनी निवासी 16 वर्षीय बच्ची पारुल अग्रवाल ( परिवर्तित नाम) को बेहद गंभीर अवस्था में बेहोशी की हालत में अस्पताल में लाया गया था, डॉक्टरों के टीम के द्वारा विभिन्न परीक्षणों के उपरांत ज्ञात हुआ कि बच्ची को पीलिया की शिकायत है, जिसकी वजह से बच्ची का लिवर, फेलियर की गंभीर स्थिति में पहुंच चुका है. इस स्थिति के कारण बच्ची के मस्तिष्क ने भी काम करना बंद कर दिया था, जिसकी वजह से वह गहन बेहोशी की स्थिति में पहुंच गई थी, मेडिकल टर्म में इसे हैपेटिक कोमा भी कहते हैं। बच्ची को तुरंत वेंटीलेटर के सपोर्ट पर रखा गया।
बड़ेरिया मेट्रो प्राइम हॉस्पिटल के गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ आलोक बंसल व डॉक्टर विशाल बढेरा ने सघन परीक्षण के उपरांत बताया इस स्थिति में दो ही विकल्प हैं या तो पेशेंट का लिवर तुरं ट्रांसप्लांट किया जाए या फिर खून में जो प्लाज्मा होता है, उसको मशीन के द्वारा एक्सचेंज कि क्चजाए क्योंकि यदि इस लि लिवर ट्रांसप्लांट के विकल्प पर जाते हैं तो इस के लिए तुरंत लीवर की आवश्यकता होगी, साथ ही यह बहुत ही जटिल प्रक्रिया है और इस समय एकदम से लिवर उपलब्ध होना संभव भी नहीं है अत: परिजनों की सहमति से पेशेंट के जीवन की रक्षा हेतु प्लाजमा एक्सचेंज का त्वरित निर्णय लिया गया. प्लाज्मा एक्सचेंज की प्रक्रिया वेंटिलेटर पर ही बेहोशी की हालत में लगातार तीन दिनों तक की गई इस प्रयास के फल स्वरूप तीसरे दिन से ही सुखद परिणाम मिलना प्रारंभ हो गए और बच्ची को धीरे-धीरे होश आने लगा।
चूंकि पीलिया, वायरस की बीमारी है और इसी दौरान बच्ची को हार्ट में मायोकारडाइटिस की समस्या भी हुई जिसे क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट डॉक्टर शैलेंद्र सिंह राजपूत और कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर अमजद अली चेस्ट स्पेशलिस्ट डॉक्टर अरविन्द्र जैन द्वारा उपचार किया गया तथा धीरे-धीरे करके बच्ची की हालत में सुधार आता गया और पीलिया की समस्या भी कम होती गई. इस तरह बच्ची के लीवर ने धीरे धीरे पूरी तरह से काम करना प्रारंभ कर दिया और छठवें दिन उसे वेंटिलेटर से निकाल दिया गया और आवश्यक उपचार के बाद पूरी तरह से संतुष्ट होने पर दसवें दिन पूर्ण स्वस्थ हालत में बच्ची को डिस्चार्ज कर दिया गया।
उल्लेखनीय है कि महाकौशल क्षेत्र में हॅपेटिक कोमा के लिए प्रथम बार प्लाजमा एक्सचेंज किया गया, जिससे बच्ची की जान बच गई। यह पद्धति कई बीमारियों से निजात दिलाने में कारगर है। गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ आलोक बंसल ने बताया यह महाकौशल का अपनी तरह का पहला केस है , जिसमें ट्रांसप्लांट की बजाय मरीज के पूरी तरह से डैमेज लीवर का उपचार प्लाजमा एक्सचेंड पद्धति से हुआ, इस सुविधा से सफल उपचार के बाद अब बच्ची को लिवर ट्रांसप्लांट के ब आवश्यक रूप से ली जाने वाली दवाइयां लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी, जो कि जीवन पर्यन्त पड़ती हैं। अब वह पूरी तरह सामान्य जीवन यापन कर पाएगी।