गुलौआताल , गंदे पानी से मर रहीं मछलियां
नहीं शुरू हो पाया वाटर ट्रीटमेंट प्लांट
जबलपुर,यशभारत। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत नगर निगम ने गुलौआताल को खूबसूरत बनाने में करीब पौने 7 करोड़ रुपए खर्च किए। यहां पौधे रोपित करने के साथ पाथ-वे के निर्माण के साथ जिम , फाउंटेन, आकर्षक लाइटिंग की गई लेकिन इसकी ताजा स्थिति और वर्तमान तस्वीर अब यहां मॉर्निंग वॉक करने आ रहे तालाब के गंदे पानी के कारण बीते 1 साल से मछलियों के मरने का क्रम अब तक जारी है जिस पर कोई नियंत्रण नहीं किया गया है। वर्तमान हालात ये हैं कि तालाब के पानी को साफ करने का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट कई वर्षों से बंद पड़ा है। जो भी मछलियों के मरने की एक मुख्य वजह सामने आ रही है। क्योंकि इससे तालाब का पानी ही साफ नहीं हो पा रहा है और मछलियां मृत होती चलीं आ रहीं हैं।
यशभारत की टीम ने पहुंचकर जानी हकीकत
यशभारत की टीम जब गुरूवार सुबह गुलौआताल में पहुंची तो कैमरे में पूरी हकीकत कैद हो गई। यहां एक ओर तालाब में मछलियां मरी पड़ीं थी तो दूसरी ओर गुलौआताल में गार्ड के कमरे में ताला लटका हुआ मिला जबकि तालाब के खुलने का समय प्रतिदिन सुबह 6 बजे का है। इसके साथ ही कैमरे में गुलौआताल के अंदर नगर निगम के क्षतिग्रस्त वाहन में टूटी हुई नाव भी कैद की गई। जिम्मेदार मछलियां मरने की वजह ऑक्सीजन में कमी बताकर एक-दूसरे पर पाला फेंक रहे हैं वहीं पशु प्रेमी मछलियों की मौतों से दु:खी हैं।
बुजुर्गों को सता रही है। उधर जिम्मेदारों के उदासीन रवैये से मछलियों की जाने जा रहीं है।
एक्सपर्ट के ये रहे सुझाव
द्द तालाबों के आसपास ट्यूबवेल कराकर नया पानी भरा जाए।
द्द सीवेज का गंदा पानी आने से रोका जाए।
द्द तालाबों की डीसिल्टिंग की जाए।
द्द फव्वारों को कम से कम 12 घंटे तक चलाया जाए, ताकि जलीय जीवों को ऑक्सीजन मिल सके।
द्द प्लास्टिक सामग्री के उपयोग को पूरी तरह प्रतिबंधित किया जाए।