दिव्यांग जनों को सभी अवसर दें और उनकी मदद करें, वह समाज का हैं अहम हिस्सा


यश भारत के लोकप्रिय कार्यक्रम प्राइम टाइम विथ आशीष शुक्ला में समाजसेवी नि: शक्तजन कमिश्नर संदीप रजक से यश भारत के संस्थापक आशीष शुक्ला ने निशक्त वर्ग को लेकर लंबी चर्चा की। इस दौरान श्री रजक ने कहा कि उन्होंने दिव्यांगों को बहुत करीब से देखा और जाना है। दिव्यांग समाज का अहम हिस्सा हैं सभी उन्हें आगे बढ़ाने के लिए अवसर प्रदान करें।
गौर तलब है की पूरे भारत देश में पहली बार नि:शक्तजन कमिश्नर संदीप रजक के दिव्यांगों को लेकर किए गए कार्यों को देखते हुए 3 दिसंबर को महामहिम राष्ट्रपति पुरस्कार से पुरस्कृत करेंगी।
सवाल- नि:शक्त जनों से कैसे जुड़े।
जवाब – कार्यक्रम के दौरान कमिश्नर संदीप रजक ने सबसे पहले यश भारत परिवार का आभार व्यक्त किया और उन्होंने कहा कि उनके कार्यों में यश भारत परिवार का अहम योगदान रहा है श्री रजक ने बताया कि उनके मामा जी हाथ और पैर से दिव्यांग हैं। जिसके चलते उन्होंने दिव्यांगता को बहुत करीब से देखा । उनकी माताजी मामा जी की सेवा किया करती थीं, जिस कारण दिव्यांग की समस्याओं को समझते हुए सर्वप्रथम घर से ही शुरुआत की और दिव्यांगता के क्षेत्र में पहल की। सबसे पहले दिव्यांगता को समझने के लिए जो कोर्स है उसका अध्ययन किया। इस क्षेत्र में कार्य करते हुए वर्तमान में करीब 34 वर्ष की सेवा अवधि हो चुकी है।
सवाल – दिव्यांगता कितने प्रकार की होती है, वह कौन से दिव्यांग हैं जिन्हें समाज में स्थान दिलाना कठिन है।
जवाब- श्री रजक ने बताया की दिव्यांग अधिकार अधिनियम 2016 के तहत 21 प्रकार की दिव्यांगता को शामिल कर लिया गया है इसके साथ ही थैलेसीमिया सिकल सेल को भी शामिल कर लिया है। सबसे ज्यादा कठिन बहुदिव्यांगता है। उनका जीवन यापन बहुत कठिन होता है और उसमें मैंने विशेष ध्यान दिया है ।बहु दिव्यांगता से पीड़ित लोगों को विशेष रूप से 1200 रुपया प्रति महीने दिए जाते हैं जबकि अन्य दिव्यांगों को मध्य प्रदेश शासन द्वारा मासिक 600 रुपए प्रति महीने दिया जाता है । श्री रजक ने बताया कि बहु दिव्यांगों को देखरेख की बहुत आवश्यकता होती है।
सवाल – क्या दिव्यांगों में भी क्राइटेरिया होता है।
जवाब- श्री रजक ने बताया कि दिव्यांगों में किसी प्रकार का कोई क्राइटेरिया नहीं होता ना गरीबी रेखा ना अन्य वर्ग सहित धर्म का किसी प्रकार का भी कोई बंधन नहीं होता।
सवाल – दिव्यांगों को आर्थिक सहायता कैसे दी जाती है।
जवाब – दिव्यांगों को सीधे सहायता दी जाती है। वह घर पर रहे अथवा संस्थान आए यह उनके ऊपर निर्भर करता है लेकिन मध्य प्रदेश शासन किसी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं करता है।
सवाल – दिव्यांगों की शिक्षा कैसे दी जाती है।
जवाब- दिव्यांगों के लिए समावेशी शिक्षा की नीति लागू है। दिव्यांगों के हिसाब से स्पेशल एजुकेशन विशेष ब्रेल लिपि आदि शिक्षा दी जाती है इसमें सामान्य लोगों से जोड़कर सामान्य लोगों को उन्हें पढ़ाने का अवसर दिया जाता है। अलग से एजुकेट करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है सामान्य शिक्षक दिव्यांगों का भली भांति पढ़ा सकते हैं।
सवाल – दिव्यांगों को पढ़ाने वाले शिक्षकों की क्या स्थिति है।
जवाब – मध्य प्रदेश शासन में घुमंतु शिक्षक की नीति लागू है जो दिव्यांगों को घूम-घूम कर पढ़ाते हैं और ऐसे स्कूल जहां पर दिव्यांगों का एडमिशन है वहां जाकर एजुकेट करते हैं और उनकी क्या आवश्यकता है उसकी पूर्ति करते हैं ।
सवाल – दिव्यांग शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया क्या है।
जवाब- दिव्यांग शिक्षकों की भर्ती अलग होती है कोर्सों के हिसाब से शिक्षकों की भर्ती की जाती है ताकि वह दिव्यांगों को उनके हिसाब से पढ़ा सकें।
सवाल- दिव्यांग का कोई ऐसा उदाहरण जिसने अद्भुत कार्य कौशल की छाप छोड़ी हो।
जवाब- श्री रजक ने बताया कि एक स्पेशल खेलकूद प्रतियोगिता हो रही थी जिसमें जबलपुर से हमारी टीम दिल्ली गई हुई थी जिसमें एक बच्चा था जो टीम में आया था। बच्चे ने कहा कि फोन से मां से बात करना चाहता है बात कराई जाए लेकिन उस समय उसकी प्रतियोगिता शुरू होने वाली थी वह जिद कर रहा था । लेकिन उसे समझाया जा रहा था कि वह पहले अपनी प्रतिस्पर्धा में भाग ले बाद में उसकी मां से बात कर दी जाएगी। उसे दौड़ में भाग लेना था लेकिन उसका पूरा ध्यान उसकी मां की ही तरफ था और वह बौद्धिक दिव्यांग बच्चा था बच्चे को जब समझाया गया कि वह एकाग्रता से अपनी दौड़ में ध्यान दें। तो यकायक बच्चा इतनी तेज दौड़ा और इस स्पर्धा में उस बच्चे ने दिल्ली में गोल्ड मेडल जीता। उस बच्चे की मासूमियत देखकर मैं स्टेडियम में रो रहा था जीतने के बाद वह बच्चा आकर लिपट गया यह दृश्य दिल को छू गया और बाद में उसकी मां से बात कराई गई यह अद्भुत क्षण थे। जबकि इस बच्चे से बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि वह प्रतिस्पर्धा में जीत हासिल करेगा।
सवाल – जो दिव्यांग आगे नहीं बढ़ पाए उनका जीवन कैसे चलता है।
जवाब -दिव्यांगों को शासकीय नौकरी में आरक्षण प्राप्त है लेकिन कोई दिव्यांग यदि नहीं आगे नहीं बढ़ पाया तो उन्हें अन्य अवसर भी उपलब्ध होते हैं उदाहरण स्वरूप रानी ताल में हाल ही में एक स्पेशल शॉप खुली है जहां सभी दिव्यांगों को रोजगार दिया गया है दिव्यांगों के रोजगार व स्वरोजगार के लिए जबरदस्त कार्य किया जा रहा है और हर संभव मदद दिलाई जा रही है छतरपुर कलेक्टर से भी निवेदन किया गया था की एक स्पेशल दिव्यांग कमरा बनाया जाए इसके बाद वहां दो दिव्यांग कमरे बनकर तैयार किए गए जहां दिव्यांग बच्चे स्वरोजगार स्वरूप वहां फोटोकॉपी आदि कर खुशी से जीवन जी रहे हैं। कलेक्ट्रेड और अन्य परिसरों में भी मैस आदि चलाकर वह स्वरोजगार पाते हैं श्री रजक ने कहा कि हमारा स्पेशल प्रयास है कि जहां भी शासकीय परिसर आदि है वहां दिव्यांगों को रोजगार से जोड़ा जाए छतरपुर से इस मुहिम की विशेष शुरुआत भी हो चुकी है। इसके साथ ही साथ मेडिकल कॉलेज में भी इसकी शुरुआत हो चुकी है।
सवाल – आपकी भविष्य में क्या योजनाएं हैं।
जवाब- भविष्य में अकेले कार्य करने की योजना नहीं है क्योंकि यह कार्य अकेले हो भी नहीं सकता है इसलिए जो हमारे स्वयंसेवी संगठन है और जो विभाग से जुड़े हुए रिटायर कर्मचारी हैं उन्हें भी इस महिम से जोड़कर कार्य किया जा सकता है इन सभी को लेकर काम करने की आवश्यकता है और यह वातावरण बनाने की आवश्यकता है कि दिव्यांग समाज से अलग नहीं है बल्कि वह समाज का हिस्सा है। आवश्यकता इस बात की है कि बाहरी वातावरण भी अच्छा बने। वह रेलवे स्टेशन बस आदि में आराम से सफर कर सकें सिनेमा घर में जाए या अन्य कहीं जाएं उन्हें बाधा रहित वातावरण की आवश्यकता है। इसमें विशेष फोकस किया जा रहा है। दिव्यांगता अधिकार अधिनियम में इसका प्रावधान भी है और यह सुविधा न देने पर सजा का भी प्रावधान है। हर पब्लिक मूवमेंट में दिव्यांगों को हर प्रकार की सुविधा दी जाए यह उनका अधिकार है । स्कूल, कॉलेज हॉस्पिटल मॉल आदि में इस हेतु विशेष प्रयास किया जा रहे हैं और इसमें काफी सफलता भी मिली है।
टीम लगातार काम करती है
कार्यक्रम के अंत में कमिश्नर संदीप रजक ने कहा कि दिव्यांग और उनके परिजन अपने आप को कभी अकेला ना समझे आज सभी मिलकर काम कर रहे हैं जिला स्तर पर और तहसील स्तर पर भी कार्य किया जा रहा है बहुत सारे अवसर और विकल्प प्रस्तुत हैं। दिव्यांगजनों को सभी स्वीकार करें और दिव्यांगजनों को सभी अवसर दें आपाधापी का समय है सबको तेजी से भागना है यह जरूरी भी है, लेकिन दिव्यांग जनों की मदद करें और आगे लाने के लिए उन्हें अवसर प्रदान करें।