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EXCLUSIVE : 3 वर्षों से संपूर्ण भारत यात्रा : देश के कोने-कोने की मिट्टी एकत्रित कर गौरव मालवीय करेंगे मंदिर निर्माण : 2029 में माउंट एवरेस्ट में फहराएंगे ध्वज

नरसिंहपुर, गोटेगांव lदेश के लिए कुछ करने का जज्बा, फौजी बनने का था सपना सिलेक्शन ना होने पर गौरव ने निकाला विकल्प और ठाना माउंट एवरेस्ट की सबसे ऊंची चोटी पर राष्ट्रीय ध्वज को लहराने के लिए निकल पड़े संपूर्ण भारत की पैदल यात्रा पर  यात्रा के दौरान गौरव के साथ गोटेगांव के युवाओं ने सेल्फी निकालकर उनको आगे की यात्रा के लिए शुभकामनाएं प्रेषित कर रवाना कियाl 

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गिनीज ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में हम अपना नाम दर्ज करेंगे

उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले के गौरव मालवीय निकले हैं संपूर्ण भारत यात्रा पर ढाई लाख से अधिक किलोमीटर की यात्रा में अभी तक उन्होंने अपने घर और गांव को छोड़कर निकले हैं और लगभग लगभग 3वर्षों से अधिक अधिक समय हो गया है उनको पैदल चलते हुएl गौरव बताते हैं कि 2029 तक इस लक्ष्य को हम हासिल करेंगे साथ ही साथ गिनीज ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में हम अपना नाम दर्ज करेंगे

गौरव का मुख्य उद्देश्य तो फौजी बनना था लेकिन गौरव फौजी तो नहीं बन पाए, गौरव अपने बचपन से ही देश और समाज के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा हमेशा रखते रहे हैं और उनकी सोच समाज और देश के प्रति कुछ अलग करने की रही है भले ही गौरव फौजी के माध्यम से देश की सेवा न कर पाए हो लेकिन उन्होंने एक बीच का रास्ता अपनाते हुए घर से निकल पड़े, जी हां अभी लगभग 3 वर्ष से अधिक समय से वह अपने परिवार समाज और गांव से दूर रहकर भारत के दूरदराज इलाकों को छूते हुए भारत की उस शिखर चोटी की ओर निकल पड़े हैंl

गांव में बनाएंगे मंदिर

जिनको हम और आप माउंट एवरेस्ट कहते हैं इनका उद्देश्य है कि माउंट एवरेस्ट की उस विशाल का ऊंची चोटी पर अपने भारत के झंडे को लहराना है साथ ही साथ गौरव मालवीय बताते हैं कि मैं देश के समस्त कोनों और तीर्थ क्षेत्रों की मिट्टी का भी एकत्रित कर रहा हूं जिससे मैं अपने गांव में हिंदुस्तान की मिट्टी का पूजन अर्चन करूंगा और इसको एक मंदिर निर्माण कर मंदिर में स्थापित करूंगा साथ ही साथ गौरव ने संकल्प भी लिया है कि इस भारत की मिट्टी जो की देवतुल्य मानी जाती है जहां पर गंगा की जलधारा है नर्मदा का शीतल जल है जहां पर कंकड़ कंकड़ में शंकर का ध्यान होता हैl

 

….जी हां इस भारत की माटी को हम अपने गांव में स्थापित करेंगे lकोने कोने से और तीर्थ क्षेत्र से इकट्ठी की गई मिट्टी की स्थापना कर मैं वहां पर एक लाख पौधों का वृक्षारोपण करूंगा जिसकी देखरेख में स्वयं अपने हाथों से करूंगा और जीवन का मेरा अब यही मुख्य उद्देश्य है मां भारती की सेवा और पर्यावरण का संरक्षण ही अब मेरे जीवन का मुख्य भाग बन चुका है गौरव बताते हैं कि इससे बड़ी सेवा और क्या हो सकती है और चलते-चलते भी हम देश के विभिन्न कोने गांव गलियारों खेत खलियानों एवं कस्वां में भी पर्यावरण के संरक्षण का संदेश दे रहे हैं साथ ही साथ वृक्षारोपण कर रहे हैं और मेरा मानना है कि हमको स्वस्थ समृद्ध और स्वस्थ रहना है तो पर्यावरण का संरक्षण तो करना ही होगा आज इस चमक चांदनी की दुनिया में आधुनिकता से भरी इस दुनिया में यदि हमने पर्यावरण का संरक्षण नहीं किया तो कहीं ना कहीं हमको प्रकृति माफ नहीं करेगी मालवीय संकल्प को लेते हुए भारत कि लगभग 13 राज्यों से होकर निकल चुके हैं और अभी 23 राज्य जाना और भी बाकी हैl

 

जी हां यहां तक की गौरव अपना दर्द झलकाते हुए कहते हैं कि आज हमारी गाय माता सड़कों पर दर-दर भटक रही है गौरव बताते हैं कि गाय माता को राष्ट्रमाता घोषित किया जाए एवं उनके संरक्षण और संवर्धन के लिए उचित स्थान मौहिया कराए जाएं ताकि गाय माता को हम मां मानते हैं और आज सड़कों पर दर-बदर भटक रही है जिससे वह दुर्घटना का शिकार हो जाती हैं वही देश के युवाओं को संदेश देना चाहते हैं कि आज युवा हमारा मोबाइल और आधुनिकता की चमक चांदनी की दुनिया में कहीं ना कहीं फसता चला जा रहा है और इस चमक चांदनी की दुनिया से बाहर निकल कर युवाओं को कुछ मेहनत और लगन से कार्य करना चाहिए जिससे वह अपने समाज गांव देश कस्बा का नाम रोशन कर सकें l

गौरव बताते है कि मैं एक मिडिल क्लास फैमिली से हूं जिसमें मेरे पिताजी का देवलोक गवन हो गया है और मां के साथ में रहता हूं जिसमें मेरे बड़े भाई सॉफ्टवेयर इंजीनियर की पोस्ट पर फिलहाल मुंबई में कार्यरत हैं वही मेरा छोटा भाई शिक्षक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहा है मेरा शिक्षा की बात की जाए तो 12वीं पास उत्तरण कर आज मैं समाज की सेवा में निरंतर अपना समय दे रहा हूं साथ ही साथ इस यात्रा में मेरे परिवार का भरपूर सहयोग और समर्थन मिल रहा है इसके अलावा मेरी पत्नी का भी इस यात्रा में मुझे भरपूर साथ और संभल मिल रहा है यात्रा के दौरान गोटेगांव के युवाओं ने गौरव मालवीय के साथ सेल्फियां निकाली और उनके आगे यात्रा के लिए शुभकामनाएं देकर उनको रवाना कियाl

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