इंतहा हो गई इंतजार की
नए प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा में अभी कुछ दिन और लग सकते हैं।

इंतहा हो गई इंतजार की
नए प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा में अभी कुछ दिन और लग सकते हैं।
जबलपुर यश भारत। भारतीय जनता पार्टी में संगठन चुनाव की प्रक्रिया के चलते मंडल जिला और नगर अध्यक्षों के नाम का ऐलान तो हो चुका है लेकिन अभी तक भाजपा को नया प्रदेश अध्यक्ष नहीं मिल पाया है। इसके अलावा विभिन्न निगमो प्राधिकरण आदि मैं होने वाली राजनीतिक नियुक्तियां भी अभी तक संभव नहीं हो पाई जिसके चलते दावेदार अब बेचैनी महसूस करने लगे हैं। हालांकि एक बात तो लगातार सामने आ रही है कि प्रदेश अध्यक्ष के नाम का ऐलान कभी भी हो सकता है लेकिन निगम मंडलों और प्राधिकरणों में होने वाली राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर अभी भी संशय बरकरार है कि यह कब तक संभव हो पाएगा। इन संस्था संस्थानों पर जगह पाने के लिए दावेदार अपने-अपने तरीके से एक्टिव मोड में तो है और लगातार वरिष्ठ नेताओं से संपर्क कर अपनी दावेदारी पुख्ता करने में लगे हैं ऐसी नेताओं में बड़ी संख्या उनकी भी है जो किसी कारणवश नगर और जिला अध्यक्ष की कुर्सी तक नहीं पहुंच पाए इन लोगों ने नए सिरे से निगम प्राधिकरण आदि मैं अपनी जगह सुरक्षित करने के लिए नए श्री से कवायद शुरू कर दी है। जो नेता और दावेदार नगर और जिला अध्यक्ष की दौड़ में पीछे रह गए हैं अब वे दूसरी जगह अपने लिए जगह मांग रहे हैं। भाजपा के राजनीतिक गलियारों में दावेदारों की सक्रियता जारी है। भाजपा से जुड़े सूत्र बताते हैं कि निगम मंडल और प्राधिकरण में नियुक्ति नए प्रदेश अध्यक्ष के निर्वाचन के बाद ही संभव हो सकती है और वर्तमान में जिस तरह की परिस्थितियों निर्मित है उससे लगता है कि नए प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा में अभी कुछ दिन और लग सकते हैं। जिसके पीछे दो प्रमुख कारण सामने आ रहे हैं एक तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मध्य प्रदेश दौरा और दूसरा भोपाल में आयोजित होने वाली ग्लोबल समिट इसके बाद ही कुछ होने की उम्मीद है। सूत्रों की माने तो नए प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा के बाद उनकी राय और सहमति से ही निगम मंडल और प्राधिकरण में अध्यक्ष उपाध्यक्ष नियुक्त किये जा सकते हैं। एक संभावना यह भी जताई जा रही है कि प्रदेश अध्यक्ष और निगम मंडल प्राधिकरण में नियुक्ति के बाद जो दावेदार बचेंगे उन्हें प्रदेश संगठन में जगह दी जा सकती है। भाजपा संगठन के सामने एक और चुनौती है और वह है कांग्रेस और दूसरे दल से भाजपा में आए नेता जो संगठन चुनाव में दावेदारी नहीं कर पाऐ वह भी राजनीतिक नियुक्तियों में तरजीह दिए जाने की अपेक्षा लगाए हैं। तो दूसरी तरफ वर्षों से समर्पित भाव से कार्य करने वाले नेताओं को भी इंतजार है कि संगठन उन्हें क्या जिम्मेदारी सौंपता है ऐसे नेता भी उम्मीद लगाए बैठे हैं। जिसके चलते भाजपा के तीर्थ नेतृत्व के सामने सभी को साथ कर आगे बढ़ाने की चुनौती है और इन्हीं कारणों के कारण अब तक निगम मंडल और प्राधिकरण में नियुक्तियां संभव नहीं हो पाई जो इंतजार को बढ़ा रही हैं।