डोरीलाल की चिन्ता :- साधो देखो जग बौराना
डोरीलाल को इस बात के प्रमाण मिल चुके हैं कि कंप्यूटर मोबाइल और तरह तरह के एप्स प्राचीन काल से भारतवर्ष में थे। अभी कुछ दिनों पूर्व तक बिल्कुल विश्वास नहीं होता था। जब देश के प्रधानमंत्री बताते थे कि प्लास्टिक सर्जरी से गणेश जी के सिर पर हाथी का सिर लगाया गया था। अब यह बात उच्चशिक्षा प्राप्त भारतीय मध्यवर्ग अच्छे से कंठस्थ कर चुका है कि हमारे देश में हवाई जहाज सैकड़ों या हजारों या लाखों साल पहले से था। इस देश में यह सुभीता है कि आप कुछ भी बोल सकते हैं। सामने वाला हां ही बोलेगा। बल्कि आप की बात का अनंत विस्तार कर देगा। हवाई जहाज का तो लिखित प्रमाण है। विमान संहिता है। बस एक दिक्कत आती है। डायनासोर के अवशेष मिल जाते हैं हवाई जहाज के नहीं मिलते। पर क्योंकि हमने मान लिया है कि भारत भूमि के अलावा पूरी पृथ्वी पर आदमी पशु रूप में था। बस भारत में ही मनुष्य रूप में था। इसलिए दिन रात प्रयोग करता था। सोचता रहता था। किताबें लिखता रहता था। दर्शन बघारता रहता था। इंजीनियरिंग, मेडिकल, भवन विज्ञान, व समस्त विज्ञान हम सब पहले से जानते थे। बल्कि हमारे देश से चोरी बहुत हुई। हमने लिखी किताब। बाहर आंगन में रखकर आखेट हेतु वन में गये। तब तक विदेशी आक्रांता चोर उठाकर हमारी किताबें लेकर भग गये। और दूसरे देशों में जाकर अपनी खोज बताने लगे। दुनिया में किसी के पास देवभाषा संस्कृत नहीं है। हमारे पास है। दुनिया की सारी भाषाएं संस्कृत से निकली हैं। अंतरिक्ष विज्ञान रॉकेट साइंस सब हम जानते थे।
भारत का मध्यवर्ग इस समय इतिहास के नशे में चूर है। पैसे का नशा तो है ही। साथ ही पूरी दुनिया का ज्ञान और राजनीति समझ लेने का नशा भी बहुत तेज है। वो अर्थशास्त्र जानता है। अंतरराष्ट्रीय राजनीति, कानून कौन सा विषय है जिसमें उसकी प्रवीणता न हो। ये ईमानदारी से मानते हैं कि दुनिया जहां आज है वहां तक भारतवर्ष मोहम्मद गौरी के आने के पहले तक पहुंच चुका था। उसके बाद सारी प्रयोगशालाएं, विश्वविद्यालय बंद कर दिए गये। शोधार्थी वनों मेें चले गए और संस्कृत में कविता करने लगे। इनको ऐसा तैयार कर दिया गया है कि कोई नव विचार दिखायी दिया नहीं कि ये इक_े हमला करते हैं। इस नशीले समय में इन लोगों में 24 घंटे एक जुनून तारी है। राष्ट्रहित और देश की रक्षा दोनों की दो दो गोलियां रोज इन्हें खिलायी जाती हैं। जब से व्हाट्सएप आया है इस बीमारी के रोगी तेजी से बढ़े हैं। इसने लोगों को विद्वान बनाने के सारे द्वार खोल दिए हैं। आई टी सैल द्वारा सुबह ही इन्हें दिन भर का एजेंडा दे दिया जाता है। दिन भर ये लोग उसी एजेंडे को चलाते हैं। प्राय: इन्हें ट्रोल आर्मी के सैनिक के रूप में रखा जाता है। ट्रोल आर्मी में भी ये अग्निवीर स्कीम में काम करते हैं। पेमेन्ट या तो मिलती ही नहीं या फिर 2 रुपये प्रति पोस्ट का रेट रखा गया है। वैसे राजनीति के ये अग्निवीर प्राय: स्वयंसेवक होते हैं। इन्हें दो ही नारे सिखाये गये हैं। उसी से ये कोई भी बहस जीत सकते हैं। जय जय श्री और माता की जय।
डोरीलाल का दावा है कि कबीर दास जी के जमाने में भी व्हाट्सएप और फेसबुक और ट्रोल आर्मी थी। कबीर दास जी ज्ञानी थे। वो ईश्वर भक्ति में लीन रहते थे। सुबह से कपड़ा बुनते थे। बुन लेने के बाद बाजार में बेच आते थे। उसी से जीवन चलाते थे। उनके दोस्त और समकालीन कवि गण भी अपने अपने काम से, मेहनत से कमाते खाते थे। इसी श्रम को करते करते वो ईश्वर के बारे में विचार करते थे। निर्गुण और सगुण के बारे में विचार करते थे। उनके बहुत दुश्मन थे। उन्हें प्रताडि़त करते थे। मगर कबीर दास जी अपनी राह चलते थे। तो उसने जब कहा कि साधो देखो जग बौराना तो डोरीलाल को समझ आया कि ये ऐसा क्यों कह रहे हैं। वो व्हाट्सएप और फेसबुक के विद्वानों से परेशान हो गये थे। वो बार बार लोगों से कहते बौरा गए हो क्या ? सच्ची बात कहो तो मारने को दौड़ते हो और झूठ को पूरा जैसा का तैसा मान लेते हो। हिंदू राम का नाम लेता है और मुसलमान रहमान का और दोनों आपस में इस बात पर लड़ते-मरते हो लेकिन सच्चाई कोई नहीं जानना चाहता। धर्म और उसके नियमों को मानने वाले तो बहुत मिलते हैं जो प्रात:काल पूजा करते हैं, पत्थर और पीपल को पूजते हैं माला और टोपी पहनकर तिलक और छापा लगाते हैं मगर इनका ज्ञान थोथा है। इन्हें आत्मा का कोई ज्ञान ही नहीं है। मैंने पीर और औलिया बहुत देखे हैं जो किताब -क़ुरान पढ़ते रहते हैं। वह क़ब्र दिखाकर लोगों को मुरीद बनाते हैं। उन्होंने भी ख़ुदा को नहीं पहचाना है। हिंदू की दया और मुसलमानों की मुहब्बत, दोनों उनके घरों से निकल गई हैं। एक जानवर को जि़बह करता है और दूसरा झटका करता है लेकिन आग दोनों के घर में लगी है। कबीर फिर सवाल उठाते हैं कि ये सब चलता रहता है और आप सब सयाने बने रहते हो, आप ही ज्ञानी बने रहते हो। कबीर पूछते हैं कि बताओ इनमें से प्रभु का असल दीवाना है ?
तो इस समय जो लोग व्हाट्स एप फेसबुक आदि के ज्ञानियों से परेशान हैं उनसे डोरीलाल का कहना है कि ये परंपरा सैकड़ों हजारों वर्षों से चली आ रही है। सांच कहे तो मारन धावे, झूठे जग पतियाना। चाहे ईसा मसीह हों, चाहे सुकरात हों चाहे गैलिलियो हों या ब्रूनो हों या गांधी हों सांच कहे तो मारन धावे प्राचीन काल से चल रहा है। आधुनिक विज्ञान ने सोशल मीडिया बनाकर बहुत सुभीता कर दिया है। ए आई की कृपा से आपको सोचने की जरूरत भी नहीं रही। मत सोचो ध्यान करो। मगर एक दया करो। मनुष्य का ध्यान करो। मानव जाति का ध्यान करो।
डोरीलाल कबीरप्रेमी