Chanakya Niti जानिए मनुष्य का सबसे बड़ा पाप, जिसकी कभी नहीं मिलती है ईश्वर के घर पर माफी
Chanakya Niti :- जानिए मनुष्य का सबसे बड़ा पाप, जिसकी कभी नहीं मिलती है ईश्वर के घर पर माफी जी हाँ, भगवान पर तो हर कोई विश्वास करता है। यदि इंसान कुछ भी गलती करता है तो सर्वप्रथम भगवान से ही माफी मांगता है। कुछ भी होता है तो लोग कहते है की उस भगवान से तो डर हर बात के लोए मनुष्य ईश्वर को याद करता है। जी हाँ, आपको बता दे की चाणक्य निति के अनुसार आपको क्या याद दिलाने चाहते है आचार्य चाणक्य जी – वे कहते है की जो व्यक्ति माता-पिता के लिए अपनी जुबान की ताकत का यूज़ करता है, तो उसे बड़ा पाप इस जीवन में दूसरा कोई नहीं है। इस बात का कथन ये है की माता पिता के लिए अपशब्द बोलने वाला इंसान संसार का सबसे बड़ा महापापी होता है उसके लिए इस संसार में कोई जगह नहीं है।
Chanakya Niti जानिए मनुष्य का सबसे बड़ा पाप, जिसकी कभी नहीं मिलती है ईश्वर के घर पर माफी
जी हाँ संसार का सबसे बड़ा सुख माता-पिता का ही होता है। लेकिन आचार्य चाणक्य जी के मुताबिक संतान सुख तब मिलता है जब वो आपने माता-पिता का नाम पुरे संसार में रौशन करें। साथ ही संतान को कामयाब के लिए माता पिता पूरा दुःख ले कर अपने संतान को सुख सुविधा प्रदान करता है। ताकि उसे जीवन की हर सुविधाएं मिल सके। जी हाँ, ये बात तो आप भी जानते है माता पिता से बढ़कर इस दुनिया में दूसरा कोई नहीं है। चाणक्य जी इस पोस्ट में माता, पिता और संतान को लेकर बहुत महत्वपूर्ण विचार को बताते है की मनुष्य का सबसे पड़ा दुःख क्या होता है, आइये जानते है हम आपको निचे बताते है।
जानिए की मनुष्य जीवन का सबसे बड़ा पाप क्या होता है
अब जानिए की मनुष्य का जीवन में सबसे बड़ा पाप क्या होता है। जी हाँ, चाणक्य नीति कहती है कि मनुष्य के शब्दों में सांफ से ज्यादा जहर होता ही सांप के काटने से एक छूट मनुष्य बच जाता है लेकिन मनुष्य के शब्दों से कोई आज तक नहीं बचा है। साथ ही चाणक्य ने एक कथन ये भी कहा है की व्यक्ति माता-पिता के लिए अपनी जुबान की ताकत का यूज़ करता है जिसमे ये संसार का सबसे बड़ा पाप है। इसका अर्थ है की माता पिता के लिए अपशब्द में बोलने वाला इंसान संसार का सबसे बड़ा महापापी होता है।
Chanakya Niti जानिए मनुष्य का सबसे बड़ा पाप, जिसकी कभी नहीं मिलती है ईश्वर के घर पर माफी
इस महापाप की कभी नहीं मिलती है माफी यहाँ पर
आप तो जानते ही है की माता-पिता को ईश्वर के बराबर माना गया है। माता पिता अपनी बच्चे ले लिए अपनी पूरी जिंदगी कुर्बान कर देते है। चाणक्य के अनुसार एक बार तीर निकल जाने से कभी वापस नहीं आता है उसकी प्रकार आपके मुहं से निकले शब्द भी कभी वापस नहीं लिए जा सकते है इसलिए जब भी बोलो आप सोच समझा कर बोलो ताकि कभी किसी को बुरा न लगे अक्सर ऐसा होता है की व्यक्ति क्रोध में माता-पिता को भी कड़वे शब्द बोल देते है लेकिन जब उस बात को सोचते है तो पछतावे के आलावा आपके हाथ में कुछ नहीं आता है। याद रखें हमारा एक गलत वाक्य या शब्द उनके दिल को गहरी ठेस पहुंचा सकता है। ऐसे में अगर वो माफ भी कर दें लेकिन ईश्वर कभी इस गलती को माफ नहीं करता है।
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