जबलपुर केंद्रीय जेल में बंदियों की पैरल प्रक्रिया और स्वास्थ्य सेवाओं का शीविर
10 वर्षों में 4000 बंदियों को मिली पैरल

जबलपुर केंद्रीय जेल में बंदियों की पैरल प्रक्रिया और स्वास्थ्य सेवाओं का शीविर
10 वर्षों में 4000 बंदियों को मिली पैरल
जबलपुर, यश भारत। नेताजी सुभाष चंद्र बोस केंद्रीय जेल में बंदियों को पैरल दिए जाने की एक सुव्यवस्थित प्रक्रिया है। अच्छे आचरण और पारिवारिक परिस्थितियों के आधार पर बंदियों को पैरल दी जाती है, जिसमें परिवार की जानकारी लेना और अन्य कानूनी औपचारिकताएँ पूरी करना शामिल है।
जेल प्रशासन के अनुसार, हर साल औसतन 400 बंदियों को पैरल पर छोड़ा जाता है। पिछले 10 वर्षों में लगभग 4000 बंदियों को पैरल मिली है। वर्तमान में 12 बंदी पैरल पर जेल से बाहर हैं। हालांकि, कुछ बंदी पैरोल अवधि पूरी करने के बाद भी फरार हो जाते हैं, जिससे उनकी जमानत जब्त कर ली जाती है और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाती है।
फरार बंदियों पर कड़ी निगरानी
जेल अधीक्षक अखिलेश तोमर ने बताया कि पैरोल से फरार होने वाले बंदियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत केस दर्ज किया जाता है और उन्हें किसी भी प्रकार की कानूनी या प्रशासनिक सुविधाओं से वंचित कर दिया जाता है। जेल प्रशासन पुलिस से समन्वय बनाकर ऐसे बंदियों की जानकारी जुटाता है और उनकी गिरफ्तारी सुनिश्चित करता है। स्वास्थ्य सेवाओं का विशेष ध्यान
केंद्रीय जेल में करीब 3000 बंदी बंद हैं, जिनमें से प्रतिदिन लगभग 20% बंदी किसी न किसी बीमारी से ग्रसित होते हैं। इनका नियमित स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है। समय-समय पर बाहरी विशेषज्ञ डॉक्टरों को बुलाया जाता है और जेल में ही इलाज की सुविधा दी जाती है।