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Ashadha Amavasya 2024: आषाढ़ अमावस्या है आज, जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

आषाढ़ अमावस्या शुभ मुहूर्त (Ashadha Amavasya 2024 Shubh Muhurat)

आषाढ़ मास की अमावस्या तिथि 5 जुलाई यानी आज सुबह 4 बजकर 57 मिनट पर शुरू हो चुकी है और तिथि का समापन 6 जुलाई को सुबह 4 बजकर 26 मिनट पर होगी. उदयातिथि के अनुसार, आषाढ़ अमावस्या 5 जुलाई यानी आज ही मनाई जा रही है.

आषाढ़ अमावस्या पूजन विधि (Ashadha Amavasya Pujan Vidhi)

ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें. आषाढ़ अमावस्या के दिन गंगा स्नान का अधिक महत्व है. इसलिए गंगा स्नान जरूर करें. अगर आप स्नान करने के लिए नहीं जा पा रहे हैं तो घर में ही नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल डालकर नहा लें. इसके बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य दें. भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करना चाहिए. आषाढ़ अमावस्या के दिन अपनी योग्यता के अनुसार दान जरूर देना चाहिए. पितरों की शांति के लिए तर्पण, श्राद्ध आदि कर सकते हैं.

आषाढ़ अमावस्या नियम (Ashadha Amavasya Niyam)

इस दिन का व्रत बिना कुछ खाए पिए रहा जाता है. अमावस्या तिथि के दिन सुबह जल्दी उठकर गायत्री मंत्र का 108 बार जप करें और सूर्य और तुलसी को जल अर्पित करें. इस दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाएं. गाय को चावल अर्पित करें. तुलसी को पीपल के पेड़ पर रखें. इसके साथ ही इस दिन दही, दूध, चंदन, काले अलसी, हल्दी, और चावल का भोग अर्पित करें. पेड़ के चारों ओर 108 बार धागा बांधकर परिक्रमा करें. विवाहित महिलाएं चाहें तो इस दिन परिक्रमा करते समय बिंदी, मेहंदी, चूड़ियां, आदि भी रख सकती हैं. इसके बाद पितरों के लिए अपने घर में भोजन बनाएं और उन्हें भोजन अर्पित करें. गरीबों को वस्त्र, भोजन, और मिठाई का दान करें. गायों को चावल खिलाएं.

आषाढ़ अमावस्या महत्व (Ashadha Amavasya Significance) 

अमावस्या व्रत व्यक्ति को हर तरह की नकारात्मक ऊर्जा और बुरी नजर से सुरक्षित रखने के लिए बेहद उपयुक्त माना जाता है. इसके साथ ही यह सभी बुरी शक्तियों के प्रभाव को कम करने में भी बेहद कारगर होता है. अपने पितरों की आत्मा को प्रसन्न करने के लिए अमावस्या व्रत का महत्व बहुत अधिक माना गया है. इस दिन मुमकिन हो तो अपने पूर्वजों के लिए खाने पीने का सामान अवश्य निकालें. इसके अलावा माना जाता है कि जो कोई भी व्यक्ति अमावस्या का व्रत करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. विधि विधान के साथ अमावस्या का व्रत किया जाए तो व्यक्ति की कुंडली में मौजूद काल सर्प दोष के हानिकारक प्रभाव कम होने लगते हैं.

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