संसोधन : अब नहीं रहा आरोपी 164 सीआरपीसी के कथनों का अधिकारी
मध्यप्रदेश सरकार ने राज्यपत्र किया जारी
जबलपुर, यशभारत। दंड प्रक्रिया संहिता और पुलिस की कार्य प्रणाली से संबंधित प्रावधान दर्ज किए गए हैं। ऐसे ही सीआरपीसी की धारा 164 में कथनों को अभिलिखित करना परिभाषित किया गया है। दंड प्रक्रिया संहिता 164 में संस्वीकृतियों और कथनों को अभिलिखित करना बताया गया है, जिसका मतलब है इकबालिया बयान दर्ज कराना। महत्वपूर्ण कथन दर्ज कराने के बाद आरोपी को इसकी प्रति दी जाती थी, लेकिन संसोधित प्रारुप में अब आरोपी को 164 के कथनों की प्रति नहीं दी जाएगी। साथी ही पीडि़ता का बयान भी अब 24 घंटों के अंदर ही दर्ज करवाना पड़ेगा। मध्यप्रदेश में उक्त राज्यपत्र जारी किया गया है।
जानकारी अनुसार एफआईआर के बाद पुलिस 161 सीआरपीसी के कथन दर्ज करवाती है। जिसके बाद माननीय न्यायालय में 164 के कथन दर्ज करवाए जाते है। चालान के साथ ही आरोपी को इसकी भी एक प्रति दी जाती रही है। लेकिन नियमों में संसोधन के बाद अब 164 के कथन संबंधित आरोपी को नहीं दिए जाएंगे। अभियुक्त को केवल दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 207 या 208 के अधीन उपनियम (2) के अधीन अभिलिखित कथन की प्रति प्राप्त करने का अधिकार है।
इन्होंने कहा-
राज्यपत्र जारी किया गया है। इसमें प्रमुख रुप से अब 24 घंटों के अंदर पीडि़ता के बयान पुलिस को दर्ज करवाना होगा, और यदि कथन दर्ज नहीं करवाए गए तो कारण भी स्पष्ट करना पड़ेगा।टीके विद्यार्थी, एसपी जबलपुर