चुनावी चक्कलस
क्या मध्य में मंदिरों से मिलेगा उत्तर – भाजपा ने 20 सालों के बाद शहर के मध्य बिंदु से अपना चेहरा बदला है।वह चेहरा भाजपा का तो प्रतिनिधि तो था ही सत्ता के केंद्र में आते ही समाज विशेष का भी चेहरा बन गया। ऐसे में भाजपा का यह फैसला उसे मन ही मन डरा भी रहा है। कहीं चेहरा बदलते ही वोटर भी न बदल जाए। ऐसे में इस बात का उत्तर तलाशने मध्य के मंदिरों की दौड़ लगी हुई है। क्योंकि फैसला कहीं न कहीं मंदिरों से होकर गुजरेंगे जो परिणाम में स्पष्ट दिखाई देंगे।
क्या जन्मदिन के केक दिलवाएंगे वोट –शहर की एक विधानसभा ऐसी है जहां सीधा मुकाबला तो बीजेपी कांग्रेस के बीच में है । लेकिन देर से ही सही एक पार्टी की एंट्री ने समीकरणों को बदल दिया है। हालांकि देर से आई पार्टी के नेता लंबे समय से तैयारी में लगे थे। विधानसभा क्षेत्र के एक एक युवा के जन्मदिन पर जमकर केक कटवाए गए अब देखना होगा कटे हुए केक कितने वोट में तब्दील होते हैं।
बुझ गए आशा के दीप – भाजपा में एक इस्तीफा क्या हुआ दीपावली के पहले ही बहुतों के मन में दीपक जल गए थे, कि दीपावली के पहले ही उनकी दिवाली मन जाएगी । पर पार्टी ने भावावेश में हुए इस्तीफे पर वक्त का ऐसा ठंडा पानी डाला कि नाराजगी भी शांत हो गई और काम की आस में बैठे कुछ लोगों के बिना दीपावली के दीपक भी बुझ गए।