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ISRO का पहला सोलर मिशन आदित्य L1 लॉन्च:63 मिनट में अर्थ ऑर्बिट में पहुंचेगा, चार महीने में 15 लाख किमी दूर लैगरेंज पॉइंट पर जाएगा

चंद्रयान-3 की चांद के दक्षिणी ध्रुव पर कामयाब लैंडिंग के बाद ISRO ने शनिवार को सूर्य की स्टडी के लिए अपना पहला मिशन भेजा। आदित्य L1 नाम का यह मिशन सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर PSLV-C57 के XL वर्जन रॉकेट के जरिए श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया। PSLV चार स्टेज वाला रॉकेट है।

आदित्य L1 को रॉकेट 235 x 19500 Km की ऑर्बिट में छोड़ेगा। इसमें 63 मिनट 19 सेकेंड का समय लगेगा। ये स्पेसक्राफ्ट करीब 4 महीने बाद लैगरेंज पॉइंट-1 (L1) तक पहुंचेगा। इस पॉइंट पर ग्रहण का प्रभाव नहीं पड़ता, जिसके चलते यहां से सूरज की स्टडी आसानी से की जा सकती है। ​इस मिशन की अनुमानित लागत 378 करोड़ रुपए है।

लॉन्चिंग से कंट्रोल रूम में बैठे इसरो के वैज्ञानिक
लॉन्चिंग से कंट्रोल रूम में बैठे इसरो के वैज्ञानिक
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ISRO के वैज्ञानिकों ने शुक्रवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन स्पेस सेंटर में आदित्य L1 स्पेसक्राफ्ट के इंटरनल चेक्स पूरे किए।
ISRO के वैज्ञानिकों ने शुक्रवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन स्पेस सेंटर में आदित्य L1 स्पेसक्राफ्ट के इंटरनल चेक्स पूरे किए।

आदित्य L1 चार महीने में लैंगरेंज पॉइंट (L1) पर पहुंचेगा
आदित्य स्पेसक्राफ्ट को L1 पॉइंट तक पहुंचने में करीब 125 दिन यानी 4 महीने लगेंगे। ये 125 दिन 3 जनवरी 2024 को पूरे होंगे। अगर मिशन सफल रहा और आदित्य स्पेसक्राफ्ट लैग्रेंजियन पॉइंट 1 पर पहुंच गया, तो नए साल में इसरो के नाम ये बड़ी उपलब्धि होगी।

लैगरेंज पॉइंट-1 (L1) क्या है?
लैगरेंज पॉइंट का नाम इतालवी-फ्रेंच मैथमैटीशियन जोसेफी-लुई लैगरेंज के नाम पर रखा गया है। इसे बोलचाल में L1 नाम से जाना जाता है। ऐसे पांच पॉइंट धरती और सूर्य के बीच हैं, जहां सूर्य और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल बैलेंस हो जाता है और सेंट्रिफ्यूगल फोर्स बन जाता है।

ऐसे में इस जगह पर अगर किसी ऑब्जेक्ट को रखा जाता है तो वह आसानी से दोनों के बीच स्थिर रहता है और एनर्जी भी कम लगती है। पहला लैगरेंज पॉइंट धरती और सूर्य के बीच 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर है।

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