जबलपुर – ओबीसी के 27% आरक्षण की वैधता को चुनोती देने बाली तथा समर्थन वाली समस्त 62 याचिका की सुनवाई आज दिनांक 21/11/22 को जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ द्वारा की गई । हाईकोर्ट के समक्ष पूर्व में बताया गया था की ओबीसी के 27% आरक्षण को इंद्रा शाहनी बनाम भारत संघ में सुप्रीम कोर्ट की 9 जजो की संवैधानिक पीठ ने विधिक करार दिया है, तथा मध्यप्रदेश में ओबीसी की 51% पापुलेशन को दृष्टिगत रखते हुए 14% से बढ़ाकर 27% किया गया है जो संवैधानिक प्रावधान 15(4) एवम 16(4) के अनुकूल है अर्थात संविधान में आरक्षण की अधिकतम सीमा क्या होगी यह राज्य सरकार का क्षेत्राधिकार है ।
आज सुनवाई के दौरान शासन के विशेष अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने कोर्ट को अवगत कराया की सुप्रीम कोर्ट में लंबित एक याचिका बापिस लिए जाने का आवेदन 11/11/22 को दाखिल कर दिया गया शेष तीन याचिकाएं शेष है । विशेष अधिवक्ता ने कोर्ट को दिनांक 7/11/22 को सुप्रीमकोर्ट के 5 जजो द्वारा EWS आरक्षण में पारित निर्णय से अवगत कराया गया जिसमें आरक्षण की कुल सीमा 50% से ज्यादा मान्य किया गया है, अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर द्वारा कोर्ट को यह भी बताया गया की इस न्यायलय के समक्ष समस्त याचिकाओ में केवल एक ही बिंदु है, की ओबीसी को 27% आरक्षण लागू करने से कुल आरक्षण 50% से ज्यादा हो रहा है । अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ने कोर्ट से निवेदन किया की न्यायलय द्वारा पूर्व में पारित समस्त अंतरिम आदेशो को रिक्त कर दिया जाए ताकि पीएससी तथा शिक्षकों की भर्ती हो सके । तब न्यायालय द्वारा कहा गया की जब तक सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी आरक्षण की याचिकाएं लंबित है या निराकृत नही हो जाती तब तक यह कोर्ट कोई भी आदेश जारी नही कर सकती । हाईकोर्ट ने यह भी कहा की इस न्यायलय द्वारा भर्ती पर किसी भी प्रकार की रोक नही लगाई है सरकार भर्ती प्रक्रिया करने स्वंत्रत है । ओबीसी याचिका कर्ताओ की ओर से उदय कुमार ने पक्ष रखा । शासन की ओर से विशेष अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायक शाह, एडीशनल एडवोकेट हरप्रीत रूपराह, आशीष वर्णर्ड,भरत सिंह,पीयूष जैन ने पक्ष रखा।