जबलपुर, यशभारत। मप्र आयुर्विज्ञान यूनिवर्सिटी जबलपुर के अधिकारियों ने एक बड़ा कारनामा कर दिखाया है। संस्कृत पढ़ाने वाले गेस्ट टीचर को बीएएमएस (बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन सर्जरी) थडं ईयर एग्जाम के चरक संहिता के प्रैक्टिकल पेपर में परीक्षक बना दिया। मामला उजागर होने के बाद विवि के अधिकारी पूरी गलती कॉलेज प्रबंधन की बता रहे हैं। इधर कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि बोर्ड ऑफ स्टीडज के द्वारा टीचरों का नाम तय किया जाता है इस पर कॉलेज की कोई गलती नहीं है। पूरा मामला इंदौर के शासकीय आयुर्वेद कॉलेज का है। यहां 40 छात्रों के लिए होने वाले इस चरक संहिता के प्रैक्टिकल पेपर के लिए भोपाल के पंडित खुशीलाल आयुर्वेद कॉलेज की अतिथि शिक्षक वैशाली गवली को परीक्षक बना दिया गया है। वैशाली संस्कृत विषय की शिक्षिका है।
नियमों का ध्यान नहीं रखा
नियमानुसार प्रैक्टिकल में संबंधित पेपर के विषय विशेषज्ञ को ही परीक्षक बनाया जा सकता है। इसके बाद भी जब मेडिकल यूनिवसिज़्टी के एग्जाम कंट्रोलर ने 27 अगस्त को आदेश जारी किया तो उसमें इस बात का ध्यान नहीं रखा गया। जबकि इसके लिए किसी भी यूनिवर्सिटी में पहले से पैनल बनी होती है। मामले में इंदौर आयुर्र्वेद कॉलेज के प्रिंसीपल सतीश शर्मा से बात की तो बोले कि निर्णय यूनिवर्सिटी का है। लेकिन इस बात को स्वीकार किया कि यह नियमानुसार नहीं है।
विवि में बोर्ड ऑफ स्टडीज नहीं
यूनिवर्सिटी में धारा 51 लगने के बाद विवि की पूरी समितियां भंग हो गई थी जिसके अंतर्गत बोर्ड ऑफ स्टडीज भी शामिल थी। सवाल उठता है कि फिर कैसे एक गेस्ट संस्कृत टीचर को डॉक्टरों के प्रेक्टिकल लेने भेजा गया।
पहले भी हो चुकी है गलती
गौरतलब है कि इसके पहले भी बीएएमएस के फस्टज़् ईयर के पदार्थ विज्ञान एवं आयुर्वेद इतिहास में गड़बड़ी हो चुकी है। इस पेपर में क्वेश्चन नंबर 14, 18, 19 और 20 आउट ऑफ सिलेबस आ गए थे। ऐसे ही बीएएमएस फस्र्ट ईयर के अनाटॉमी (रचना शरीर) पेपर में एक सेंटर पर देरी से एग्जाम कराए गए। इस पेपर में एक प्रश्न भी रिपीट किया गया।
गेस्ट टीचर को परीक्षक बनाना कहां तक सही है
विवि के गलियारों में चर्चा है कि एमयू और कॉलेज प्रबंधन अपनी-अपनी गलती छुपा रहा है। इस पूरे मामले में यह बात जानने लायक है कि एक गेस्ट टीचर को कैसे परीक्षक बनाया जा सकता है। इससे स्पष्ट हो रहा है कि पैसों के लेन-देन के कारण इस तरह का कारनामा किया जा रहा है।
इनका कहना है
कॉलेज के द्वारा जो नाम दिए जाते हैं उसी आधार पर शिक्षकों की ड्यूटी लगाई जाती है। इस पर विवि प्रबंधन की किसी भी तरह की गलती नहीं है।
डॉक्टर, पुष्पराज बघेल डिप्टी रजिस्टारइसमें कॉलेज की कोई गलती नहीं है, बोर्ड ऑफ स्टडीज तय करता है कि किस टीचर की ड्यूटी कहा लगनी है। कॉलेज प्रबंधन की कोई गलती नहीं है।
डॉ. सतीश शर्मा, प्राचार्य इंदौर आयुर्र्वेद कॉलेज