जबलपुरमध्य प्रदेशराज्य

सब्जी में निकले कीड़े, तो रसोइये को लगाई फटकार जबलपुर के सिहोरा के क्षेत्र की आदिवासी छात्रावास का मामला

जबलपुर। आदिवासी छात्रावास के बच्चों को खाने में सब्जी परोसी तो उसमें कीडे निकले। यह देखकर एसडीएम ने रसोइये को जमकर फटकार लगाई। यह मामला है प्रदेश के जबलपुर शहर के सिहोरा के वार्ड क्रमांक तीन में बाबा शाला के पास स्थित जनजाति विकास विभाग के छात्रावास का। एसडीएम ने वहां की व्यवस्था को डेली मानीटरिंग में रखते हुए कार्रवाई के संकेत दिए हैं। बताया जाता है कि बच्चों को दिए गए खाने में कीड़े बिलबिला रहे थे। प्राप्त जानकारी के अनुसार छात्रावास में छात्रों को सब्जी परोसी गई तो उसमें कीड़े बिलबिला रहे थे। सब्जी में कीड़े देख छात्रावास के बच्चों ने विरोध जताना शुरू कर दिया।

हंगामा शुरू कर दिया। हंगामे की जानकारी कुछ ही देर में एसडीएम सिहोरा को लग गई, सो वो भी छात्रावास पहुंच गए। उन्होंने भी देखा कि आलू की सब्जी में कीड़े तैर रहे थे। उन्होंने तुरंत दूषित सब्जी अलग करवाकर फिर से भोजन बनवाया और बच्चों को उपलब्ध कराया।एसडीएम आशीष पांडे ने इस दौरान छात्रावास के रसोइए को जमकर फटकार लगाई और छात्रावास अधीक्षक की भी क्लास ली। उन्होंने रसोई में ठीक तरह से प्रकाश व्यवस्था नहीं होने को लेकर भी नाराजगी जताई।

इसी तरह से भंडार गृह में जंग लगे बर्तन रखे थे, जिनमें भोजन बनाया जाता था और बच्चों को परोसा जाता था। मौके पर आटा, चावल और दाल की बोरियां भी खुली पाई गईं। एसडीएम ने इस मामले में कड़ी कार्रवाई की बात कही है। छात्रावास में रहने वाले बच्चों का कहना रहा कि उन्होंने कुछ दिन पहले ही वार्डन देवेंद्र कोष्टा से खाने में कीड़े मिलने की शिकायत की थी, लेकिन उन्होंने धमकाते हुए उन्हें मुंह बंद रखने के लिए धमकाया था। उन्होंने बच्चों से यहां तक कह दिया था कि अगर हास्टल का खाना अच्छा नहीं लग रहा तो घर से मंगवा लें। छात्रों ने एसडीएम को बताया कि छात्रावास में उनके पास ओढ़ने-बिछाने के लिए ठीक तरह का बिस्तर भी नहीं है। इस बारे में एसडीएम आशीष पांडे का कहना है कि आदिवासी छात्रावास में निरीक्षण के दौरान छात्रों को दूषित भोजन उपलब्ध कराए जाने का पता चला है। मौके पर अनेक प्रकार की अव्यवस्थाएं पाई गईं। इस मामले में वार्डन की लापरवाही परिलक्षित हो रही है। अवकाश की वजह से अब तक नोटिस नहीं दिया जा सका है। जल्द ही उसे कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा और जनजाति विकास विभाग के जिलस्तरीय अफसर को पत्र लिखा जाएगा।

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