तिलहरी लूट, हत्याकांड : नाकाबंदी तगड़ी होती तो भाग नहीं पाते लुटेरे, 12 को ही पकड़े जाते
बनारस में किससे खरीदे हथियार, अपराधियों की कुंडली खंगालने कॉल डिटेल निकाल रही पुलिस
जबलपुर, यशभारत। जबलपुर में एटीएम कैश वैन के गार्ड की हत्या प्रकरण में शहर की सुरक्षा व्यवस्था की पोल खुल गयी है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर शहर की नाकाबंदी मजबूत होती, तो आरोपी जबलपुर में एक दिन रुकने के बाद यहां से भाग नहीं पाते। उल्लेखनीय है कि आरोपियों ने 11 फरवरी को वारदात को अंजाम दिया और 12 फरवरी को वह बड़े इतमिनान से अपने गांव उत्तर प्रदेश निकल गए। लूट-हत्या के बाद आरोपी एटीएम बैंक के पीछे भी घूमते रहे फिर उन्होंने जबलपुर में रात काटी इसके बाद वह दूसरे दिन शहर से भागे। घटना के बाद अगर चुनाव के समय जैसे नाकेबंदी होती तो ऐसा जानकारों का मानना है कि लुटेरे दूसरे दिन ही जबलपुर पुलिस के गिरप्त में आ जाते। यह अपनी जगह है कि बनारस तक कवायद करके पुलिस ने मामले का पर्दाफाश कर दिया है। इधर पुलिस दोनों भाईयों ने वाराणसी से अवैध हथियार खरीदे थे, जिसका पुलिस पता लगा रही है। इसके साथ ही पुलिस कॉल डिटेल के आधार पर दोनों की आपराधिक कुंडली खंगाल रही है।
एएसपी गोपाल खंाडेल ने बताया कि दोनों आरोपी गुजरात में एक शिप कंपनी में बतौर लेबर का काम कर रहे थे, लेकिन अभी तक मिले सबूतों की बिनाह पर गुजरात में दोनों ने किसी अपराध को अंजाम नहीं दिया, क्योंकि दोनों ही किसी बड़ी घटना को अंजाम देने की फिराक में थे।
हथियर तस्कर तक पहुंच रही पुलिस
पुलिस ने बताया कि दोनों ने वाराणसी से हथियार खरीदे थे, जिसके बाद अब वाराणसी की हथियार तस्कर गैंग का पता लगाने पुलिस सरगमीज़् से जुटी हुई है। इसके साथ ही पुलिस को शक है कि अन्य गिरोह के दोनों आरोपियों के तार जुड़े हुए हो सकते है, जिसका भी पता लगाया जा रहा है।
दो बीघा जमीन के लिए चाचा ने लगाया न्यायालय में केस, आरोपियों के पास नहीं थे पैसे
आरोपी तीन भाई हैं। माता-पिता गांव में रहते हैं। बचपन में पिता से दोनों को चाचा ने गोद ले लिया था। चूंकि चाचा आर्मी में थे। उनकी पोस्टिंग जबलपुर में रही थी। इसलिए यहीं दोनों की शिक्षा आर्मी स्कूल में हुई थी। आर्मी स्कूल में ही उन्होंने हथियारों के बारे जानकारी ली थी। यहीं पिस्टल चलाना सीखा। लंबे समय तक रहने के कारण इलाके से भी वे परिचित थे। मनोज कुमार बीए और सुनील कुमार 12वीं पास है। 2016 में चाचा ने दूसरी शादी कर ली थी। इसके बाद उन्हें घर से निकाल दिया। वह अपने असल माता-पिता के पास लौट गए। उन्होंने ये कहकर रखने से मना कर दिया कि शुरू से चाचा ने रखा, तो उनके पास ही जाओ। फिर भी उन्होंने दो बीघा जमीन दे दी। इसके बाद चाचा ने कोर्ट में केस कर दिया। जो थोड़े बहुत पैसे थे, वह केस में खर्च हो गए।