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हाथियों की खुशामदीद का सिलसिला शुरू, कान्हा नेशनल पार्क में गजराज की हो रही सेवा हाथी रिजुविनेशन कैम्प का हुआ शुभारंभ, 20 सितंबर तक होगी 16 हाथियों की खुशामदीद

मण्डला l दुनिया भर में मशहूर कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में हाथी रिजुविनेशन केम्प में गजराज की विशेष खातिरदारी सेवा की जा रही है। 20 सितंबर तक हाथियों खुशामदीद की जाएगी। इस दौरान इन हाथियों से कैंप के दौरान कोई काम नहीं लिया जाता। इस दौरान इनको पूरी तरह आराम और ख्याल रखा जाता है। विभागीय हाथियों को नहलाकर उनके मीनू के अनुसार पसंदीदा पकवान खिलाए जा रहे है। कान्हा नेशनल पार्क में हाथी रिजुविनेशन केम्प चल रहा है।

 

फील्ड डायरेक्टर एसके सिंह ने पारंपरिक विधि से हाथियों का सम्मान करते हुए कैम्प की शुरूआत की। शिविर 20 सितंबर तक कान्हा में चलेगा। कैम्प के दौरान अलग-अलग जोन के सभी हाथियों को एक साथ रहने और घुलने मिलने का मौका मिलता है। हाथी रिजुविनेशन कैम्प के आयोजन के प्रथम दिवस कान्हा टाईगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक एसके सिंह समेत कान्हा नेशनल पार्क के अधिकारी, कर्मचारी उपस्थित रहें। बताया गया है कि हाथियों में नई ऊर्जा के संचार एवं मानसिक संतुलन बनाए रखने के लिए प्रतिवर्ष कान्हा नेशनल पार्क में विभागीय हाथियों का प्रबंधन किया जाता है। हाथियों रिजुविनेशन केम्प में 16 विभागीय हाथियों के स्वास्थ्य की विशेष देख रेख की जा रही है। कान्हा परिक्षेत्र में आयोजित कैम्प में गजराज की सेवा चल रही है। महावत एवं चारा कटर विभागीय हाथियों की सेवा में जुटे है। हाथियों को अतिरिक्त खुराक विटामिन, मिनरल, फल-फूल खिलाए जा रहे है।

नहलाकर, कर रहे मालिश, खिला रहे पंसददीदा भोजन

बता दे कि गजराज की खुशामदी का सिलसिला सुबह से ही शुरू हो जाता है। अलसुबह सभी हाथियों को एकत्र करके उन्हें नदी में घंटो नहलाया जाता है। इसके बाद प्रतिदिन सुबह चारा कटर हाथियों को नहलाकर केम्प में लाया जा रहा है। हाथियों के पैर में नीम तेल तथा सिर में अरंडी के तेल से मालिश की जा रही है। हाथियों को गन्ना, केला, मक्का, आम, अन्नानास, नारियल खिलाकर जंगल में छोड़ा जा रहा है। दोपहर को दोबारा हाथी कैम्प में लाए जा रहे है। रोटी, गुड, नारियल, पपीता खिलाया जा रहा है। हाथियों की खुशामदी का सिलसिला पूरे एक हफ्ते चलता है, जिसके लिये पार्क प्रबंधन द्वारा अधिकारी एवं कर्मचारियों की तैनाती की गई है।

गजराज का स्वास्थ्य परीक्षण

कैम्प में विशेषज्ञों व चिकित्सकों द्वारा हाथियों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है। घंटो गजराज की सेवा करने के बाद इन्हें इनका प्रिय भोजन और फल खिलाया जाता है। इसके बाद हाथियों के रक्त के नमूने जांच की जा रही है। नाखूनों की डे्रसिंग, दवा के द्वारा पेट के कृमियों की सफाई तथा हाथियों के दांत की आवश्यकतानुसार कटाई की जा रही है। हाथियों की सेवा में लगे महावतों एवं चारा कटरों का भी स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है। पार्क प्रबंधन का कहना है कि इस कैम्प के बाद हाथी अपने आपको पहले से ज्यादा तरोताजा महसूस कर नई ऊर्जा के साथ पार्क की सुरक्षा में अपने योगदान के लिए तैयार हो जाते है।

पार्क की सुरक्षा के लिए अहम भूमिका

नेशनल पार्क में वन्य प्राणियों एवं वनों की सुरक्षा में इन गजराज की अहम भूमिका रहती है। घनों जंगलों और दुर्गम रास्तों में इनके द्वारा ही जाया जाता है। इन्हीं हाथियों के द्वारा वनकर्मी दिनरात पार्क का गश्त करते है। वन्य प्राणियों के अस्वस्थ्य और घायल होने की स्थिति में हाथियों द्वारा ही उन तक पहुंचा जाता है। वन्य प्राणियों की सुरक्षा इन्हीं हाथियों पर निर्भर होती है।

 

इन्ही सब बातों को ध्यान में रखकर विगत कई वर्षों से कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में विभागीय हाथियों का प्रबंधन मानसून के दौरान किया जाता है। इस कैम्प में 16 विभागीय हाथी है। हाथियों को पार्क का उपयोग वनों एवं वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिए गश्ती कार्य में किया जा रहा है। इस दौरान हाथियों का विशेष ख्याल रखा जाएगा। इस केम्प के माध्यम से हाथियों में नई ऊर्जा का संचार होता है। मानसिक आराम के साथ इन सामाजिक प्राणियों को एक साथ समय बिताने का मौका भी मिलता है।

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