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पूरी तरह से सुरक्षित है नी रिप्लेसमेंट: डॉ विकास सावला: प्राइम टाइम विथ आशीष शुक्ला में नी रिप्लेसमेंट सर्जन डॉ विकाश सावला से खास मुलाकात

अच्छी जीवन शैली अपना कर सुरक्षित रख सकते हैं अपने घुटने

 

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जबलपुर यश भारत। एक समय के बाद जैसे शरीर में शुगर और थायराइड जैसी समस्याएं आना आम बात हो गई है। इस तरह से घुटनों का घिसना भी एक आम बात है। जिसे नी रिप्लेसमेंट करवा के सुधारा जा सकता है। लोगों के मन में रिप्लेसमेंट को लेकर बहुत सारी भ्रांतियां हैं। लेकिन यह इलाज पूरी तरह से सुरक्षित है। यह कहना है डॉक्टर विकास सावला का, जो प्राइम टाइम विद आशीष शुक्ला में नी रिप्लेसमेंट और हड्डियों से जुड़ी समस्याओं को लेकर चर्चा कर रहे थे । चर्चा के दौरान उन्होंने एक ओर जहां नी रिप्लेसमेंट के विषय में बहुत सारी भ्रांतियां को दूर किया वहीं उन बिंदुओं पर भी चर्चा की जिनके माध्यम से व्यक्ति अपने घुटनों को खराब होने से बचा सकता है, और एक अच्छा और निरोग जीवन जी सकता है । इस पूरे इंटरव्यू को आप यश भारत न्यूज़ चैनल के साथ-साथ यश भारत के सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर विस्तार से देख सकते हैं।

अच्छे डॉक्टर के साथ अच्छी टीम का होना जरूरी

किसी भी शहर में अच्छी मेडिकल सुविधाओं के लिए सिर्फ एक अच्छे डॉक्टर का होना जरूरी नहीं है ।उसके लिए एक अच्छी टीम और एक अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर भी उतना ही जरूरी है जितना की एक अच्छा डॉक्टर होना। डॉक्टर सावला ने बताया कि जबलपुर में अब यह सुविधा मिलने लगी है। जिसके चलते स्वास्थ्य क्षेत्र में काफी सुधार हुआ है। यदि आपके पास एक अच्छा एनेस्थेटिक अच्छा नर्सिंग स्टाफ और सर्व सुविधायुक्त ऑपरेशन थिएटर नहीं है तो एक अच्छा डॉक्टर भी अच्छे परिणाम नहीं दे सकता। वहीं उन्होंने बताया कि अब मेडिकल क्षेत्र में बहुत सारे सुधार हो चुके हैं। नई-नई तकनीक आ चुकी हैं, जिसका फायदा मरीजों को मिल रहा है। उन्होंने विशेष रूप से अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि वह जिस जीरो तकनीक का उपयोग करते हैं वह बहुत ही अधिक कारगर है । पहले जहां एक ऑपरेशन में लगभग 1 घंटे का समय लगता था अब एक नी रिप्लेसमेंट लगभग 25 मिनट में पूरा करते हैं, और उसके परिणाम भी बहुत अच्छे हैं।

महिलाओं में जल्दी आती है बीमारी
प्राइम टाइम विथ आशीष शुक्ला में डॉक्टर सावला ने बताया कि हड्डियों की समस्याएं पुरुषों की तुलना में महिलाओं में जल्दी आती है । क्योंकि महिलाओं में हार्मोनल चेंज अधिक होते हैं। ऐसे में 35-40 साल की उम्र के बाद उनमें यह समस्याएं देखने को मिलती है। ऐसे में महिलाओं को अधिक सतर्क और जागरूक रहने की आवश्यकता होती है । घुटनों के साथ-साथ महिलाओं में कंधों की समस्या भी अधिक होती है । लेकिन कंधों पर सीधे जोर नहीं पड़ता इस कारण यह समस्या जल्दी सामने नहीं आती है। खास तौर पर थायराइड और शुगर से पीड़ित लोग हड्डियों की समस्या का जल्दी शिकार होते हैं।

नई पीढ़ी रखें विशेष ध्यान

चर्चा के दौरान डॉक्टर विकास सावला ने बताया कि आने वाले समय में घुटनों की समस्या बढ़ती जाएगी । क्योंकि लोगों की जीवन शैली बदल रही है खान-पान बदल रहा है। ऐसे में युवाओं को विशेष ध्यान रखना चाहिए जिससे वह बढ़ती उम्र में इन समस्याओं से बच सकेंगे। इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि नियमित एक्सरसाइज करें, खान-पान पर विशेष ध्यान दें यदि घर में टाइल्स लगे हुए हैं तो जूते का उपयोग ज्यादा से ज्यादा करें, वजन को हमेशा कंट्रोल रखें । यदि युवा पीढ़ी इन बातों का ध्यान रखेगी तो वह घुटनों की समस्या से आने वाले समय में बच सकते हैं।

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