100 करोड़ की संपत्ति मामलाः रीवा के प्रभारी उपायुक्त आलोक खरे सस्पेंड

100 करोड़ की संपत्ति मामलाः रीवा के प्रभारी उपायुक्त आलोक खरे सस्पेंड
भोपाल, यशभारत। राज्य शासन ने प्रभारी उपायुक्त संभागीय उड़नदस्ता रीवा, आलोक खरे को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। यह कार्रवाई लोकायुक्त पुलिस द्वारा आय से अधिक संपत्ति मामले में उनके खिलाफ विशेष न्यायालय में चालान पेश किए जाने के बाद की गई है।
वाणिज्यिक कर विभाग ने शनिवार को अवकाश होने के बावजूद खरे के निलंबन आदेश जारी किए। आदेश में कहा गया है कि तत्कालीन सहायक आबकारी आयुक्त इंदौर आलोक खरे (जो वर्तमान में प्रभारी उपायुक्त संभागीय उड़नदस्ता रीवा पदस्थ हैं) के विरुद्ध लोकायुक्त पुलिस भोपाल ने अपराध क्रमांक 238/2019 के तहत अनुपातहीन संपत्ति अर्जित करने का मामला दर्ज किया था।
अभियोजन की स्वीकृति के बाद चालान पेश
शासन के अनुसार, खरे के खिलाफ वाणिज्यिक कर विभाग द्वारा 4 अप्रैल 2025 को अभियोजन की स्वीकृति जारी की गई थी, जिसके बाद लोकायुक्त पुलिस ने इसी माह की 8 अक्टूबर को विशेष न्यायालय में चालान पेश कर दिया। इसी आधार पर आलोक खरे को सस्पेंड कर दिया गया है। निलंबन अवधि के दौरान उनका मुख्यालय अपर आबकारी आयुक्त राज्य स्तरीय उड़नदस्ता, भोपाल तय किया गया है।
6 साल पहले 100 करोड़ से अधिक की संपत्ति का हुआ था खुलासा
यह मामला लगभग 6 साल पुराना है, जब आलोक खरे सहायक आबकारी आयुक्त इंदौर के पद पर पदस्थ थे। लोकायुक्त पुलिस ने तब उनके 7 ठिकानों (भोपाल में दो, इंदौर में दो, रायसेन में दो और छतरपुर में एक) पर एक साथ छापेमारी की थी।
प्रारंभिक जांच में ही 100 करोड़ रुपए से अधिक की अनुपातहीन संपत्ति का खुलासा हुआ था। छापेमारी में निम्न प्रमुख संपत्तियाँ सामने आईं:
रियल एस्टेट: इंदौर के पॉश इलाके में एक पेंट हाउस और एक आलीशान बंगला। भोपाल के चूनाभट्टी और बाग मुगालिया में दो बड़े बंगले, साथ ही कोलार में फार्म हाउस की जमीन। रायसेन में दो फार्म हाउस।
नकद व सोना: इंदौर के बंगले से 3 किलो सोना और 10 लाख रुपए नकद, जबकि रायसेन के फार्म हाउस से 5 लाख रुपए कैश बरामद किए गए थे।
वाहन: एक दर्जन से अधिक लग्जरी गाड़ियां मिली थीं।
जांच में यह भी सामने आया था कि खरे ने अपनी पत्नी को रायसेन में फलों की खेती करने वाला बताकर उनके नाम से इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर रखा था। लोकायुक्त द्वारा कोर्ट में चालान पेश किए जाने के बाद राज्य शासन की यह कार्रवाई भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।







