MP के इस विभाग में एक साथ 10 हजार तबादले, 80 KM दूर तक भेजे गए आउटसोर्स कर्मचारी

मध्य प्रदेश में मध्यक्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने बड़े पैमाने पर बिजली विभाग के आउटसोर्स कर्मचारियों के तबादले किए गए हैं. मप्र मध्यक्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा एक साथ दो-तीन दिन के भीतर 10 हजार के करीब कर्मचारियों के तबादले किए गए हैं. इन तबादलों से कर्मचारियों में हड़कंप मच गया है, क्योंकि उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों में 10 किलोमीटर से लेकर 80 किलोमीटर तक दूर भेजा गया है. इन कर्मचारियों में लाइन अटेंडेंट, सब-स्टेशन ऑपरेटर और कंप्यूटर ऑपरेटर शामिल हैं.
जानिए कहां कितने तबादले?
दरअसल, मध्यक्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा ऐसा पहली बार किया गया है, जब एक साथ इतने बड़े पैमाने पर तबादले हुए हों. बता दें कि इस बार मध्य क्षेत्र कंपनी ने भोपाल सिटी सर्किल में 568, भोपाल संचा.संधा. वृत्त में 805, रायसेन में 775, सीहोर में 560, राजगढ़ में 1009, होशंगाबाद में 790, ग्वालियर सिटी सर्किल में 502, ग्वालियर ओ एण्ड एम सर्किल में 452, मुरैना में 552, भिण्ड में 620, दतिया में 386, शिवपुरी में 588, श्योपुर में 592 एवं अशोक नगर में 336 समेत सभी विद्दुय सर्किंलों से करीब 10 हजार आउटसोर्स कर्मचारियों का तबादला किया गया है.
विकलांग कर्मचारियों का भी ट्रांसफर
हैरानी की बात यह है कि मध्यक्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने उन कर्मचारियों का भी तबादला कर दिया है जो विकलांग हैं. इसके साथ ही तीन सौ से अधिक बिजली आउटसोर्स महिला कर्मियों के दूर-दराज क्षेत्र में ट्रांसफर किए गए, इसमें कई इलाके तो ऐसे हैं, जहां महिलाओं को आने-जाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा. इससे पहले 2018 में मध्य क्षेत्र बिजली कंपनी के तत्कालीन एमडी विवेक पोरवाल ने सामूहिक रूप से एक हजार रेगुलर कर्मचारियों के तबादले किए थे, लेकिन उस वक्त दिव्यांगों व महिलाओं के तबादले नहीं किए गए थे.
कर्मचारियों पर बढ़ेगा आर्थिक बोझ
जानकारी के मुताबिक, मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के करीब दस हजार आउटसोर्स कर्मी 11 माह का बकाया एरियर पाने से तीन माह बाद भी वंचित हैं. वहीं, इन सबके बीच इनका तबादला कर दिया गए है. ऐसे में इन कर्मचारियों पर आर्थिक बोझ और बढ़ जाएगा. कम वेतन पाने वाले आउटसोर्स कर्मचारियों के तबादले से उनकी आधी सैलरी तो आने-जाने के डीजल पेट्रोल में चला जाएगा. जिस वजह से उनकी आर्थिक स्थिति और बिगड़ जाएगी. इस पूरे मामले को लेकर मप्र बिजली आउटसोर्स कर्मचारी संगठन का कहना है कि इस मामले में सीएम व उर्जा मंत्री को हस्तक्षेप करना चाहिए.







