हारे बूथों पर बीजेपी का फोकस, कांग्रेस को शहर के संगठन में अध्यक्ष की तलाश
लोकसभा चुनाव के बाद अब दलों में कसावट का दौर, भाजपा में संगठन चुनाव की सुगबुगाहट तो कांग्रेस में नई टीम पर माथापच्ची

कटनी ( आशीष सोनी )

भाजपा में संगठन चुनाव की प्रक्रिया अगले 15 दिन में शुरू हो जाएगी। पार्टी हर स्तर पर चुनाव कर बदलाव करना चाहती है। वह युवाओं के साथ इस बार संगठन में अपने बुजुर्ग नेताओं को भी मौका देना चाहती है। युवाओं के जोश और बुजुर्गों के अनुभव का समायोजन कर संगठन को मजबूती देना की कोशिश में है। भाजपा ने 2020 में पीढ़ी परिवर्तन कर युवाओं को संगठन में मौका दिया था। अब लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा हर स्तर पर नए नेतृत्व को उभारना चाहती है। सूत्र बताते हैं कि भाजपा संगठन में अब चुनाव की हलचल आरंभ हो गई है। समूची प्रक्रिया नवम्बर तक चलेगी। प्रक्रिया शुरू होने में भले ही अभी समय हो, लेकिन मंडल स्तर पर इसकी चर्चा और जमावट का खेल अभी से शुरू हो गया है। पिछले संगठन चुनाव में भाजपा ने पीढ़ी परिवर्तन का संकल्प पूरा किया था। इस कारण लगभग 35 वर्ष की औसत आयु वाले ही मंडल अध्यक्ष बन पाए थे। इनमें से कुछ तो भाजपा के लिए बेहद उपयोगी रहे और कुछ को राजनीतिक अनुभव ना होने से चुनाव में पार्टी को संकट भी झेलना पड़ा।
◆युवा व अनुभव का समायोजन चाहती है भाजपा
भाजपा अब पांच साल बाद हुए लोकसभा चुनाव के परिणाम को देखते हुए उम्र बंधन के बजाए मिला-जुला प्रयोग करना चाहती है। पार्टी चाहती है कि अब संगठन चुनाव में युवा और बुजुर्गए लेकिन अनुभवी का समन्वय के साथ समायोजन किया जाए। पार्टी ने युवाओं को तो जोड़ लिया लेकिन पुराने चेहरों को लेकर असमंजस में है। युवाओं को मौका देने के बाद अब पुराने दिग्गजों का समायोजन पार्टी के लिए चुनौती बना हुआ है। पार्टी का अब तक का अनुभव मिला जुला रहा है। पुराने नेताओं के सामने नए नेतृत्व को काम करने में व्यावहारिक रूप से मुश्किलों का सामना भी करना पड़ा।
◆ वीडी खेमा ही रहेगा मजबूत
पार्टी में संगठन चुनाव के लिए बिसात जरूर बिछने लगी है, लेकिन कटनी के नेता इस बात से भली भांति वाकिफ हैं कि वीडी शर्मा के प्रदेश का सांगठनिक मुखिया रहते जिले में बड़ा बदलाव मुश्किल हैं। दीपक सोनी टण्डन को अध्यक्ष बने हालांकि अभी 2 साल भी पूरे नही हुए हैं, जबकि पार्टी में अध्यक्ष का कार्यकाल 3 बरस का होता है लेकिन संगठन चुनाव की वजह से किसी भी बदलाव की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता। पार्टी स्तर पर यह मानकर चला जा रहा है कि वीडी शर्मा के प्रभाव वाले कटनी जिले में अध्यक्ष उनकी ही पसन्द का रहेगा, लिहाजा टण्डन को अगला कार्यकाल भी मिल जाये तो आश्चर्य नही। वैसे जिलाध्यक्ष के करीबी यह तर्क भी दे रहे हैं कि उनके पीरियड में अब तक पार्टी को हर चुनाव में बम्पर सफलता मिली है, इसलिये उनका ट्रेक रिकार्ड भी अपर लेबल पर मजबूत बना हुआ है।
◆ कांग्रेस का सेनापति कौन
लोकसभा चुनाव के बाद से नेतृत्व के संकट से जूझ रही शहर कांग्रेस को सबसे पहले तो एक अदद अध्यक्ष की दरकार है। लोकसभा चुनाव की वोटिंग से एक दिन पहले शहर कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा पार्टी को झटका देते हुए भाजपा का दामन थाम लेने के बाद से यह पद रिक्त बना हुआ है। लोकसभा चुनाव में प्रदेश की सभी सीटें हारने के बाद अब नए सिरे से सर्जरी की जा रही है। इसके तहत प्रदेश की टीम के साथ कई जिलों के मुखिया भी बदले जाएंगे। ऐसी स्थिति में कटनी पर प्रमुखता से विचार चल रहा है। फिलहाल अध्यक्ष न होने से पार्टी के कार्यक्रमों को आयोजित करने में समन्वय की कमी साफ देखने मिल रही है। ग्रामीण अध्यक्ष ही अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी जिस तरह से प्रशासनिक स्तर पर भी हावी हो चुकी है। ऐसे में कांग्रेस को एक सक्रिय और जुझारू अध्यक्ष चाहिए तभी कार्यकर्ताओं में ऊर्जा का संचार हो सकेगा। लोकसभा चुनाव के दौरान अनेक कांग्रेस नेता पार्टी छोड़ चुके है। अब कार्यकर्ताओं को नई टीम का इंतजार है। जो नाम अध्यक्ष पद की दौड़ में बताए जा रहे हैं, उनमें एडवोकेट अमित शुक्ला, प्रशांत जायसवाल, रमेश सोनी, मौसूफ अहमद बिट्टू राकेश द्विवेदी गुड्डू जैसे नए चेहरों के साथ वरिष्ठ कांग्रेस नेता मिथलेश जैन और प्रियदर्शन गौर भी शामिल हैं। ये तमाम चेहरे अपने अपने स्तर पर भोपाल से लेकर दिल्ली तक सक्रिय हैं।