
जबलपुर, यशभारत। रायपुर, छत्तीसगढ़ में केन्द्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स में निरीक्षक-निजी सचिव के पद पर कार्यरत याचिकाकर्ता ने इस आशय की याचिका जबलपुर, हाईकोर्ट में प्रस्तुत की कि दिनांक 7.9 .2021 से 21-12-2016 तक के लिए याचिकाकर्ता का एवं राजकुमार शर्मा निरीक्षक-निजी सचिव सहित अन्य लोगों को प्रतिनियुक्ति पर प्रशिक्षण हेतु केन्द्रीय पुलिस प्रशिक्षण अकादमी, पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो, भोपाल भेजा गया। प्रशिक्षण के दौरान राजकुमार शर्मा कोर्स कोआर्डिनेटर एवं याचिकाकर्ता असिस्टेंट कोर्स कोआर्डिनेटर के रूप में कार्य किया। याचिकाकर्ता भी अन्य लोगों की तरह प्रशिक्षण कार्य में प्रशिक्षण के दौरान संलग्न रहा लेकिन राजकुमार शर्मा सहित अन्य लोगों का दि.७.९.२०१२ से २१.१२.२०१६ तक का प्रशिक्षण भत्ता दिया गया लेकिन याचिकाकर्ता के इस अवधि का प्रशिक्षण भत्ता देने से इंकार कर दिया गया एवं रिप्रजेंटेशन देने पर भी जब प्रशिक्षण भत्ता याचिकाकर्ता का नहीं दिया गया ते याचिकाकर्ता ने हाईकाट ने रिट याचिका प्रस्तुत की जिसमें हाईकोर्ट की एकलपीठ माननीय न्यायमूर्ति मनिंदर सिंह भट्टी ने निर्णय देते हुए यह पाया कि याचिकाकर्ता एवं राजकुमार शर्मा का एक साथ आदेश दि.१७.७.२०१२ दस्तावेज क. पी-११ के अनुसार प्रशिक्षण हेतु भेजा गया एवं आदेश दि.२५.२.२०१६ दस्तावेज क. पी-१२ के अनुसार प्रशिक्षण के दौरान राजकुमार शर्मा ने का-आर्डिनेटर एवं याचिकाकर्ता ने असिस्टेंट को-आर्डिनेटर के रूप में कार्य किया लेकिन इन दस्तावेजों का बिना विचार में लिए याचिकाकर्ता को प्रशिक्षण भत्ता देने से इंकार कर दिया गया जबकि राजकूमार शर्मा को प्रशिक्षण भत्ता दिया गया। इस स्थिति में माननीय हाईकोर्ट ने निदेशक केन्द्रीय पुलिस प्रशिक्षण अकादमी भोपाल के आदिशित किया है कि 60 दिन के अंदर उक्त दस्तावेजों का विचार में लेते हुए प्रशिक्षण भत्ता प्राप्त करने की याचिकाकर्ता की पात्रता तय करे एवं पात्र पाए जाने की स्थिति में 30 दिन के अंदर पात्र पाए जाने की स्थिति में याचिकाकर्ता को प्रशिक्षण भत्ता का भुगतान करें । . याचिकाकर्ता की ओर से शीतला प्रसाद त्रिपाठी (एडवोकेट),
सुशील त्रिपाठी (एडवोकेट) ने पैरवी की।