
कटनी- तापमान तेजी से गिर रहा है और बढ़ती ठंड का असर शरीर के रक्त संचार पर भी दिखाई देता है। ठंड के मौसम में खून के गाढ़ा होने की समस्या बढ़ जाती है, खासकर उन लोगों में जिन्हें पहले से हार्ट संबंधी परेशानी, डायबिटीज, हाई बीपी या हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या होती है। विशेषज्ञ बताते हैं कि ऐसे हालात में हार्ट अटैक का खतरा भी बढ़ सकता है।
“सर्दियों में खून गाढ़ा क्यों होता है?”
सुप्रसिद्ध चिकित्सक डॉ एच एस नेमा बताते हैं कि ठंड बढ़ने पर शरीर खुद को गर्म रखने के लिए ब्लड वेसल्स को सिकोड़ लेता है। इससे खून का फ्लो धीमा होने लगता है और प्लेटलेट्स व प्रोटीन के स्तर में बदलाव से खून थोड़ा गाढ़ा हो सकता है।
सर्दियों में पानी कम पीने से डिहाइड्रेशन की समस्या बढ़ती है, जो खून को और गाढ़ा कर देती है।
इसके लक्षणों में उंगलियों का ठंडा पड़ना, झनझनाहट, चक्कर, सिर भारी लगना, सांस फूलना या जल्दी थकान होना शामिल हैं।
“क्या इससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ता है..?”
विशेषज्ञों के अनुसार खून के गाढ़ा होने से हार्ट पर दबाव बढ़ जाता है। हार्ट को खून पंप करने में ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है, जबकि ठंड के कारण नसें सिकुड़ जाती हैं। इससे ब्लॉकेज का खतरा बढ़ता है और अचानक ब्लड क्लॉट बनने की आशंका भी बढ़ जाती है।
जिन लोगों को पहले से हाई बीपी, शुगर, मोटापा या कोलेस्ट्रॉल की समस्या है, उन्हें इस मौसम में अतिरिक्त सावधानी रखनी चाहिए।
“सर्दियों में खतरे को कैसे कम करें..?”
कार्डियोलॉजिस्ट पूर्व सिविल सर्जन डॉ सतीश शर्मा कहते है रोजाना पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।
हल्की वॉक और नियमित एक्सरसाइज करें।
बहुत ठंड में बाहर जाते समय शरीर को अच्छी तरह ढकें।
हाई फैट और ऑयली चीजों से दूरी बनाए रखें।
हार्ट, बीपी और शुगर के मरीज दवाएं नियमित समय पर लें।
अचानक ठंडे वातावरण में जाने से बचें।
नमक का सेवन नियंत्रित रखें।
ठंड बढ़ने के साथ हार्ट अटैक के बढ़ते जोखिम को देखते हुए विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि शरीर को हाइड्रेट रखें, नियमित वॉक करें और जरूरत पड़ने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।







