सरकारी स्कूलों का भगवान ही मालिक!: औचक निरीक्षण में खुली पोल, कहीं शाला बंद तो कहीं कुर्सी मिलीं खाली
जबलपुर, यशभारत। शिक्षा विकास का मूल है। जिसे ध्यान में रखते हुए सरकारी स्कूलों की परिकल्पना को मूर्त रूप दिया गया था। लेकिन पदस्थापना पाने के बाद शिक्षकों की कार्यप्रणाली किसी अलसाए अजगर से कम नहीं। जिसकी बानगी उस वक्त देखने मिली जब विकास खंड अधिकारी ने 7 ग्रामीण सरकारी स्कूलों का औचक निरीक्षण किया। जहां की दुर्दशा देख अधिकारी के भी हाथों से तोते उड़ गया। स्कूलों का हाल यह था कि कहीं शाला बंद पाई गई तो कहीं स्कूल संचालित है, लेकिन शिक्षक पंजी में हस्ताक्षर कर गायब हो गए। तो कहीं ऐसा भी देखने मिला कि शिक्षक ने नियमों को बला-ए-ताक में रखकर बेजा छुट्टी लेकर, घर के कार्य में बिजी मिले। जिसके बाद सभी स्कूल के उक्त शिक्षकों को नोटिस जारी कर, जबाव-सवाल किया गया है।
जानकारी के अनुसार विकास खंड अधिकारी ने ग्राम ग्राम के शासकीय माध्यमिक शाला बेनीखेड़ा, उमरिया, शासकीय एकीकृत मा.शा. नीची, शासकीय प्राथमिक शाला हटेपुर, सहित नुनसर की शासकीय प्राथमिक शाला रानीताल का औचक निरीक्षण किया।
दो स्कूलों के गेट में लटके मिले ताले
औचक निरीक्षण के दौरान दोनों शासकीय प्राथमिक शाला हटेपुर के मेन गेट में ताले लटके मिले। यह देख निरीक्षण करने पहुंचे अधिकारी ने जब फोन पर सूचना लेना चाही तो मौके पर किसी ने फोन तक रिसीव करना जरुरी नहीं समझा। जिसके बाद मनीष झारिया, कमलेश कुमार साहू, हितगोपाल दुबे, श्रीमती पुष्पा तिवारी, महेन्द्र कुमार जामनिक, गोविंद नारायण दुबे, राजेन्द्र प्रसाद झारिया को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।