संस्कारधानी के कोने-कोने में हर हर महादेव की गूंज : उमड़ रहा भक्तों का सैलाब

संस्कारधानी के कोने-कोने में हर हर महादेव की गूंज गूंज रही है। शहर में कई शिव मंदिर हैं जहां भक्त भोले का अभिषेक करने पहुंचते हैं। लेकिन कुछ मंदिर ऐसे हैं जहां सुबह से रात तक भक्तों का मेला लगता है। कचनार सिटी के बड़े शंकर जी हों या फिर स्वयं भू गुप्तेश्वर महादेव। इसी तरह साकेतधाम और चौसठ योगिनी मंदिर भी भक्तों की आस्था का केंद्र है। कचनार सिटी में शहर के विजय नगर क्षेत्र में 76 फीट ऊंचे भगवान शंकर की प्रतिमा है। जहां सावन के महीने के अलावा महाशिवरात्रि पर बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं। 6 एकड़ में बनी कालोनी में मंदिर के लिए भी स्थान छोड़ा गया है। वर्ष 2005 में प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी। मंदिर तैयार होने में तीन साल लग गए थे। यहां विशाल प्रतिमा के नीचे गुफा है। जहां 12 ज्योतिर्लिंग हैं। जहां भक्त अभिषेक करते हैं। गुफा के अंदर एक गर्भ ग्रह है जहां पर भगवान आत्मलिंगेश्वर शिवजी, माता पार्वती, गणेश जी एवं कार्तिकेय जी की प्रतिमा स्थापित हैं। यहां सुबह से रात तक मेला भरता है।गुप्तेश्वर मंदिर में मंदिर में स्वयं भू महादेव भगवान विराजमान हैं। यहां सुबह से लेकर रात तक धार्मिक अनुष्ठान होते हैं। गुप्तेश्वर महादेव रामेश्वरम के उपलिंग हैं। जो गुफा में विराजे हैं। यहां महाशिवरात्रि में सुबह से रात तक भगवान भोलेनाथ का अभिषेक किया जाता है। इसके अलावा सावन में भगवान की शाही सवारी भी निकाली जाती है।चौसठ योगिनी मंदिर में भेड़ाघाट में चौसठ योगिनी का प्राचीन मंदिर है। यहां भगवान शंकर और पार्वती नंदी पर चलायमान स्थिति में विराजमान हैं। इस पहाड़ पर कभी भृगु ऋषि के शिष्य सुपर्ण ऋषि का आश्रम हुआ करता था। महाशिवरात्रि की महानिशा में सुपर्ण ऋषि को भगवान की मनोहारी छवि का दर्शन हुआ था। मंदिर के चारों और चौसठ योगिनियों की प्रतिमा कलचुरिकाल की है। महाशिवरात्रि पर दूर दूर से लोग पूजन करने पहुंचते हैं।